विचार / लेख
-गोपा सान्याल
भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है गोपाष्टमी। माना जाता है आज के दिन ही नन्द नन्दन भगवान श्री कृष्ण ने अपने गोचारण की लीला आरम्भ की थी जिससे उनका नाम "गोपाल" पड़ा। गोमाता विश्व की माता है जो माँ की तरह सबका पोषण करती है। गोमाता से प्राप्त पञ्चगव्य का शास्त्रों में ही नहीं बल्कि आयुर्वेद में भी बड़ा महत्व है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 80 किमी दूर खैरागढ़ में स्थित है कामधेनु मंदिर। गोमाता के संरक्षण के लिए यहाँ संचालित मनोहर गौशाला अच्छी पहल कर रहा है। यहाँ एक अनोखी गोमाता है जिसका नाम है सौम्या। सौम्या का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। प्रबंधन के सदस्यों ने बताया कि सौम्या की पूंछ सर्वाधिक लंबी करीब 54 इंच तक है जो कि धरती को स्पर्श करती है और इसकी लंबाई अन्य गायों की तुलना में भीअधिक है। जानकारों के मुताबिक इसके शरीर में शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे प्रतीक चिन्ह हैं जो कि कामधेनु गाय में होती है। इनके दर्शन के लिए लोग श्रद्धा से यहाँ आते हैं और मनौती मांगते हैं। मनोकामना पूरी होने पर चढ़ावा भी चढ़ाते है। सौम्या को मिले इन्ही चढ़ावे से यहाँ मौजूद करीब 300 अशक्त गायें पल रही हैं।यहाँ कई दृष्टिहीन बछड़े अशक्त गायें हैं जिन्हें सौम्या दूध भी पिलाती है। इस गोशाला में गोअर्क के साथ-साथ गोमूत्र से औषधि भी बनाई जाती है। गोरक्षा के लिए यह गोशाला एक मिसाल है।