सामान्य ज्ञान
सरकारी तौर पर पोस्ट कार्ड एक निश्चित आकार के कार्ड पर लिखा खुला संदेश है। इस कार्ड का आकार आमतौर पर 14 सेमी.- 9 सेमी. होता है। पोस्ट कार्ड आमतौर पर दो किस्मों में उपलब्ध हैं- अकेला एक कार्ड, केवल संदेश भेजने के लिए या दोहरा संलग्न कार्ड- एक संदेश भेजने के लिए और दूसरा संदेश प्राप्तकर्ता द्वारा तुरंत जवाब के लिए। उत्तर देने वाला जवाब देने में देरी नहीं कर सकता, क्योंकि संदेश भेजने वाले ने कार्ड की कीमत पहले ही चुका दी होती है।
पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ भारत के अंदर ही किया जा सकता है। भारतीय डाक घर ने पहली बार जुलाई 1879 में चौथाई आना (यानी एक पैसा) का पोस्ट कार्ड शुरू किया था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश भारत की सीमा में एक स्थान से दूसरे स्थान तक डाक भेजना था। भारत के लोगों के लिए अब तक का यह सबसे सस्ता डाक पत्र था और जो बहुत सफल सिद्ध हुआ। इसके बाद अप्रैल 1880 में ऐसे पोस्ट कार्ड शुरू हुए, जो केवल सरकारी इस्तेमाल के लिए थे और 1890 में जवाबी पोस्ट कार्ड शुरू हुए।
वर्ष 1861 में फिलाडेल्फिया में जॉन पी चार्लटन ने एक गैर-सरकारी पोस्ट कार्ड की शुरूआत की, जिसके लिए उसने कॉपीराइट हासिल किया, जिसे बाद में एचएल लिपमैन को स्थानांतरित कर दिया गया। कार्ड के चारों ओर छोटी सी पट्टी की सजावट थी और कार्ड पर लिखा था - लिपमैन्ज़ पोस्टल कार्ड, इसके पेटेंट अधिकार के लिए आवेदन किया हुआ था। ये बाजार में 1873 तक चले, जब पहला सरकारी पोस्ट कार्ड शुरू हुआ। अमरीका ने 1873 में पहले से मुहर लगे पोस्ट कार्ड जारी किए। केवल अमरीका की डाक सेवा को ही इस तरह के कार्ड छापने की अनुमति थी, जो 19 मई, 1898 तक रही, जब अमरीकी संसद ने प्राइवेट मेलिंग कार्ड एक्ट पास किया, जिसमें प्राइवेट फर्मों को कार्ड बनाने की अनुमति दी गई। प्राइवेट मेलिंग कार्डों की डाक लागत एक सेंट थी, जबकि पत्र कार्ड की दो सेंट थी। जो कार्ड अमरीकी डाक सेवा द्वारा छपे हुए नहीं होते थे, उन पर प्राइवेट मेलिंग कार्ड छापना जरूरी था। पोस्ट कार्ड की उल्टी तरफ सिर्फ सरकार को पोस्टकार्ड शब्द छापने की अनुमति थी। गैर-सरकारी कार्डों पर सॉवेनेर कार्ड, कॉरेस्पांडेंस कार्ड और मेल कार्ड छपा होता था।
अंतर्देशीय पत्र कार्ड पोस्ट कार्ड से अलग होता है। मलयालम पत्रिका इन्नू पूरी तरह से इस तरह के अंतर्दशीय पत्र कार्ड पर छपती है। इसमें कविताएं, संपादकीय, कार्टूंन, संपादक को पत्र सभी कुछ होता है, जो पूरे आकार की पत्रिका में होते हैं, लेकिन बहुत ही छोटे आकार में छपते हैं।