विचार / लेख
शुभम किशोर
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और राज्यसभा की मनोनीत सांसद पीटी उषा ने गुरुवार को भारतीय ओलंपिक संघ की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद कहा कि ‘पहलवानों का सडक़ों पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि खराब’ हो रही है।
इसके अलावा, उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ को चलाने के लिए तीन सदस्यों का एक पैनल बनाने का भी एलान किया है।
इसमें पूर्व निशानेबाज़ सुमा शिरूर, वुशु एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बाजवा और हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज सदस्य होंगे। हालांकि जज का नाम अभी तय नहीं हुआ है।
पीटी उषा के ताजा बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा है कि ‘उनसे इतने कड़े बयान की उम्मीद नहीं थी।’
ओलंपिक मेडलिस्ट बजरंग पुनिया ने कहा, ‘वे खुद एक महिला हैं। ये सुनकर बड़ा दुख हुआ। हमने तीन महीने इंतजार किया है। हम उनके पास भी गए हैं। लेकिन हमारे साथ न्याय नहीं हुआ और हमें यहां आना पड़ा।’
धरने पर बैठी एक अन्य पहलवान साक्षी मलिक ने पीटी उषा के बयान पर कहा, ‘एक महिला खिलाड़ी हो कर वे ऐसी बात कर रही हैं। ये बात सुनकर बहुत दुख हुआ। हम उनसे प्रेरित होते रहे हैं। हमने कहां अनुशासनहीनता कर दी। हम तो शांति से बैठे हैं। हमें ये मजबूरन करना पड़ रहा है।’
महिला पहलवानों विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ बजरंग पुनिया इस आंदोलन के केंद्र में है। दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रहे धरने का गुरुवार को पांचवां दिन है।
जंतर मंतर पर पहलवानों के प्रदर्शन में बुधवार की तुलना भीड़ और सुरक्षा बढ़ी हुई दिखी। पुलिस ने चारों ओर से बैरिकेडिंग कर रखी थी और अलग-अलग किसान और छात्र संगठनो से जुड़े लोगों का आना लगातार जारी था।
थोड़ी थोड़ी देर पर किसानों और पहलवानों के समर्थन में नारे सुनाई देने लगते थे। बैरिकेडिंग के अंदर बैठे लोग बारी-बारी भाषण दे रहे थे। इनमें से ज़्यादातर लोग किसान संगठनों और खाप पंचायत से जुड़े थे।
लोग मौजूदा सरकार और पीएम मोदी की आलोचना कर रहे थे और बीजेपी सांसद और कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
गुरुवार को जंतर मंतर पर अधिक भीड़ नहीं दिखी। मीडिया के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे, सभी इंतज़ार कर रहे थे कि कोई बड़ा नेता इस प्रदर्शन से जुडऩे आएगा।
जनवरी में पहलवान, नेताओं के साथ मंच साझा नहीं कर रहे थे। लेकिन इस बार मंच पर नेताओं को आने से नहीं रोका जा रहा। दोपहर कऱीब 12 बजे राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी वहां पहुंचे।
उन्होंने वहां विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवान बजरंज पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत दूसरे लोगों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा, ‘डर का माहौल बनाया गया है। सरकार को तीन महीने पहले ही खिलाडिय़ों की बात माननी चाहिए थी। अब इस मामले में तुरंत केस दर्ज होना चाहिए। इसके साथ ही हरियाणा से कई खाप पंचायत के सदस्य भी जंतर मंतर पर धरना दे रहे खिलाडिय़ों का समर्थन करने पहुंचे हैं।’
इसके साथ ही भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैट भी वहां पहुंचे । उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों को तुरंत न्याय मिलना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बिरेंद्र डागर ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ‘पिछली बार किसानों ने जब आंदोलन किया था, तो सरकार को कानून वापस लेने पड़े थे। अगर इस बार भी न्याय नहीं हुआ तो हम यहीं बैठेंगे।’
उन्होंने दावा किया कि 11 से ज़्यादा किसान संगठन इस प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। दो दिनों पहले बजरंग पुनिया ने खाप पंचायतों से अपील की थी वो आंदोलन को अपना समर्थन दें। इसका असर गुरुवार को देखा जा सकता था।
दिल्ली के आसपास के कई गांवों से खाप पंचायत के लोग वहां मौजूद थे। इन्हीं में से एक खदान सिंह ने बीबीसी से कहा, ‘ये किसानों की बेटियां है, उन्हें खिला पिलाकर हमने इस लायक बनाया है, उनके साथ किसी तरह से गलत व्यवहार को हम स्वीकार नहीं करेंगे।’
कई छात्र संगठन भी विरोध-प्रदर्शन में मौजूद थे। वहां मौजूद श्रेया ने कहा, ‘2012 में जब आंदोलन हुआ था तो पूरे देश में फैल गया था। अभी ये शुरुआत है, ये चिंगारी है जिसकी आग पूरे देश में फैलेगी।’
आंदोलन का अगला कदम क्या होगा?
