सामान्य ज्ञान
रूद्राक्षजाबालोपनिषद रूद्राक्ष से संबंधित उपनिषद है। यह उपनिषद सामवेदीय शाखा के अंतर्गत आता है जिसमें भगवान शिव के रुद्राक्ष की महत्ता को व्यक्त किया गया है। इस उपनिषद में रूद्राक्ष से संबंधित अनेक प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होता है जिसमें रूद्राक्ष की उत्पत्ति उसका आकार, उसे धारण करने का तरीका उससे प्राप्त फल होने वाले फलों का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस उपनिषद में भुसुण्ड और कालाग्निरुद्र के मध्य होने वाले संवादों के द्वारा इसे कथा का रूप प्राप्त होता है।
रूद्राक्षजाबालोपनिषद के प्रारंभ में भुसुण्ड, कालाग्निरूद्र से प्रश्न करते हैं कि कृपा कर आप मुझे रुद्राक्ष के विषय में बताएं। इस पर प्रभु कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं रूद्राक्ष की उत्पत्ति मेरे द्वारा ही हुई है। वे कहते हैं जो रूद्राक्ष आंवले के आकार जितना बड़ा होता है वह रूद्राक्ष अच्छा होता है। जो रूद्राक्ष एक बदारी फल (भारतीय बेरी) के रूप में होता है वह मध्यम प्रकार का माना जाता है। जो रूद्राक्ष चने के जैसा छोटा होता है वह सबसे बुरा माना जाता है। ब्राह्मण सफेद रूद्राक्ष है। लाल एक क्षत्रिय है। पीला एक वैश्य है और काले रंग का रूद्राक्ष एक शूद्र है। इसलिए, एक ब्राह्मण को सफेद रूद्राक्ष , एक क्षत्रिय को लाल, एक वैश्य को पीला और एक शूद्र को काला रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
एकमुखी रुद्राक्ष परमतत्व का रूप होता है। दोमुखी रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर कहते हैं। इसे धारण करने से शक्ति एवं शिव दोनों की प्राप्ति होती है, तीनमुखी रुद्राक्ष अग्नित्रय है इससे अग्नि का आशीर्वाद प्राप्त होता है, चारमुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा का रूप है। पंचमुखी रुद्राक्ष पांच मुख वाले शिव का रूप है जो हत्या जैसे पाप को भी नष्ट कर देता है, छहमुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय एवं गणेश का रूप है इसे धारण करके भक्त धन, स्वास्थ्य, बुद्धि व ज्ञान पाता है, सप्तमुखी रुद्राक्ष सात लोकों, सात मातृशक्ति का रूप है इसे पहनकर भक्त धन, स्वास्थ्य और मन की पवित्रता को पाता है, अष्टमुखी रुद्राक्ष आठ गुणों का, प्रकृति का रूप है इसे पहन के भक्त इन देवों की कृपा प्राप्त करता है, नौमुखी रुद्राक्ष नौ शक्तियों का रूप है इसे धारण करके भक्त को नौ शक्तियों का अनुग्रह उपलब्ध हो जाता है, दसमुखी रुद्राक्ष यम देवता का, ग्यारहमुखी रुद्राक्ष एकादश रुद्र का रूप माना गया है इसे धारण करके धन में वृद्धि की कृपा प्राप्त होती है, बारहमुखी रुद्राक्ष महाविष्णु एवं बारह आदित्यों का प्रतीक माना गया है इसे उपयोग करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, तेरहमुखी रुद्राक्ष कामदेव का रूप माना गया है इसे धारण करने से समस्त मानोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा चौदहमुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति रूद्र भगवान के नेत्रों से हुई मानी जाती है और इसे धारण करने से रोगों का नाश होता है।