विचार / लेख

मणिपुर को कौन जला रहा है?
30-May-2023 3:45 PM
मणिपुर को कौन जला रहा है?

 सनियारा खान

 तीन मई से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। हिंसा शुरू होते ही बॉक्सर मेरी कॉम ने ट्विटर कर प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और प्रधान मंत्री कार्यालय को मणिपुर को हिंसा से बचाने का अनुरोध किया था। लेकिन उस समय किसी ने कोई भी कार्रवाई करने में जल्दी नहीं की। क्योंकि प्रधान मंत्री महोदय और बाकी सभी केंद्रीय मंत्री कर्नाटक के चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।

हालांकि कुछ समय के लिए यह आग धीमी हुई थी। लेकिन अब फिर से आग जलना शुरू हो गई है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 71लोग मारे गए हैं। लेकिन गैर सरकारी आंकड़े इसे 300 तक मानते हैं। 300 के करीब लोग घायल भी हुए । बाहरी राज्यों से आ कर यहां पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राओं को एयरलिफ्ट करके उनके राज्यों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। लोगों के घरों में आग लगा कर लूट पाट बढ़ जाने के कारण भयभीत लोग असम, मेघालय, मिजोरम आदि राज्यों में शरण ले कर जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। करीब 10000 लोग विस्थापित जीवन जी रहे हैं।

इतना सब कुछ होने के बाद भी राज्य सरकार और केंद्र सरकार शान्ति के प्रयास के कोई ठोस कदम उठाते नही दिख रही है। मणिपुर की राजधानी इम्फाल में फिर से हिंसात्मक गतिविधि शुरू हो गई हैं । कई घरों में फिर से आग लगा दी गई है। प्रशासन द्वारा फिर एक बार कर्फ्यू जारी किया गया और इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है। मणिपुर से अभी अभी रिटायर्ड हुए एक आईपीएस अधिकारी, जो इम्फाल में सपरिवार रहते हैं, उनका बयान काफी डराने वाला है। वे कहते है कि संघर्ष बहुत भयानक हो गया था। रात के डेढ़ बजे अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ अपने घर की दीवाल फांद कर पड़ोसी के घर के पीछे की एक खाली जगह पर जा कर जैसे तैसे वे सभी जागते हुए रात गुजारी। वे लोग यही सोच रहे थे कि सुबह तक ये सब खत्म हो जाएगा। लेकिन सुबह तक भी हिंसा थमी नहीं। किसी तरह छुपते छुपाते वे लोग पास के ही एक सीआरपीएफ शिविर में जा कर शरण ली। उनके पास पैसा, कपड़ा कुछ भी नहीं था। फिर उनको खबर मिली कि उनके घर को पूरी तरह जला कर लोगों ने घर से सारा सामान लूट कर ले गए। अब वे सब शिलांग में एक शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं।

एक अफसर का अगर ये हाल है तो मणिपुर की आम जनता के लिए आप और हम सोच सकते है कि वहां क्या हो रहा है! इतने दिनों में भी केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने मणिपुर आने की तकलीफ़ नहीं उठाई।

 शुरू से ले कर अब तक इस मामले में खामोश  प्रधान मंत्री अभी अभी विदेश यात्रा करके आए है। लेकिन मणिपुर को लेकर पता नहीं क्यों वे खामोश रहना ही पसंद कर रहे है। वैसे सुनने में आया कि गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्य मंत्री श्री वीरेन सिंह जी को दिल्ली में बैठे बैठे ही खूब हडक़ाया है। फिर उन्होंने रिटायर्ड आईपीएस अफसर कुलदीप सिंह को मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए भेज दिया है। पता चला कि कुलदीप सिंह गृह मंत्री के सुरक्षा सलाहकार है । अभी तो गृह मंत्री गुवाहाटी भी गए थे जनता के साथ रिश्ता बढ़ाने के लिए। उन्होंने अब जा कर गुवाहाटी में तय किया कि वे जल्दी ही मणिपुर का दौरा करेंगे और लोगों से शांति की अपील करेंगे। देर आए दुरुस्त आए। नेक खयाल है।

मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच में ही मुख्य रूप से ये झगड़ा है। मैतेई को बहुसंख्यक और कुकी को अल्प संख्यक माना जाता है। मैतेई लोगों में ज्यादातर हिंदू धर्म को मानते हैं और कृष्ण भक्त होते हैं। लेकिन कुछ क्रिश्चियन धर्म मानने वाले भी है। मुख्य मंत्री श्री वीरेन सिंह जी के बारे में कहा जाता है कि वे मैतेई समूह के लिए हमेशा नरम रुख रखते है। कुकी जनजाति समुह पहाड़ों में बसते हैं और ज्यादातर क्रिश्चियन धर्म को मानने वाले हैं। इम्फाल के समतल भूमि पर मैतेई लोगों का कब्ज़ा हैं।

