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भारत के जिम्मेदार और सक्रिय नागरिक कैसे बनें?
20-Feb-2023 5:27 PM
भारत के जिम्मेदार और सक्रिय नागरिक कैसे बनें?

कानून निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा बनने से नागरिकों में स्वामित्व की भावना विकसित होती है। चित्र साभार: रमेश लालवानी/सीसी बीवाई

-शची नेल्ली, शोनोत्रा कुमार

एथेंस में प्निक्स नाम का एक पहाड़ है, जहां एथेंस के निवासी इक_ा होकर राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत करते थे और अपने शहर-कस्बों के भविष्य से जुड़े फ़ैसले लेते थे। यह दुनिया के इतिहास में पहली लोकतांत्रिक परंपरा में एक सार्वजनिक मंच का एथेनियन संस्करण था। इन चर्चाओं में सभी नागरिकों ने हिस्सा लिया था जिसमें 18,000-मजबूत एक्लेसिया या एथेनियन संसद का हिस्सा रहने वाले लोग भी शामिल हैं। यह अपने साथी नागरिकों से सीखने और अपने विचारों और नजरियों को बेहतर बनाने का अवसर था जिससे पूरे समाज को लाभ पहुंच सकता था। आज भी, एक लोकतांत्रिक प्रणाली में नागरिकों की भागीदारी अपनी तत्कालीन सरकार के साथ बातचीत करने से अधिक मानी जाती है। नागरिक आंदोलन लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला हैं और ये मूल्य सरकारी व्यवस्थाओं से बाहर निकलकर, नागरिकों के साथ जुडऩे से ही हासिल किए जा सकते हैं।

आधुनिक लोकतांत्रिक सरकार के तीन प्रमुख तत्व हैं: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सरकार को चुनने/बदलने की प्रणाली, सभी नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा, और सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू नियम-कानून। लेकिन आप अपनी सरकार को लोकतांत्रिक तभी कह सकते हैं जब एक नागरिक इन तीनों बातों को अपने व्यवहार में शामिल करता है। अर्थात, लोकतंत्र तभी जीवित रहता है जब उस देश के नागरिक की सक्रिय भागीदारी होती है।

लोकतंत्र में नागरिक भागीदारी के महत्व के बारे में सभी जानते हैं और यह सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य है। इसके बावजूद हम उन नागरिकों के बीच उल्लेखनीय अंतर पाते हैं जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से जुडऩा चाहते हैं और जो वास्तविक रूप से जुड़ते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें से एक प्रभावी ढंग से जुडऩे के तरीकेों के बारे में जागरूकता की कमी है। भारत में एक नागरिक, सरकार से उसके कई स्तरों- संघ, राज्य और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ साथी नागरिकों के साथ भी जुड़ सकते हैं। इसके कुछ तरीके निम्नलिखित हैं-

केंद्र सरकार के साथ जुड़ाव
1. प्रतिनिधियों का चुनाव
हर पांच साल (सामान्य परिस्थितियों में) में, ‘हम भारत के लोगों’ को लोकसभा में उन प्रतिनिधियों को वोट देने के लिए कहा जाता है, जिनके बारे में हमें यह विश्वास होता है कि वे अपनी भूमिकाएं निभाने के योग्य और सक्षम हैं। मतदान के आंकड़ों की बात करें तो 2009 में 58 प्रतिशत से बढक़र 2019 में मतदान दर 67 फीसदी तक पहुंच गया था। इस आंकड़े को देखकर यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय आबादी का आधा से अधिक हिस्सा इस माध्यम से केंद्र सरकार से जुड़ता है।

