विचार / लेख

चुनाव के बाद का मंथन
06-Dec-2023 7:20 PM
चुनाव के बाद का मंथन

-रवि तिवारी
पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। सारे पूर्वानुमान धाराशाही होकर रह गए हैं। बीजेपी ने हिंदी बेल्ट में जबरदस्त सफलता हासिल कर अपना परचम लहराया है। कांग्रेस को तेलंगाना में अच्छी कामयाबी मिली है। मिजोरम में बीजेपी और कांग्रेस हासिये पर है। सबसे आश्चर्यजनक परिणाम छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के रहे। राजस्थान अपने स्वभावगत तौर पर हर पांच साल में सत्ता बदलता है और वहां पर हुआ भी वही।

छत्तीसगढ़ में आये चुनाव नतीजों ने सबको चौंका कर रख दिया है। अप्रत्याशित नतीजे सामने आए हैं। कांग्रेस की आपसी लड़ाई के कारण सरगुजा की सभी 14 सीटें कांग्रेस ने इस बार गंवा दी  तथा बस्तर में उसके खराब प्रदर्शन ने कांग्रेस को इस बार सत्ता से बेदखल कर रख दिया है।

उद्योगपति व व्यापारी वर्ग इस शासन से बहुत दुखी था,अधिकारी वर्ग ईडी की कार्यवाही से परेशान था जो अपने बचाव के लिए इस शासन से छुटकारा की चाहत रखने लगा था, किसानों का तोड़ बीजेपी ने निकाल ही लिया था। साथ ही महिलाओं के लिए ठीक समय पर जबरदस्त योजना लाकर काम भी करना शुरू कर दिया था जिससे इसका सम्पूर्ण असर बीजेपी के पक्ष में चला गया। कांग्रेस सरकार के दो कद्दावर मंत्री हिन्दू-मुस्लिम के शिकार हो गए। इनके कुछ उम्मीदवार बहुत कम वोटों से हारे जिसमें प्रमुख नाम उपमुख्यमंत्री श्री टीएस सिंहदेव का भी है। सरकार के प्रति जनता की नाराजगी ऊपर से दिखाई नहीं पड़ती थी लेकिन नतीजे उसकी तीव्रता को बयान कर जाते हैं। मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के अन्य विधायकों का बीजेपी के विधायकों के मुकाबले अत्यंत कम वोटों से जितना भी जनता की नाराजगी को ही इंगित करता है।

केंद्र की बीजेपी सरकार ने लगातार छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्यवाही कर कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार की पक्की मुहर जनता के मन में लगाने में कामयाबी हासिल कर ली। इसका भी जबरदस्त नुकसान पार्टी को चुनाव में हुआ है। निचले स्तर का भ्रष्ट्राचार अपनी चरम पर था जिससे हर आम व्यक्ति प्रभावित रहा इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता।

ढाई-ढाई साल की लड़ाई कांग्रेस को भारी पड़ी, मनमुटाव जगजाहिर हुआ, जनमानस के मन मे कांग्रेस की छबि धूमिल हुई, इन सबके बाबजूद कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में बहुत अच्छे काम भी किये है खासकर कोरोना वाले समय में स्थितियो को बहुत कुशलतापूर्वक संभाला गया, सारी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शासन को रफ्तार प्रदान की, उद्योगों की, व्यापार की रफ्तार को निरंतर बरकरार रखा, छत्तीसगढ़ी संस्कृति की, आदिवासी संस्कृति की नई पहचान पूरे देश में कराई, स्थानीय खेलों को नई ऊंचाई प्रदान की, माता कौशल्या का मंदिर, राम वन गमन पथ पर किए कार्य को कैसे नकारा जा सकता है। विवेकानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों की तेजी से बढ़ती आम लोगों में लोकप्रियता, इसके साथ ही  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल योद्धा की तरह अकेले लड़ते रहे इससे भी तो इंकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा लोगों को जो खटकता रहा मुसलमानों का लगातार बढ़ता दायरा हिन्दू वर्ग को नागवार गुजर रहा था जिसकी चर्चा हर घर में होती थी। कुर्मी वर्ग की चौधराहट अन्य समुदाय को खटकने लगी थी, पीएससी के घटनाक्रम ने नवजवानों को सरकार के खिलाफ लाकर खड़ा कर दिया था, ला एंड आर्डर आम जन के लिए चिंता का विषय बनने लगा था। मुखिया प्रदेश में चल रही अन्य गतिविधियों से बेखबर ही रहा आज ऐसा लगता है।

इन सबके बावजूद बीजेपी की पिछले पांच सालो की कोई उपलब्धि नहीं थी, मरी पड़ी, टुकड़ों-टुकड़ों में बंटी हुई बीजेपी को अंतिम समय में एक ही सहारा मिला और वह था श्री नरेन्द्र मोदी जी का चेहरा और उनकी राजनैतिक कार्यशैली इसके साथ श्री अमित शाह की रीति-नीति व श्री ओम माथुर, श्री मंडाविया की कार्यकुशलता व उनकी रणनीति जिसने बीजेपी को आश्चर्यजनक रूप से सफल बनाया इसमे किसी भी स्थानीय नेताओं का कोई योगदान नहीं था।

इस चुनाव के बाद कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सक्त: जरूरत है की कांग्रेसी मानसिकता वाला यह छत्तीसगढ़ प्रदेश लगातार बीजेपी की कार्यशैली व विचारधारा को क्यो पसंद करने लग गया है?

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news