राज्य में मैतेई समुह का प्रतिशत 53 है , नगा 24 प्रतिशत है और कुकियों का प्रतिशत 16 है। अब मैतेई लोग खुद के लिए जनजाति का दजऱ्ा चाहते हैं ताकि उन्हें कुकियों के साथ बराबरी से और भी सुविधाएं मिल सके, जबकि कहा जाता है कि कुकी जनजाति से वे लोग काफ़ी समृद्ध जीवन जीते हैं। मणिपुर न्यायालय द्वारा इसी बात को स्वीकार करते ही जनजातीय एकता संगठन ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

कहते है कि इस आंदोलन में मैतेई लोगों ने अचानक आक्रमण कर संघर्ष की शुरुवात कर दी। इसी के बाद भयानक खूनी संघर्ष शुरू हो गया। कुकी जनजाति का कहना है कि मैतेई लोग सरकार से समर्थन प्राप्त है। इधर मैतेई कहते हैं कि कुकी लोग उन पर आक्रमण कर रहे हैं। कुछ इलाके में कई मंदिरों को जलाया गया है कह कर विश्व हिंदू परिषद के मिलिंद परांदे जी हंगामा कर रहे थे , उसी समय जनजातीय संगठन ने पत्रकारों के सामने खुलासा किया कि वहां तो कोई मंदिर ही नहीं है। क्योंकि वहां क्रिश्चियन धर्म पालन करने वाले लोग ज्यादा हैं। पास में दूसरी जगह पर एक भव्य मंदिर है, जो पूरी तरह सही सलामत है। लेकिन कई अलग अलग जगहों पर कम से कम 100 चर्च जलाए जाने की बात सच पाई गई है।

कुकी और मैतेई दोनों पक्ष एक दूसरे पर ये आरोप भी लगा रहे हैं कि राज्य के सत्ता पक्ष उनके जरिए जान-बूझकर हिंसा फ़ैला रही है। लोग मुख्य मंत्री को हटाने के लिए कह रहे हैं। खबर ये भी आ रही है कि कई बीजेपी नेताओं के साथ जगह जगह लोग मारपीट कर रहे हैं। शायद अब कुकी और मैतेई के साथ साथ दूसरे जनजातियों को भी ये लगने लगा है कि उन सब को आपस में लड़वा कर मणिपुर में भी कट्टर हिन्दू सोच को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है।

खबर तो ये भी है कि मूलत: ग़ैर आदिवासियों को पहाड़/ जंगल पर हक़ दिलाकर अडानी के प्रवेश की योजनाएँ आसान करना हैं। अडानी की नजऱें वहाँ के चूना पत्थर, क्रोमाइट, निकल, तांबा, मैलाकाइट, अज़ूराइट और मैग्नेटाइट और तत्वों के विभिन्न प्लैटिनम समूह (पीजीई) जैसे खनिजों पर है। आज मणिपुर में जो कुछ हो रहा है , ये सब शायद उसी का नतीजा है।

अब एक और खबर मिली कि एक बीजेपी नेता को दो लोगों के साथ मिल कर दंगा भडक़ाने के आरोप में पकड़ लिया गया है। ये नेता पहले मणिपुर विधान सभा में डिप्टी स्पीकर भी रह चुके है। फिर ये खबर भी आई कि रैपिड एक्शन फोर्स के कुछ जवान ही आगजनी करते हुए पकड़े गए। कुल मिला कर अब ये लग रहा है कि हो सकता है ये हिंसा किसी सोची समझी रणनीति का ही हिस्सा है। लेकिन जो भी हो, मणिपुर को दूसरा कश्मीर बनने से रोकने के लिए सभी को आगे बढ़ कर सही दिशा में कदम बढ़ाना होगा, मुंह खोलना होगा और गलत कामों का प्रतिवाद भी करना होगा। भाईचारे के बिना ये देश बर्बाद हो जाएगा। इस बात को हम जितनी जल्दी समझ जाए उतना अच्छा है।

अब केंद्रीय गृह मंत्री भी तीन दिन के लिए मणिपुर जा रहे है। उम्मीद रखते है कि मणिपुर में हिंसा और नफऱत ख़त्म करने में वे सफल होंगे। उम्मीद पे ही तो दुनिया कायम है। बस ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हिंसा और नफऱत के नाम पर कोई निर्दोष भी नहीं फंसना चाहिए।

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