2. कानूनों का सह-निर्माण
केंद्र सरकार के कई मंत्रालय नीतियों, संशोधनों, प्रस्तावित योजनाओं और विचारों पर आम जनता की प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं। विशिष्ट विषयों पर कानूनों का मसौदा तैयार करने वाले केंद्रीय मंत्रालय अक्सर नागरिकों और हितधारकों से उनकी टिप्पणियां मांगते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रस्तावित कानून में उन लोगों के जीवंत अनुभव शामिल हों जो इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। नागरिक अपनी प्रतिक्रिया सीधे मंत्रालयों को भेज सकते हैं या परामर्श की इस प्रक्रिया को सक्षम बनाने वाले हमारे जैसे मंचों का उपयोग कर सकते हैं।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया एकत्र करने की इस प्रक्रिया को 2014 की सरकार द्वारा बनाई गई पूर्व-विधायी परामर्श नीति (प्री-लेजिस्लेटिव कन्सल्टेशन पॉलिसी) नामक नीति प्रोत्साहित करती है। यह नीति सांसदों को कम से कम 30 दिनों की अवधि के लिए, सार्वजनिक परामर्श के लिए दस्तावेज का एक मसौदा सार्वजनिक करने को कहती है। सिविस.वोट (ष्टद्ब1द्बह्य.1शह्लद्ग) पर अपने अनुभवों से हमने पाया है कि अक्सर समुदायों से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं के लगभग 30 से 70 प्रतिशत हिस्से को अंतिम दस्तावेज़ों में शामिल कर लिया जाता है। ऐसा करने से बनाए गए नए कानून में नागरिकों की आवाज़ भी शामिल हो जाती है। उदाहरण के लिए, सिविस पर ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) नियमों के मसौदे पर एकत्र की गई प्रतिक्रियाओं में से 52 प्रतिशत को अंतिम कानून में शामिल किया गया था। कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेने से, नागरिकों में स्वामित्व की भावना विकसित होती है और संवाद के माध्यम से आम सहमति बनती है।

3. प्रश्न करना
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में नागरिकों को सरकार से पारदर्शिता, जवाबदेही और जवाब मांगने के अधिकार की गारंटी दी गई है। हालांकि जवाबदेही बनाए रखने का दायित्व निर्वाचित और अन्य सरकारी अधिकारियों पर होता है, लेकिन एक नागरिक को सार्वजनिक सूचना और सरकार के कामकाज से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछने का अधिकार है। आरटीआई अधिनियम ने एक ऐसी संरचना तैयार की है जो नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से उनके कामकाज, विभागों के कामकाज, बजट और परियोजनाओं, कुछ क्षेत्रों के नाम पर सवाल पूछने की अनुमति देती है। कानूनन सार्वजनिक अधिकारी 30 दिनों की अवधि के भीतर ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य होते हैं। अच्छी बात यह है कि इस कानून के तहत सूचना के अनुरोध की प्रक्रिया बहुत सरल है और आवेदन ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है।

4. संसद का अवलोकन
संसद के ऊपरी और निचले सदनों की सभी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण सभी भारतीय नागरिकों के लिए बिना किसी शुल्क किया जाता है। इन कार्यवाहियों को देखने से हमें अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों और सत्ता में सरकार के प्रदर्शन की गहरी समझ मिलती है। ये जानकारियां हमारे भविष्य के विकल्पों को हमारे सामने लाती हैं। संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को टेलीविजन पर या उनकी आधिकारिक वेबसाइट के जरिए देखा जा सकता है। यह वेबसाइट सदस्यों द्वारा प्रस्तुत प्रश्नों के उत्तर सहित कार्यवाही के अभिलेखागार तक नागरिकों की पहुंच भी प्रदान करती है।

5. MyGov.in के माध्यम से ऑनलाइन भाग लेना
26 जुलाई, 2014 को लॉन्च किया गया रू4त्रश1.द्बठ्ठ सरकार का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। यह प्लेटफॉर्म विभिन्न परामर्शों, क्विज, चुनावों, सर्वेक्षणों और प्रतियोगिताओं के माध्यम से सक्रिय नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देता है। बड़े पैमाने पर लोकप्रिय यह प्लेटफॉर्म नागरिकों को शासन के तरीकों से जुड़े विचारों को जुटाने का एक अवसर देता है। उदाहरण के लिए, नमामि टेट अभियान के एक हिस्से के रूप में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइयन्सेज) ने हाल ही में नागरिकों से समुद्र तट को साफ करने से जुड़े नए तरीकों पर सुझाव मांगे हैं। इस पहल के तहत मंत्रालय को सीधे प्रभावित समूहों से लगभग 2,000 सुझाव मिले हैं। तटीय प्रदूषण को कम करने के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं में इन सभी सुझावों को शामिल किए जाने की उम्मीद है। कोई भी नागरिक रू4त्रश1.द्बठ्ठ पर सीधे अपना अकाउंट बनाकर भागीदारी कर सकता है।
 

अपनी राज्य सरकार से जुडऩा
राज्य के चुनावों में मतदान करने और विभिन्न मंत्रालयों को आरटीआई दाखिल करने के साथ-साथ, आपकी राज्य सरकार के साथ जुडऩे के अन्य तरीको के बारे में यहां जानें-

