विचार / लेख
-स्वराज करुण
अच्छा, आप लोग जरा ये बताइए! राजा-महाराजाओं के इतिहास में और उनसे जुड़े उत्खनन में सिर्फ मंदिर, मस्जिद, ही क्यों मिलते हैं? स्कूल, अस्पताल, धर्मशाला जैसे परोपकारी निर्माण के अवशेष क्यों नहीं मिलते? क्या राजा-महाराजा अपनी प्रजा के बच्चों की शिक्षा और नागरिकों की सेहत का ध्यान नहीं रखते थे?
मनुष्य उस ईश्वर, अल्लाह या गॉड पर क्यों इतना भरोसा करता है, जिसे उसने कभी देखा ही नहीं? वह क्यों उसे बहुत दयालु भी मानता है? क्यों उसके काल्पनिक चित्र बनवाकर या काल्पनिक मूर्तियाँ गढक़र उसकी पूजा करता है? क्यों इतनी मिन्नतें करता है और मन्नतें मांगता है? जबकि सच तो यह है कि मिन्नतों और मन्नतों से होता जाता कुछ नहीं!
अगर कहीं ईश्वर, अल्लाह, गॉड नामक कोई देवी-देवता है भी और अगर उसने ही इस संसार का और मनुष्यों के साथ-साथ संसार के सारे प्राणियों का निर्माण किया है, तो वह अपने ही बनाए हुए प्राणियों के प्रति इतना निर्मम क्यों है? संसार का सारा इतिहास इंसान नामक प्राणियों के बीच खून-खराबे की घटनाओं से भरा हुआ क्यों है?आज के युग में भी कई लोग ईश्वर के नाम पर लिंग के लिए तो कहीं उसके काल्पनिक मंदिर के लिए क्यों लड़ते झगड़ते हैं?अगर ये कथित ईश्वर, अल्लाह या गॉड सचमुच बहुत शक्तिशाली है तो वह इंसानों के बीच के ऐसे झगड़ों को रोकता क्यों नहीं ?
राजा-महाराजा अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए एक-दूसरे से लड़ते हुए अपने राज्य के हजारों, लाखों गरीब सैनिकों की बलि चढ़ा देते थे, जिनके बच्चे अनाथ और पत्नियां विधवा हो जाती थी। उन सैनिकों के माता-पिता बेसहारा हो जाते थे! तब ये ईश्वर, अल्लाह, गॉड कहाँ छिप जाते थे? हम मनुष्य भी ऐसे खूनी राजा-महाराजाओं को कथित रूप से महान देशभक्त कहकर क्यों महिमा मंडित करते हैं? अगर मनुष्य द्वारा पूजित ईश्वर इतना दयावान है तो ज्यादा नहीं, सिर्फ एक शताब्दी के इतिहास को देखें, जिसमें दो-दो विश्व युद्धों के रक्त रंजित पन्ने चीख-चीखकर ईश्वर की निर्ममता की कहानी बयान कर रहे हैं। इन विश्व युद्धों में करोड़ों लोग बेमौत मारे गए।
अगर मनुष्य स्वयं को ईश्वर की संतान मानता है तो वह उससे इन मौतों का हिसाब क्यों नहीं मांगता?वह ईश्वर से क्यों नहीं पूछता कि अपनी ही संतानों को युद्ध की आग में झोंककर उसे क्या मिला?ताजा उदाहरण यूक्रेन पर रूसी हमले का है, जिसमें दोनों ही पक्षों के हजारों लोग काल के गाल में समा गए हैं। विगत लगभग पौने तीन महीनों से रूसी राष्ट्रपति पुतिन की सेनाएं यूक्रेन में भयानक तबाही मचा रही हैं। क्या उस सर्वशक्तिमान कहलाने वाले ईश्वर को यह सब नहीं दिख रहा है?अगर वह सर्वशक्तिमान मान है तो अपनी शक्ति से इस तरह की खूनी लड़ाइयों को शुरू होने ही क्यों देता है ?
इसके अलावा अगर ईश्वर ने मनुष्य को बनाया है तो मनुष्य और मनुष्य के बीच धन-दौलत के मामले में इतना भेदभाव क्यों है? एक तरफ अमीरी का लगातार ऊँचा होता जा रहा पहाड़ है तो दूसरी तरफ गरीबी की दिनों दिन बढ़ती खाई क्यों है? दुनिया की 90 प्रतिशत दौलत सिर्फ 10 प्रतिशत अमीरों के हाथ में और बची हुई मात्र 10 प्रतिशत दौलत 90 प्रतिशत गरीबों के हिस्से में क्यों है? अगर ईश्वर इतना दयालु है तो उसके बनाए हुए संसार में यह भयानक आर्थिक विषमता क्यों? ऐसे सवालों का कभी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता! इसी से साबित होता है ईश्वर, अल्लाह, गॉड ये सब मनुष्यों द्वारा अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए गढ़े गए काल्पनिक प्रतीक हैं। इससे ज्यादा और कुछ नहीं!