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पुरुषों से ज्यादा क्यों जीती हैं महिलाएं
10-Dec-2023 7:49 PM
पुरुषों से ज्यादा क्यों  जीती हैं महिलाएं

पुरुषों और महिलाओं का जीवन काल अलग-अलग होता है. अमेरिका में इसमें अंतर बढ़ रहा है और यूरोप में कम हो रहा है. आखिर इसकी वजह क्या है?


 डॉयचे वैले पर कार्ला ब्लाइकर का लिखा-
 अगर आप अपने आस-पास रहने वाले बुजुर्गों पर नजर डालें, तो आपको खासा लैंगिक असंतुलन दिखाई देता है। 85 साल से अधिक उम्र के लोगों में पुरुषों की संख्या काफी कम होती है। सामान्य समझदारी कहती है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष जल्दी मर जाते हैं और आंकड़े भी इस बात के गवाह हैं।

उदाहरण के लिए, जर्मनी में 2022 में पुरुषों का औसत जीवन काल 78 वर्ष से थोड़ा अधिक था। जबकि महिलाओं का जीवन काल 82।8 वर्ष था। वहीं, अमेरिका में 2021 में महिलाओं का औसत जीवन काल 79 वर्ष और पुरुषों का 73 वर्ष से थोड़ा अधिक था। 5।8 साल का यह अंतर 1996 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा अंतर है।

एक नए अध्ययन में, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने बाहरी कारकों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें से कोविड-19 महामारी प्रमुख है। नवंबर 2023 में जेएएमए जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित पेपर में लेखकों ने कहा कि महामारी ने अमेरिका में पुरुषों को काफी ज्यादा प्रभावित किया और उनके औसत जीवन काल को कम कर दिया।

शोधकर्ताओं ने बताया कि ‘निराशा से होने वाली मौतें' भी पुरुषों के जीवन काल को कम करने में अहम भूमिका निभाती हैं। जैसे आत्महत्या, नशे की समस्या या हिंसक अपराध। इनकी वजह से पुरुषों का जीवन काल छोटा हो जाता है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक ब्रैंडन यान ने कहा, ‘नशीली दवाओं के अत्यधिक सेवन और हत्या से होने वाली मौतों की दर पुरुषों और महिलाओं दोनों में बढ़ी है, लेकिन इनकी वजह से होने वाली मौतों में पुरुषों की संख्या बढ़ती जा रही है।’

हृदय रोग से भी पुरुषों की जल्दी हो रही मौत
पुरुषों और महिलाओं के जीवन काल में अंतर होने के अन्य कारण भी हैं। रुमेटोलॉजिस्ट और हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के सीनियर फैकल्टी एडिटर रॉबर्ट एच। शिमरलिंग ने कई अन्य तथ्यों को सामने रखा है। वह कहते हैं कि पुरुषों में नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच न कराने की अधिक संभावना होती है। साथ ही, अग्निशमन या सैन्य युद्ध जैसी खतरनाक नौकरियों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं अधिक है। 

शिमरलिंग इस तथ्य की ओर भी इशारा करते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक बार आत्महत्या करते हैं। इसका एक संभावित कारण वह सामाजिक कलंक हो सकता है, जो अभी भी कई संस्कृतियों में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ा हुआ है, खासकर पुरुषों के लिए। सामान्य शब्दों में कहें, तो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को अभी भी कई समाज में कलंक के तौर पर देखा जाता है।

शिमरलिंग ने कहा कि एक और बड़ा कारक हृदय रोग है। अमेरिका में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की हृदय रोग से मरने की संभावना 50 फीसदी अधिक है।

यूरोप में अच्छी है पुरुषों की स्थिति
अमेरिका के बाहर, पुरुषों में हृदय रोग की समस्या कम होने की वजह से महिलाओं और पुरुषों के जीवन काल के बीच का अंतर कम हो रहा है। जर्मनी के फेडरल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन रिसर्च के लेखकों की टीम ने ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, स्लोवाकिया और स्विट्जरलैंड में लिंग के आधार पर लोगों के जीवन काल की जांच की। उन्होंने पाया कि महिलाओं और पुरुषों के बीच मृत्यु दर में अंतर कम हो गया है।

जुलाई 2023 में यूरोपियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित नतीजे बताते हैं कि महिलाओं और पुरुषों के जीवन काल में अंतर कम होने की वजह यह थी कि ‘हृदय रोग और नियोप्लाज्म से पुरुषों की होने वाली मौतें कम हो गई थीं।’ नियोप्लाज्म ट्यूमर और घातक कैंसर है।

अध्ययन में शामिल सभी सात देशों में 1996 से 2019 के बीच मृत्यु दर का अंतर कम हुआ। अधिकांश देशों में यह मुख्य रूप से पुरुषों में हृदय रोग की कमी की वजह से हुआ। फ्रांस में पुरुषों के बीच कैंसर में कमी ने मृत्यु दर में लैंगिक अंतर को कम करने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, चेक गणराज्य में पुरुषों और महिलाओं की आयु के बीच का अंतर कम हो गया है, क्योंकि फेफड़ों के कैंसर से मरने वाले पुरुषों की संख्या कम हुई है और महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। यह भी अच्छी खबर नहीं है।

सिर्फ मनुष्यों के बीच ही लैंगिक तौर पर जीवन काल में अंतर नहीं है, बल्कि कई अन्य स्तनधारियों के बीच भी यह अंतर है। मार्च 2020 में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम के अध्ययन से पता चला कि जंगल में मादा स्तनधारी, नर की तुलना में ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ था।

वैज्ञानिकों ने जिन 101 प्रजातियों का अध्ययन किया, उनमें मादा का औसत जीवन काल नर की तुलना में औसतन 18.6 फीसदी अधिक था। वहीं, मनुष्यों में यह अंतर करीब 7.8 फीसदी है।
जंगली भेड़ में यह अंतर स्पष्ट तौर पर देखा गया। हालांकि, ऊनी स्तनधारियों के मामले में शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जीवन काल में यह अंतर सिर्फ कठिन परिस्थितियों में होता है। जब रहने की परिस्थितियां भेड़ों के अनुकूल होती हैं और सभी के लिए पर्याप्त भोजन होता है, तो मादाओं की तुलना में नर काफी ज्यादा पहले नहीं मरते हैं। वहीं, जब परिस्थितियां अच्छी नहीं होती हैं, तो मादा भेड़ें इन परिस्थितियों का बेहतर मुकाबला कर पाती हैं क्योंकि उनके पास भोजन की तलाश करने के लिए अधिक ऊर्जा होती है।

दूसरी ओर, माना जाता है कि पुरुष यौन क्रिया या मांसपेशियों के निर्माण पर काफी ज्यादा ऊर्जा खर्च करते हैं। वहीं, उनके अंदर आक्रामकता भी होती है, जो जीवन काल कम होने की एक वजह प्रतीत होती है। यह आक्रामक स्वभाव इंसानों सहित अन्य प्राणियों के नर में भी होता है। (dw.com)

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