सामान्य ज्ञान
उपनिषद, वेदों के ही हिस्से हैं। वेदों से ही प्रेरित इन उपनिषदों की रचना वेदव्यास के ही चार शिष्यों ने की है। उपनिषद का अंग्रेजी में अर्थ है कॉलोनी। जैसे शहर के ही किसी एक हिस्से को कॉलोनी कहते हैं, वैसे ही उपनिषदों को भी वेदों का ही हिस्सा माना जाता है। वेदों के ही श्लोकों को कथानक के रूप में उपनिषदों में लिया जाता है। उपनिषदों की संख्या वैसे तो 108 हैं, परंतु मुख्य 12 माने गये हैं, जैसे- ईश,केन,कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, कौषीतकि और श्वेताश्वतर।
ओशो के अनुसार उपनिषद धर्म का विज्ञान है। जैसे विज्ञान पदार्थ के भीतर छिपे हुए सत्य को खोजता है। जैसे विज्ञान पदार्थ को तोड़ता है, अणु-अणु को तोड़ता है और उसके भीतर छिपी हुई ऊर्जा का पता लगाता है, नियम की खोज करता है। किस नियम के आधार पर पदार्थ चल रहा है। इसका अन्वेषण करता है। वैसे ही उपनिषद चेतना के अणु-अणु में प्रवेश करते हैं। और चैतन्य का क्या नियम है, और चैतन्य कैसे जगत में गतिमान है, कैसे स्थिर है, कैसे छिपा है, कैसे प्रकट है, इसकी खोज करते हंै।