टाउन हॉल में भाग लेना
केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा आयोजित सार्वजनिक परामर्शों की तरह ही राज्य सरकारें अक्सर उन जगहों पर टाउन हॉल्स और सार्वजनिक बैठकों का आयोजन करती है, जहां नीति में किसी प्रकार की कमी है या उसमें संशोधन की आवश्यकता है। ये टाउन हॉल्स नागरिकों को उनके अनुभवों, विचारों और समस्याओं के बारे में बताने का अवसर देते हैं। किसी भी नीति का मसौदा तैयार करने या आवश्यक बदलावों को करते समय, राज्य सरकारें नागरिकों के अनुभवों, विचारों और समस्याओं का ध्यान रखती हैं। ऐसे टाउन हॉल या इन जैसे मंचों का संचालन करने वाले अधिकारी आमतौर पर ऑनलाइन और अन्य पारंपरिक मीडिया स्रोतों का उपयोग करके उनका प्रचार करते हैं।

इसका सबसे ताजा उदाहरण तमिलनाडु सरकार है। तमिलनाडु सरकार ने ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने या उन्हें विनियमित करने का फैसले लेने के लिए इस तरीके को अपनाया था। इस मामले में नए कानून पर विचार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) के चंद्रु की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के मिलने के बाद सरकार ने सभी संबंधित हितधारकों (आम जनता, अभिभावक, शिक्षक, छात्र, युवा, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता और ऑनलाइन गेमिंग प्रोवाइडर) को संभावित प्रतिबंध या विनियमितता पर अपने विचार रखने के लिए टाउन हॉल में आमंत्रित किया था। लोगों को एक ऐसा मंच प्रदान किया गया जहां विभिन्न खेल सेवाओं का लाभ उठाने वालों पर पडऩे वाले, इसके नतीजों पर चर्चा तो हुई ही। साथ ही, इस उद्योग में शामिल लोगों पर पडऩे वाले इसके प्रभाव पर भी बातचीत सम्भव हो सकी। इसके तुरंत बाद ही राज्य के कैबिनेट ने एक अध्यादेश जारी किया जिसके तहत राज्य में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

अपने नगर निगम से जुडऩा
नगरपालिका, पंचायत, और अन्य स्थानीय चुनावों में मतदान करने और विभिन्न विभागों में आरटीआई दाखिल करने के साथ-साथ, आपकी स्थानीय सरकार के साथ जुडऩे के कुछ तरीके-
वार्ड/पंचायत/ब्लॉक, निर्वाचन क्षेत्रों से छोटे होते हैं, और इसलिए उन्हें चलाने के लिए चुने गए लोगों में अपने नागरिकों के साथ जुडऩे और प्रक्रियाओं में शामिल होने की क्षमता अधिक होती है। हालांकि एक वार्ड के निर्वाचित प्रतिनिधियों का दायरा पानी, स्वच्छता, पार्क और सडक़ों जैसे सार्वजनिक स्थानों के रखरखाव जैसे नगर निगम के मुद्दों को हल करने तक सीमित है। लेकिन जब आप इन प्रतिनिधियों से जुड़ते हैं, तब नागरिक मुद्दों पर इनके प्रत्यक्ष और सार्थक प्रभाव की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, ऐसे कई कारक हैं जो तेज और सकारात्मक परिणामों के पक्ष में काम करते हैं: एक सक्रिय और भागीदारी करने वाला नागरिक वर्ग, वार्ड कार्यालयों तक सीधी पहुंच और नागरिक निकायों का पारदर्शी कामकाज।

नागरिक अपने वार्ड/पंचायत कार्यालयों में जाकर, उन्हें पत्र लिखकर या उनके हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करके अपने स्थानीय सरकारी अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। कुछ स्थानीय सरकारों- जैसे मुंबई- ने भी अपने सोशल मीडिया इकोसिस्टम को इस तरह से बनाया है कि नागरिक अपनी समस्याएं बताने के लिए इन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकें।

किसी विशेष मुद्दे पर अधिकारियों से संपर्क साधने के अलावा नागरिकों को नगर निगमों या पंचायतों द्वारा लिए जाने वाले बजट संबंधी फैसलों या नीतियों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। नागरिक, प्रजा जैसे संगठनों द्वारा जारी की गई रिपोर्टों के माध्यम से अपनी स्थानीय सरकारों के काम की समीक्षा कर सकते हैं।

नागरिक से नागरिक का जुड़ाव
1. नागरिक/राजनीतिक आंदोलनों में शामिल होना
नागरिकों को उन मुद्दों से जुड़े आंदोलनों या प्रदर्शनों में सक्रियता से भाग लेना चाहिए जिनसे वे सीधे रूप से प्रभावित होते हैं या फिर जिनसे वे सहमत होते हैं। ऐसा करने से समुदायों के बीच एकजुटता विकसित होती है। वैकल्पिक रूप से, स्टडी सर्कल या राजनीतिक दल के मंचों के जरिए, राजनीतिक विचारधाराओं के बारे में जानना अपनी नागरिक भागीदारी की ताकत का प्रयोग करने का एक और तरीका है।

