विचार / लेख

विज्ञापनों वाली लड़कियां
14-May-2022 1:45 PM
विज्ञापनों वाली लड़कियां

-ध्रुव गुप्त

विज्ञापनों की दुनिया बड़ी अजीब है। यहां किसी खास ब्रांड का सूट, जीन्स, बनियान और यहां तक कि अंडरवियर पहनने से भी लडकियां मक्खियों की तरह लडक़ों के इर्द-गिर्द मंडराती हैं। किसी खास ब्रांड के परफ्यूम या डियो लगाने वाले मर्दों के पीछे वे भुक्खड़ों की तरह भागती हैं। किसी खास कंपनी की बाइक अगर आपके पास है तो लिफ्ट मांग कर सरेराह आपसे लिपट जाने वाली लड़कियों की भी यहां कोई कमी नहीं। यह भी कि अगर आपके घर का बाथरूम किसी खास कंपनी के उपकरणों से सुसज्जित है तो कोई अनजान लडक़ी भी आपके बाथरूम में प्रवेश कर आपके लिए सेक्सी नृत्य भी करने लग सकती हैं। यहां पुरुष के अंतर्वस्त्र धोते-धोते चरम सुख का अहसास करने वाली लड़कियां भी हैं। टेलीविजन और अखबारों में आने वाले ऐसे विज्ञापनों को देखकर सर पीट लेने का मन करता है। हैरत भी होती है कि क्या हमारे देश की लड़कियां सचमुच ही इतनी खाली दिमाग, मूर्ख और कामातुर हैं? अगर नहीं तो फिर देश के किसी भी कोने से ऐसे अश्लील, विकृत और अपमानजनक विज्ञापनों के खिलाफ कोई आवाज क्यों नहीं उठती? स्त्रियों की अस्मिता या स्वाभिमान को ललकारते ऐसे फूहड़ विज्ञापनों के विरुद्ध कहीं मुकदमें क्यों नहीं दायर होते? देश और तमाम प्रदेशों में भी स्त्रियों की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए महिला आयोग मौज़ूद हैं। आजतक किसी भी महिला आयोग ने ऐसे विज्ञापन बनाने वाली कंपनियों, उन्हें दिखाने वाले टीवी चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

देश की सभी जागरूक और स्त्रीवादी महिलाओं से एक सवाल- क्या आपको ऐसे विज्ञापन देखकर गुस्सा नहीं आता? आता है तो महिला आयोग तक अपनी शिकायत पहुंचाएं। न्यायालय के दरवाजें खटखटाएं। यह भी नहीं तो कम से कम यहां सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों के विरुद्ध जनचेतना जगाने के लिए एक आंदोलन तो खड़ा किया  ही जा सकता है!

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