धरने पर बैठे पहलवानों का कहना है कि वो अपनी अगली रणनीति सुप्रीम कोर्ट के शक्रवार के फैसले के बाद करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज नहीं की है। पहलवानों की मांग है कि बृजभूषण सिंह से खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और मामले की जांच शुरू हो।
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले किसी तरह की प्रारंभिक जांच की जरूरत है।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ से कहा कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी है तो ऐसा किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पुलिस को लगता है कि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनकी प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत है’। सुप्रीम कोर्ट अब शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
बीबीसी से बात करते हुए साक्षी मलिक ने कहा उनकी मांग है कि फेडरेशन में नए सिरे से नियुक्तियां की जाएं। उन्होंने कहा, ‘वैसे लोग जो मेहनत कर आगे बढ़े हैं, कई अवार्ड जीते हैं, उन्हें फेडरेशन में नियुक्त करने की जरूरत है।’
कुश्ती फेडरेशन के चुनावों को खेल मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। उन्होंने एक कमेटी से कहा है 45 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाएं। इसपर मलिक कहती है, ‘चुनाव होगा तो फिर इन्हीं के लोग चुनकर आएंगे। इनके लोग राज्यों के फेडरेशन में हैं, उन्हीं में से कोई चुनकर सामने आएगा।’
वहीं बृज भूषण सिंह ने कहा कि वो बिना लड़े इस मुद्दे से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, ‘जिस दिन मैं अपने जीवन की समीक्षा करूंगा कि क्या खोया क्या पाया, जिस दिन मैं महसूस करूंगा कि मेरे संघर्ष करने की क्षमता अब समाप्त हो गई है, जिस दिन मैं महसूस करूंगा मैं लाचार हूं, मैं बेचारा हूं, मैं ऐसी जिंदगी जीना पसंद नहीं करूंगा। मैं चाहूंगा कि ऐसी जिंदगी जीने के पहले मौत मेरे करीब आ जाए।’ इससे पहले मंगलवार को सिंह ने कहा था कि ‘मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट फैसला करेगा।’
क्या है मामला?
खिलाडिय़ों ने विश्व कुश्ती महासंघ को एक लिखित शिकायत दर्ज की और कहा था कि भारतीय संघ के अध्यक्ष ने महिला खिलाडिय़ों का यौन शोषण किया है। इस बात का संज्ञान लेते हुए यूनाइटेड वल्र्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने दिल्ली से मेजबानी लेकर कजाखस्तान को दे दी है।
एशियाई चैंपियनशिप दिल्ली में अप्रैल के महीने में होनी थी। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह की छवि एक बाहुबली नेता की है।
देश के नामी पहलवानों ने उनके तानाशाही रवैये के खिलाफ मोर्चा खड़ा किया और ये आरोप लगाया कि बृजभूषण शरण सिंह ने कई महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है।
जनवरी में तीन दिनों तक पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे रहे और जब तक सरकार ने निष्पक्ष जाँच का आश्वासन नहीं दिया, वहाँ से वे नहीं हिले।
बृज भूषण शरण सिंह ने सभी आरोपों से इनकार किया था और उल्टे खिलाडिय़ों को ही घेरा था।
धरने के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विनेश फोगाट ने कहा था, ‘कोच महिलाओं को परेशान कर रहे हैं और फेडरेशन के चहेते कुछ कोच तो महिला कोचों के साथ भी अभद्रता करते हैं। वे लड़कियों को परेशान करते हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रेसीडेंट ने कई लड़कियों का यौन उत्पीडऩ किया है।’
फोगाट ने ये भी दावा किया था, ‘वे हमारी निजी जिंदगी में दखल देते हैं और परेशान करते हैं। वे हमारा शोषण कर रहे हैं। जब हम ओलंपिक खेलने जाते हैं तो न तो हमारे पास फिजियो होता है न कोई कोच। जब हमने अपनी आवाज उठाई तो उन्होंने हमें धमकाना शुरू कर दिया।’
दूसरी ओर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था, ‘कोई भी आदमी ऐसा है जो कह सके कि कुश्ती महासंघ में एथलीटों का उत्पीडऩ किया गया है।’
उन्होंने ये भी दावा किया कि ‘किसी भी एथलीट का यौन शोषण नहीं हुआ है। अगर यह सच साबित होता है तो वे फाँसी पर लटकने को तैयार हैं।’
खिलाडिय़ों के आरोपों के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने एमसी मेरी कॉम की अगुवाई में जाँच के लिए निगरानी समिति का गठन किया था।
इस समिति में बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त को शामिल किया गया था। इस दौरान समिति को मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ के रोजमर्रा के काम को देखने की भी जि़म्मेदारी दी थी और बृजभूषण शरण सिंह को इससे अलग रखा गया था।
हालांकि अभी तक इस जांच समिती की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई है। पहलवान रिपोर्ट की जानकारियां साझा करने की भी मांग कर रहे हैं। (bbc.com/hindi)