2. अपने समुदाय का निर्माण
अपने समुदाय की बेहतरी के लिए नागरिक समाज संगठनों या क्लबों से स्वेच्छापूर्वक जुडक़र काम करना, किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे शक्तिशाली हथियार है। सफाई-अभियानों में शामिल होने या एडवांस लोकल मैनेजमेंट (एएलएम) जैसे नागरिक आंदोलनों में शामिल होने से एक सशक्त समुदाय के निर्माण में मदद मिल सकती है। अपने कौशल के आधार पर काम शुरू करना सबसे अधिक लाभदायक होता है।

3. अपनी आवाज उठाना
नागरिकों के पास शासन के मुद्दों पर अपने विचार और राय व्यक्त करने के कई विकल्प हैं। इन विकल्पों में प्रतियोगिताओं में बहस करना, सामाजिक कार्यक्रमों की बातचीत में शामिल होना या सोशल मीडिया पर रचनात्मक रूप से अपनी राय व्यक्त करना वगैरह शामिल हैं। अपने विचारों को सामने रखने और प्रसारित करने जैसा एक सामान्य सा काम एक सक्रिय नागरिक बनने की लंबी सीढ़ी पर पहला कदम है। लेख लिखकर या अपनी राय व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करके अपने विचारों और अभिव्यक्तियों का योगदान देना और राजनीतिक या शासन के मुद्दों पर संवाद शुरू करना भी नागरिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यूथकीआवाज और यौरस्टोरी जैसे प्लेटफॉर्म नागरिकों को जोडऩे के लिए एक मंच प्रदान करने में सहायक रहे हैं।

4. सामुदायिक जागरूकता का निर्माण
स्थानीय और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के बारे में नागरिक जागरूकता लाना लेखन से परे है। महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने के लिए रंगमंच समूह और अन्य कला समूह अक्सर अपनी कला का उपयोग करते हैं। उनके प्रदर्शनों ने उत्पीडऩ पर संवाद को उचित ठहराने में मदद की है और नागरिकों को संगठित होने और संस्थागत परिवर्तन लाने का एक अवसर प्रदान किया है। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश के हरदा गांव के कॉम्यूटिनी संगठन से जुड़े युवा नागरिकों के एक समूह—या ‘जस्टिस जाग्रिक्स’ ने नागरिकों को संवैधानिक अधिकारों की जानकारी देने के लिए ‘कबीर के दोहे’ का इस्तेमाल किया है। रंगमंच (थिएटर) कलाकारों के कई ऐसे समूह भी हैं जो महिलाओं के अधिकारों पर बातचीत शुरू करने के लिए दिल्ली में नुक्कड़ नाटकों का आयोजन करते हैं।

5. विरोध प्रदर्शन में शामिल होना
आजादी से पहले से ही विरोध प्रदर्शन भारत में नागरिक समाज आंदोलनों का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। आज भी यह साथी नागरिकों और सरकारों के साथ स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक स्थापित तरीका बना हुआ है। भारत में विरोध करना कानूनी है। विरोध के अधिकार को संविधान से दो मौलिक अधिकारों- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और बिना हथियारों के शांतिपूर्वक इक_ा होने का अधिकार द्वारा समर्थन प्राप्त है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी विरोध-प्रदर्शन का आयोजन तभी किया जाना चाहिए जब आवश्यक अनुपालन पूरा हो और इसकी शर्तें पूरी हों (उदाहरण के लिए, लाउडस्पीकर और टेंट के लिए अनुमति प्राप्त करना)। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कानून के पूर्ण अनुपालन के बावजूद अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग हो सकती हैं। ऐसी परिस्थितियों के लिए आपके पास नागरिकों के अधिकारों और आपके लिए उपलब्ध संसाधनों से जुड़ी सही जानकारियां होना हितकर होता है।

नागरिकों के लिए सरकारों के साथ जुडऩे के कई स्थापित तरीके हैं- कुछ कानूनों से और कुछ सीधे समुदायों से। हालांकि जुडऩे का कोई एक सही तरीका नहीं है। लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था नागरिकों को ऐसी कई सुविधाएं और विकल्प प्रदान करती है। इनके माध्यम से वे सरकार के साथ बातचीत एवं आपसी संवाद दोनों के लिए उपयुक्त तरीके का चयन कर सकते हैं। (idronline.org)

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