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मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने के बयान पर भारत का जवाब, कैसे बिगडऩे शुरू हुए थे संबंध
06-Oct-2023 9:39 PM
मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने के बयान पर भारत का जवाब, कैसे बिगडऩे शुरू हुए थे संबंध

भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि मालदीव की नई सरकार के साथ भारत हर मुद्दे पर बात करने को उत्सुक है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के उस बयान पर सवाल पूछा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना के कर्मियों को मालदीव छोडऩे के लिए कहा जा सकता है।

बुधवार की शाम मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने मोहम्मद मुइज़्ज़ू से मुलाकात की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बधाई संदेश सौंपा था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘माले में हमारे उच्चायुक्त ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। दोनों के बीच कई मुद्दों पर अच्छी बातचीत हुई। इस बातचीत में आपसी सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे।’ भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि मोहम्मद मुइज़्ज़ू के शपथ ग्रहण समारोह भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। 2018 में इब्राहिम सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरीक हुए थे। इसे भारत की तरफ से अप्रत्याशित रुख के तौर पर देखा गया था।

मोहम्मद मुइज़्ज़ू की जीत
पिछले हफ्ते ही माले के मेयर मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को 19000 मतों से हरा दिया था। दोनों के बीच हार का अंतर आठ प्रतिशत वोटों का था। मालदीव के इस चुनावी नतीजे को भारत के ख़िलाफ़ देखा गया और चीन के पक्ष में। इब्राहिम सोलिह की सरकार के साथ भारत का सहयोग बहुत गहरा था। उन्हें भारत के हितों के खिलाफनहीं जाने वाले राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाता था।

मुइज्ज़़ू के चुनावी अभियान में भारत एक अहम मुद्दा था। उन्होंने ही इंडिया आउट कैंपेन भी चलाया था। मुइज़्ज़ू का कहना था कि उनकी सरकार मालदीव की संप्रभुता से समझौता कर किसी देश से कऱीबी नहीं बढ़ाएगी।

मंगलवार को मालदीव के मीडिया में मुइज़्ज़ू का एक और बयान सुर्खियों में था। उन्होंने राष्र्टपति चुनाव में जीत के बाद कहा था, ‘लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो। विदेशी सैनिकों के मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।’

द हिन्दू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘हिन्द महासागर में भारत की सैन्य मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। अब्दु और लम्मू द्वीप में 2013 से ही भारतीय नौसैनिकों और एयरफोर्स कर्मियों की मौजूदगी रही है। नवंबर 2021 में मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स ने संसदीय कमिटी से कहा था कि मालदीव में कुल 75 भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद हैं। फरवरी 2021 में मालदीव की विपक्षी पार्टियों ने भारत के साथ मैरीटाइम सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट का विरोध किया था।’

भारत ने मालदीव को दो हेलिकॉप्टर दिए थे, इसे लेकर भी विवाद हुआ था। अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने 2018 में भारत से उपहार स्वरूप मिले दो नेवी हेलिकॉप्टर को वापस ले जाने के लिए कहा था। भारत ने मालदीव को ये हेलिकॉप्टर राहत बचाव कार्य के लिए दिए थे।

मोहम्मद मुइज़्ज़ू के बयान कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाया जाएगा पर अरिंदम बागची ने कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा। बागची ने कहा, ‘मालदीव के साथ हमारी साझेदारी का फोकस साझी चुनौतियां और प्राथमिकताएं हैं। एक पड़ोसी के तौर पर हमारे लिए ज़रूरी है कि मिलकर काम करें।’

मालदीव में भारत
भारतीय फिल्म, फैशन, फूड की लोकप्रियता मालदीव में किसी से छुपी नहीं है। भारतीय शहर तिरुवनंतपुरम माले के करीब है। दसियों हजार मालदीव के नागरिक हर साल भारत आते हैं। खासकर इलाज के लिए भारत इनका सबसे पसंदीदा ठिकाना रहा है।

इस छोटे से द्वीप समूह की सुरक्षा में भारत की अहम भूमिका रही है। 1988 में राजीव गांधी ने सेना भेजकर मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था। 2018 में जब मालदीव के लोग पेय जल की समस्या से जूझ रहे थे तो प्रधानमंत्री मोदी ने पानी भेजा था। इसके बाद मोदी सरकार ने मालदीव को कई बार आर्थिक संकट से निकालने के लिए कर्ज भी दिया।

तनाव की शुरुआत
भारत और मालदीव के रिश्तों में 2018 में सबसे ज़्यादा कड़वाहट आई है। इसकी शुरुआत मालदीव के सुप्रीम कोर्ट के 2018 में एक फरवरी के फ़ैसले से हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने विपक्ष के नेताओं को क़ैद करवाकर संविधान और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद समेत सभी विपक्षी नेताओं को रिहा करे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इंकार कर दिया था।

इसके साथ ही यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। यह आपातकाल 45 दिनों तक चला था। भारत ने इस आपातकाल का विरोध किया था। भारत ने कहा था कि मालदीव में सभी संवैधानिक संस्थाओं को बहाल करना चाहिए और आपातकाल को तत्काल ख़त्म करना चाहिए।

मालदीव में नाटकीय राजनीतिक संकट भारत और चीन दोनों के लिए परेशान करने वाला था। इसी संकट के बीच यामीन ने चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब में अपने दूत भेजे थे। इसके बाद चीन ने चेतावनी दी कि मालदीव के आंतरिक मामले में किसी भी देश को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसमें रचनात्मक भूमिका अदा करे।

चीन ने कहा था कि किसी भी सूरत में मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ़ मालदीव के विपक्षी नेता नाशीद चाहते थे कि भारत मदद करे।
वो भारत से सैन्य हस्तक्षेप की भी उम्मीद कर रहे थे ताकि जजों को हिरासत से मुक्त कराया जा सके। नाशीद ने अमेरिका से भी मदद की गुहार लगाई थी।

इस गतिरोध के बीच समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक चीनी न्यूज़ वेबसाइट के हवाले से बताया था कि चीन युद्धपोत मालदीव की तरफ़ बढ़ गए हैं। भारतीय नेवी ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि चीनी युद्धपोत सुंदा और लोंबोक जलडमरुमध्य से आगे बढ़ रहे हैं।
हालांकि चीनी युद्धपोत की हिंद महासागर में तैनाती कोई नहीं बात नहीं है। चीन का जिबुती में पहले से ही एक सैन्य ठिकाना है।

चीन के लिए मालदीव सामरिक रूप से काफ़ी अहम ठिकाना है। मालदीव रणनीतिक रूप से जिस समुद्री ऊंचाई पर है, वो काफ़ी अहम है। चीन की मालदीव में मौजूदगी हिंद महासागर में उसकी रणनीति का हिस्सा है। 2016 में मालदीव ने चीनी कंपनी को एक द्वीप 50 सालों की लीज महज 40 लाख डॉलर में दे दिया था।

दूसरी तरफ भारत के लिए भी मालदीव कम महत्वपूर्ण नहीं है। मालदीव भारत के बिल्कुल पास में है और वहाँ चीन पैर जमाता है तो भारत के लिए चिंतित होना लाजमी है। भारत के लक्षद्वीप से मालदीव कऱीबी 700 किलोमीटर दूर है और भारत के मुख्य भूभाग से 1200 किलोमीटर।

मालदीव चीन और पाकिस्तान की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड का भी खुलकर समर्थन कर रहा है। अगर भारत मालदीव से दूर होता है तो दक्षिण एशिया के बाकी छोटे देशों में भी चीन का प्रभाव बढ़ेगा। (bbc.com/hindi)

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