सामान्य ज्ञान
एशियाई विश्व में सबसे प्रचलित मृत्युदंड का रूप है फांस। मृत्युदण्ड (अंग्रेज़ी-कैपिटल पनिश्मैन्ट), किसी व्यक्ति को वैधानिक तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अपराध के परिणाम में प्राणांत का दण्ड देने को कहते हैं। अंग्रेज़ी में इसके लिये प्रयुक्त कैपिटल शब्द लैटिन के कैपिटलिस शब्द से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है सिर के संबंध में या से संबंधित (लैटिन कैपुट)। इसके मूल में आरंभिक रूप में दिये जाने वाले मृत्युदण्ड का स्वरूप सिर को धड़ से अलग कर देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 58 देशों में अभी मृत्युदंड दिया जाता है , जबकि अन्य देशों में या तो इस पर रोक लगा दी गई है, या गत दस वर्षो से किसी को फांसी नहीं दी गई है। यूरोपियाई संघ के सदस्य देशों में,चार्टर ऑफ फंडामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन की धारा-2 मृत्युदण्ड को निषेध करती है।
इतिहास में अनेक सभ्यताओं में मृत्युदंड का नाम आता है। प्राचीन यूनानी, मिस्र, चीनी और भारतीय सभ्यताओं में इस दण्ड के संदर्भ मिलते हैं, लेकिन उस समय इसे देने के अजीबोगरीब तरीके हुआ करते थे। द्वितीय विश्व युद्ध से मृत्युदंड उन्मूलन हेतु लगातार प्रयास होते रहे हैं। वर्ष 1977 में, 6 देशों ने इसे निषेध किया था। वर्तमान स्थिति ये है कि 95 देशों ने मृत्युदंड निषेध कर दिया है, 9 देशों ने इसे अन्य सभी अपराधों के लिये निषेध किया है, सिवाय विशेष परिस्थितियों के, और 35 देशों ने इसे पिछले दस वर्षों ने किसी को आरोपित नहीं किया है। अन्य 58 देशों ने इसे पूरी तरह लागू किया हुआ है।