विचार / लेख
![क्या राहुल की राजनीति बदल रही है? क्या राहुल की राजनीति बदल रही है?](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1697044371ahul_-1.jpg)
- अपूर्व भारद्वाज
आडवाणी जब रथ यात्रा पर निकले थे तो तबके प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने लालू यादव से पूछा कि बीजेपी की धर्म की राजनीति की काट क्या है लालू ने बोला कि केवल सामाजिक न्याय ही धर्म की राजनीति को पटखनी दे सकता है।
वीपी सिंह मंडल आयोग की सिफारिश लागू कर चुके थे बीजेपी को गेम समझ आ रहा था इसलिए उसने दबी जुबान में मंडल का विरोध करके कमंडल पकड़ कर रथ निकाल लिया ताकि ओबीसी का पूरा वोट बैंक वीपी सिंह की गोद में न चला जाये कांग्रेस इस दोनों मुद्दों पर रहस्यमय ढंग से चुप रही और इसलिए यूपी औऱ बिहार में इतिहास हो गई।
2014 के चुनाव में बिहार में बुरी तरह हारने के बाद यही सवाल नीतीश ने लालू से पूछा और जवाब वही था सामाजिक न्याय.. 2015 में महा-गठबंधन बना और बीजेपी बिहार में बुरी तरह हार गई। कांग्रेस तब उनके साथ थी पर तब भी कांग्रेस मुखर नहीं थी क्योंकि कांग्रेस को हमेशा उस सवर्ण वोट का लालच था जो 2014 के बाद से उसके पास कभी लौट कर नहीं आया था 2023 में यही सवाल राहुल गांधी ने नीतीश और लालू से पूछा और जवाब वही था कि सामाजिक न्याय....इस बार राहुल गाँधी ने इसे समझ लिया है कि बीजेपी के धर्मपाश में बंधा पेटभरा सवर्ण मतदाता कम से कम 2029 तक लौट कर नहीं आ रहा है, इसलिए मंडल 2.0 का दांव चल दिया है। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की तर्ज पर ‘जितनी आबादी उतना हक का नारा’ अब 2024 तक की हर चुनावी रैली मे लगेगा और यह गेम चेंजर हो सकता है तो क्या 2024 मंडल 1ह्य कमंडल होगा ? याद रखिए राहुल ने जातीय जनगणना के साथ गरीबों की आर्थिक गणना की भी बात की है तो क्या राहुल बीजेपी के घोर पूंजीवाद साम्प्रदायिक मॉडल के विरुद्ध सामाजिक न्याय और गरीबी को मिलाकर एक नया समाजवाद मॉडल खड़ा कर 2024 में बीजेपी के लौटने के सारे दरवाजा बंद कर देंगे ? यह सवाल अगले 6 महीने में हर राजनीतिक पंडित के जिह्वा पर रहेगा।