सामान्य ज्ञान

वायरस या विषाणु
06-Feb-2022 11:50 AM
वायरस या विषाणु

विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हें क्रिस्टल के रूप में इक_ा किया जा सकता है। 

विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन 1796 में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन 1886 में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी 1892 में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। 

 विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं।

 वायरस देखने में जितने खूबसूरत हैं, उतने ही खतरनाक भी। नंगी आंखों से आप इन्हें नहीं देख सकते, लेकिन जब ये वायरस आपके शरीर पर हमला बोलते हैं तो खांसी, जुकाम, सर दर्द, बदन दर्द और बुखार इनके होने का पूरा एहसास करा देते हैं। अधिकतर लोग फ्लू को नजला या जुकाम समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, हालांकि दोनों वायरस के ही कारण होते हैं, लेकिन फ्लू का वायरस कई गुना ज्यादा खतरनाक होता है। 1918 से 1920 के बीच स्पेन में फ्लू के कारण ढाई करोड़ लोगों की जान गयी। इनमें 20 से 40 साल की उम्र के लोगों की भी काफी संख्या थी। फ्लू का खतरा सर्दियों में ज्यादा होता है।

बर्ड फ्लू तब होता है जब इन्फ्लुएंजा का वायरस एच5 एन1 पक्षियों को बीमार कर दे। वैसे तो यह वायरस एक पक्षी से दूसरे में ही फैलता है, लेकिन कई मामलों में बर्ड फ्लू का असर इंसानों पर भी देखा गया है। इसी तरह से एच1 एन1 वायरस के कारण स्वाइन फ्लू होता है। यह वायरस इंसानों के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना कि जानवरों के लिए।

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