विचार / लेख
-डॉ. आर.के. पालीवाल
मध्य प्रदेश चुनाव में गृह मंत्री के अनुचित आचरण के दो उदाहरण ही काफी हैं। उनका बयान आया है कि जो अधिकारी कमल का ध्यान नहीं रखेंगे उन्हें छोडऩा नहीं, उनकी शिकायत चुनाव आयोग से जरूर करना। क्या अधिकारियों का कार्य कमल का ध्यान रखकर अन्य दलों को नुक्सान पहुंचाना है या निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना है? यदि यह बयान संगठन के किसी पदाधिकारी की तरफ से आता तो इसकी उतनी गंभीरता नहीं होती लेकिन देश के गृहमंत्री की तरफ से आए ऐसे बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जरूरी है क्योंकि राज्यों की दो सबसे प्रमुख सेवाओं आई ए एस और आई पी एस के अधिकारियों की कमान गृह मंत्रालय के हाथ में ही होती है।
वैसे भी गृह मंत्री अमित शाह के केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी में प्रभाव को सब जानते हैं। यह आए दिन देखा जाता है कि उन्होने मध्य प्रदेश के चुनावी दौरे भाजपा अध्यक्ष से कहीं ज्यादा किए हैं और उनकी भूमिका टिकट वितरण से लेकर अन्य तैयारियों और निर्णयों में सबसे ऊपर है। ऐसे में उनके इस बयान से नौकरशाही पर अतिरिक्त दबाव बनना अवश्यंभावी है। देखना यह है कि केन्द्रीय चुनाव आयोग इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है। चुनाव आयोग का निर्णय जब भी और जो भी आएगा वह अपनी जगह है लेकिन गृह मंत्री के रुप में अमित शाह ने इस तरह का बयान देकर इस महत्त्वपूर्ण पद की गरिमा गिराई है।
गृह मंत्री का दूसरा बयान बेहद हास्यास्पद और सफेद झूठ है। मध्य प्रदेश की सडक़ों के बारे में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की सरकार, जिसे वे बंटाधार की सरकार कहते हैं, के दौरान मध्य प्रदेश की सडक़ें खस्ताहाल थी जो भाजपा सरकार के दौरान बहुत अच्छी हो गई। उनका यह बयान सरासर झूठ है जो देश के गृह मंत्री को शोभा नहीं देता। मध्य प्रदेश की सडक़ों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। भोपाल के पास भोजपुर के प्रसिद्ध मंदिर जाने वाली रोड की स्थिति साल भर से बेहद खराब है। यही हाल प्रदेश की अन्य सडक़ों का है। नरसिंहपुर जिले की खस्ताहाल सडक़ों के निर्माण और मरम्मत के लिए ग्रामीण कई दिन से सडक़ सत्याग्रह कर रहे हैं। बेतवा यात्रा के दौरान हमने देखा कि भोपाल के सबसे करीब जिले रायसेन की ग्रामीण सडक़ों की हालत इतनी खराब है कि काफी दूर तक सडक़ की जगह गड्ढे ही गड्ढे हैं। इस परिपेक्ष्य में गृह मंत्री का बयान कोरा झूठ है।
देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल भी उसी गुजरात से थे जहां से वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह आते हैं। कल सरदार पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री भी गुजरात में बनी उनकी प्रतिमा स्टेचू ऑफ यूनिटी पर गए थे। सरदार पटेल भले ही आजीवन कांग्रेस में रहे लेकिन भारतीय जनता पार्टी भी उन्हें अपना महानायक मानती है क्योंकि उनकी लौहपुरुष छवि के कारण ही भारत इतना बड़ा है।अंग्रेजों द्वारा राजाओं की रियासतों को आजाद करने से खंड खंड हुए भारत को एकता की माला में पिरोने का अत्यन्त साहसी कार्य करने का सर्वाधिक श्रेय सरदार पटेल के कुशल नेतृत्व को ही जाता है। सरदार पटेल अपने अल्प काल में ही गृह मंत्री की ऐसी छवि छोडक़र गए हैं जिसे छूना उनके बाद संभव नहीं हुआ उल्टे कुछ ग्रह मंत्रियों ने इस महत्वपूर्ण पद की गरिमा को काफी कम किया है।
मुंबई हमले के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल को भाजपा ने इसलिए त्यागपत्र के लिए मजबूर किया था क्योंकि उस दिन उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए कपड़े बदले थे। वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह पर भी गृह मंत्री की गरिमा गिराने के लगातार आरोप लग रहे हैं। मणिपुर की हिंसा कई महीने लंबी हो गई, उधर महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन हिंसक हो गया लेकिन गृहमंत्री की सबसे बड़ी चिंता येन केन प्रकारेण मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतने पर है। ऐसा लगता है कि जिस तरह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पिछ्ले नौ साल से लगातार चुनावी मोड़ में हैं वैसे ही गृह मंत्री भी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मोड़ में हैं। यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए उचित नहीं है।