सामान्य ज्ञान
ये तो आप जानते ही होंगे कि हमारे शरीर में दो तरह की नलिकाएं होती हैं जो ख़ून ले जाने का काम करती हैं। धमनियां हमारे दिल से पूरे शरीर को ऑक्सीजऩ युक्त खून सप्लाई करती हैं जबकि नसें कार्बन डाइऑक्साइड युक्त खून को वापस फेफड़ों और दिल में पहुंचाती हैं जिससे उसकी सफ़ाई हो सके। यह ज़रूरी होता है कि यह गंदा खून दिल की तरफ़ ही जाए इसलिए इनमें वाल्व लगे होते हैं। ये एक तरफ़ खुलने वाले दरवाज़े की तरह होते हैं।
अब आपका सवाल कि नसें नीली क्यों दिखाई देती हैं। नसों में क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड युक्त खून होता है इसलिए उसका रंग गहरा लाल या उन्नाबी हो जाता है और क्योंकि त्वचा के नीचे की चर्बी कम आवृत्ति की रोशनी को सोख लेती है और अधिक आवृत्ति की रोशनी को परावर्तित करती है इसलिए नसों का रंग हमें नीला दिखाई देता हैं। हम सभी जानते हैं कि इन्द्रधनुष के वर्णक्रम में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, गहरा नीला और बैंगनी रंग होते हैं। कम आवृत्ति का प्रकाश परावर्तित होने से हमें लाल रंग दिखाई देता है जबकि अधिक आवृत्ति का प्रकाश परावर्तित होने से हमें नीला रंग दिखाई देता है। यही बात रक्त के साथ भी लागू होती है।