विचार / लेख

ब्रिटेन की असली समस्या है ब्रेक्सिट...
25-Oct-2022 5:26 PM
ब्रिटेन की असली समस्या है ब्रेक्सिट...

-अजीत साही

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सत्ता में अगर एक साल भी टिक जाएँ तो बड़ी बात होगी. उनके, उनकी सरकार के और उनकी पार्टी के सितारे पाताल में पड़े हैं जहाँ से निकल पाना लगभग असंभव है.

ब्रिटेन के आर्थिक हालात बेहद ख़स्ता हो चुके हैं और सरकारी कामकाज ठप्प पड़ चुका है. देश की आम जनता सत्ताधारी पार्टी से इस क़दर पक चुकी है कि सर्वेक्षणों के मुताबिक वहाँ अगर आज आम चुनाव हो जाएँ तो सुनक की कंज़र्वेटिव पार्टी भारी वोटों और सीटों से हार जाएगी.

सुनक की हालात इसलिए और भी नाज़ुक है क्योंकि वो जनता का वोट पाकर नहीं बल्कि पार्टी के भीतर तिकड़मबाज़ी करके पीएम बने हैं. जनता के बीच उनकी ज़रा भी पैठ नहीं है. आश्चर्य नहीं होगा अगर पहले दिन से पार्टी के तमाम गुट उनको हर वक़्त दबाते मिलें.

सुनक के पीएम बनने की वजह ये है कि उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी का कोई बड़ा नेता इस बर्बादी में अपना करियर दांव पर लगाने को तैयार नहीं है. सबको मालूम है ये सरकार ख़स्ताहाल हो चुकी है. आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना राजनीतिक आत्महत्या करने के बराबर है. इसीलिए पिछले महीने लिज़ ट्रस जैसी हल्की-फुल्की नेता पीएम बन सकीं. और अब सुनक, जिनका चुनावी राजनीति में कोई वजूद ही नहीं है. ये कहना ग़लत नहीं होगा कि सुनक लिज़ ट्रस से भी हल्के हैं, क्योंकि लिज़ ने उनको कुछ हफ़्तों पहले ही पार्टी के नेता के चुनाव में हरा दिया था.
क्योंकि कंज़र्वेटिव पार्टी पिछले बारह साल से लगातार देश में सत्ता में है, देश की जनता अब इस पार्टी से पूरी तरह धीरज खो चुकी है. एक पल के लिए भी जनता इस पार्टी के किसी प्रधानमंत्री को हनीमून पीरियड देने को तैयार नहीं है. यही लिज़ ट्रस के साथ हुआ.

सुनक क्या, किसी के भी पास कोई जादुई छड़ी है नहीं कि घुमा दें और और अर्थव्यवस्था सुधर जाए. जनता और पार्टी दोनों की उम्मीद है कि सुनक देश को सुधार सकेंगे लेकिन रास्ता किसी को नहीं मालूम.

पिछले बारह सालों की कहानी ये है कि कंज़र्वेटिव पार्टी ने 2010 से लगातार चार आम चुनाव जीते हैं लेकिन उसकी हर सरकार लगातार क्राइसिस में फँसी रही.
जैसे तैसे सिर्फ़ पहली सरकार ने पाँच साल का टर्म पूरा किया था. 2015 के बाद से अब तक चार प्रधानमंत्री हो चुके हैं. रह रह कर सरकार इतनी लचर होती रही कि 2017 और 2019 में टर्म ख़त्म होने से बहुत पहले ही आम चुनाव करवाने पड़े.

2019 में तो पार्टी भारी बहुमत से जीत कर आई. विपक्षी लेबर पार्टी को बहुत बड़ी हार का मुँह देखना पड़ा. लगता था कि उस चुनाव को जीतने वाले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अब ब्रिटेन के बेताज बादशाह बन कर रहेंगे.

लेकिन महीने नहीं बीते कि उनकी सरकार भी एक के बाद एक क्राइसिस में आ गई. कोरोनावायरस तो एक वजह थी ही. लेकिन रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला तो पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने लगा. ज़ाहिर है ब्रिटेन भी अछूता नहीं रहा.

लेकिन ब्रिटेन की असली समस्या है ब्रेक्सिट - Brexit. यानी Britain का European Union से exit.

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news