सामान्य ज्ञान
टूना स्कॉमब्रिडे प्रजाति की खारे पानी की मछलियां हैं जिनमे से अधिकांश थुन्नुस वर्ग से संबंधित हैं। टूना तेज़ तैराक हैं, और कुछ प्रजातियां 70 किमी प्रतिघंटे की गति से तैरने में सक्षम हैं।
सफ़ेद मांस वाली अधिकांश मछलियों के विपरीत, टूना की मांसपेशियों के उत्तकों का रंग गुलाबी से ले कर गहरा लाल होता है। यह लाल रंग एक ऑक्सीजन बाध्यकारी अणु मायोग्लोबिन के कारण होता है, जिसकी मात्रा अधिकांश बाकी मछलियों की तुलना में टूना में अधिक पाई जाती है। कुछ बड़ी टूना प्रजातियां, जैसे कि ब्लूफिन टूना गर्म खून वाली होती हैं और मांसपेशियों को हिला कर अपने शरीर का तापमान पानी के तापमान से अधिक बढ़ा सकती हैं। यह उन्हें अपेक्षाकृत ठंडे पानी में जीवित रहने और अन्य किस्मों की मछलियों की अपेक्षा समुद्र के विविधतापूर्ण वातावरण में रहने के लिए सक्षम बनाता है। इस मछली के शौकीन दुनिया भर में हैं। जापान के पकवान सूशी की दीवानगी तो यूरोप और अमेरिका तक फैली हुई है। इसे बनाने के लिए जिस खास तरह की टूना मछली का इस्तेमाल होता है वह भी जापान के समुद्र में ही मिलती है। हर साल यहां के मछली बाजार में इनकी नीलामी होती है। बीते साल सबसे महंगी मछली बिकी दस करोड़ रुपये की। इसका वजन दो सौ किलो से ज्यादा था, लेकिन पेट की यही भूख टूना मछलियों के लिए मुसीबत बन रही है।
कहा जाता है कि मछलियां खाना खाद्य श्रृंखला के लिए जरूरी है. अगर मछलियों का शिकार नहीं किया जाएगा तो उनकी संख्या इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी कि उससे समुद्र का पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ जाएगा, लेकिन पिछले कुछ सालों में इनका इस कदर अंधाधुंध शिकार किया जा रहा है कि मछलियों की कई प्रजातियां लुप्त होने लगी हैं।