विचार / लेख
-शम्भूनाथ शुक्ला
चीता तो आ गया है लेकिन उसका नाम क्या रखा गया है? यदि वह हिंदू है तो चीता के साथ चतुर्वेदी जोड़ा जा सकता है। चीता चतुर्वेदी नाम जमेगा भी और इस तरह उसके आलोचकों का मुँह बंद हो जाएगा। क्योंकि चतुर्वेदी से चारों वेदों का ज्ञात होने का बोध होता है। लेकिन कान्यकुब्जों और सरयूपारीण में चतुर्वेदी हीनता का द्योतक है। अत: चीताराम दुबे भी चल सकता है या चीता शंकर वाजपेयी अथवा चीता मिश्र। पर चूँकि चीता से कुछ लोग बहुत विचलित हैं। उन्हें लगता है चीता उनके उत्तराखंड की विरासत यानी बाघ को इंफीरियर दिखाने के लिए लाया गया है तो चीता मुखर्जी या चीता चटर्जी चलेगा। किंतु ममता दीदी बिफर जाएँगी। उनको अपने रॉयल बंगाल टाइगर की चिंता सताएगी।
एक बात और कि चीता मांसाहारी है और द्विजों में सिर्फ क्षत्रिय ही मांसाहारी हैं इसलिए चीता सिंह कछवाह रखा जा सकता है। पर कछवाह सरनेम उदयपुर के राणा लोगों को नहीं पसंद आएगा। फिर वे जयपुर की कलंक कथा ले आएँगे। वैश्य बिरादरी में इसे लिया जाए और नाम चीता चंद्र गुप्ता या चीताश्री माहेश्वरी भी चलेगा। लेकिन द्विजों की यह जाति इसे मानेगी नहीं। और मध्यवर्ती किसान जातियों में अधिकतर शाकाहारी हैं क्योंकि वे कृष्ण आंदोलन से जुड़ी हैं। या वेस्ट यूपी और हरियाणा में आर्य समाज आंदोलन से। ये समुदाय शाकाहारी है। इसलिए वे फिर चीता को राम आंदोलन से जोड़ेंगी। किंतु चीता न तो नर व पशु पुंगव सिंह है और न माँ दुर्गा की सवारी बाघ। वह तो किसी भी तरह पूज्य पशुओं की श्रेणी में नहीं आता है। बैल और चूहा भी पूज्य हैं किंतु चीता तो असंभव! इसलिए इसे आर्ष परंपरा के अनुसार अलग समुदाय में रखा जाए। तब यह वसीम रिज़वी की तरह यह चीतनी की माँग करेगा तब सरकार क्या करेगी।
चीता एक मुस्लिम देश से आया है इसलिए मुस्लिम नाम भी रखा जा सकता है। तब यह संकट होगा कि इसे शेख़, सैयद, पठान, मोगल की श्रेणी में रखा जाए या रांगड़, मूला या महेसरा में। सलमानी और मुलतानी भी इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।किंतु मुझे लगता है, बेहतर यही होगा कि सरकार पुन: इसे अफ्रीका भेज दे। अफ्ऱीका में ईसाई भी पर्याप्त हैं, इसलिए इसका ईसाई नामकरण किया जाए। फिर संकट होगा कि यह सीरियन होगा या गोवानीज़ ईसाई या उत्तराखंड में पाए जाने वाले पंत ईसाई अथवा बंगाल के मुखर्जी, चटर्जी अथवा माइकेल मधुसूदन दत्त वाले ईसाई! या फिर अंबेकराइट चीता, जिसके लिए फिर आरक्षण की लड़ाई लड़ी जाएगी।
यूँ इसे मोहियाल अर्थात् असीम भूमि का मालिक भूमिहार श्रेणी में रखा जा सकता है। यूँ योगी जी की सरकार में मनोज सिन्हा, गिरिराज सिंह हैं, जो इस जाति पर बता सकते हैं। वैसे भी पत्रकारिता में इस जाति के लोग शीर्ष स्थान पर हैं उनकी राय ली जाए? चूँकि चितपावन ब्राह्मण भी इसी श्रेणी में हैं इसलिए उनका घोषित संगठन क्रस्स् चीता की जाति तय करे।
(अथ चीता पुराण समाप्त। अभी रात तीन बजे नींद झटके में खुल गई। मैं सपने में उस प्यारे से मुँह वाले चीता को देख रहा था, जो अपने वतन से दर-बदर कर दिए जाने से दुखी था। उसे अपने मुल्क की याद आ रही थी और यह चिंता भी कि भविष्य में उसका वंश कैसे चलेगा। और जाति निर्धारण न हुआ तो इस जाति प्रधान देश में उसका भविष्य क्या है!)
पुनश्च: कुछ लोग चीता को कायस्थ न बताने से कुढ़ गए हैं। उनसे क्षमा माँगते हुए मेरा कहना है, कि चित्रगुप्त महाराज का संबंध कलम से है अत: चीता का उस जाति से क्या लेना-देना! बाक़ी आपकी मर्जी। चीता तो यूँ भी अपनी जातीय पहचान को लेकर व्याकुल है।