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विश्व गुरु की इंटरनेट सेवाएं! दलदल में बीएसएनएल
27-Dec-2023 3:56 PM
विश्व गुरु की इंटरनेट सेवाएं! दलदल में बीएसएनएल

डॉ. आर.के. पालीवाल

इन्टरनेट युग में विश्व गुरु वही बन सकता है जिसके पास इंटरनेट की मजबूत ताकत है। इस मामले में हमारे देश की सार्वजनिक संस्था बी एस एन एल की स्थिति में कोई गुणात्मक सुधार होने के बजाय पिछ्ले कुछ वर्षों में हद दर्जे की गिरावट आई है।

आज स्थिति यह पहुंच गई है कि बी एस एन एल के नए कनेक्शन में उचित वृद्धि तो दूर इसके पुराने कनेक्सन रिचार्ज नहीं कराए जा रहे हैं और काफी संख्या में लोग बी एस एन एल के नंबर जियो और एयरटेल आदि सेवा दाताओं में शिफ्ट कर रहे हैं। बी एस एन एल एक समय हमारे देश की अग्रणी फोन और इन्टरनेट सेवाओं का सबसे विशाल और कुशल प्रदाता था। वर्तमान केन्द्र सरकार के दौर में एक तरफ सरकार द्वारा पोषित बी एस एन एल निरंतर खड्डे में गिरता चला गया और दूसरी तरफ़ निजी कंपनी जियो आदि विस्तार के मामले में अश्वमेध के घोड़ों की तरह दौड़ते हुए बहुत आगे निकल गए। खुद के राष्ट्रवादी सरकार होने का डंका पीटने वाली सरकार के इंटरनेट प्रदाता की इतनी दयनीय स्थिति हमारी सरकार के छद्म राष्ट्रवाद की पोल खोलने के लिए काफी है।

 दूरसंचार आजकल ऐसी जरूरत बन गई है जिसका उपयोग स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गो के लिए कदम कदम पर जरूरी है। मजबूत सरकार और देशवासियों के लिए सस्ता और सुलभ दूरसंचार सार्वजनिक उपक्रम ही उपलब्ध करा सकता है। यह काम प्राइवेट कंपनियों के भरोसे छोडऩा उचित नहीं है।कोरोना महामारी के बाद वर्क फ्रॉम होम और ऑन लाइन काम करने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। दिल्ली और मुंबई सरीखे महानगरों में भीड़भाड़ से बचने के लिए काफी व्यापार और सेवाओं को इन्टरनेट की अच्छी गति की आवश्यकता पड़ती है। इस मामले में बी एस एन एल संभवत: सबसे निचले पायदान पर आ गई है।

दिल्ली देश की राजनीतिक राजधानी है और मुंबई आर्थिक राजधानी। इन दोनों महानगरों में बी एस एन एल फोन और इन्टरनेट की स्थिति बर्दाश्त के बाहर है। लंबी सरकारी सेवा में रहने के बावजूद हमारा स्वाभाविक रुझान सरकारी कंपनी बी एस एन एल की तरफ ही था इसलिए सेवानिवृति के बाद भी हमने बी एस एन एल की सेवाएं जारी रखी। एक भावनात्मक जुड़ाव यह भी था कि निजी कंपनियों से सेवा लेने की बजाय सार्वजनिक उपक्रम की सेवा लेना हम सब का नैतिक राष्ट्रीय दायित्व है बशर्ते कि सेवा की गुणवत्ता बनी रहे।

बी एस एन एल इस मामले में गहरी खाई में गिर चुका है। किसी भी आपात कालीन सेवा के लिए बी एस एन एल के भरोसे रहना घातक हो सकता है। एयरपोर्ट और महानगर की मुख्य सडक़ों पर जहां जियो पूरे सिग्नल के साथ चलता है वहां बीएसएनएल का इन्टरनेट दस बारह घंटे तक डाउन रहता है और कुछ देर के लिए आता भी है तो वीडियो कॉल या वर्चुअल मीटिंग तो दूर कोई बड़ा मेसेज तक नहीं भेज सकते। फोन के सिग्नल की हालत भी अत्यंत दयनीय है।

मुंबई और दिल्ली के हालिया दौरे में हमने यह शिद्दत से महसूस किया कि बी एस एन एल की कनेक्टिविटी इतनी दयनीय हो गई है कि यह आपके परिजनों, ड्राइवर और मित्रों आदि से संपर्क करने के लिए नाकों चने चबवा सकता है और अच्छे खासे व्यक्ति को जबरदस्त स्ट्रेस दे सकता है। इसलिए मन मारकर बी एस एन एल को हमेशा के लिए अलविदा कहना जरूरी हो गया। अब इसे झेलना असंभव है।

    ऐसा मानना मुश्किल है कि केन्द्र सरकार बी एस एन एल की वर्तमान स्थिति से अवगत न हो। शायद सरकार खुद प्राइवेट कंपनियों के मुकाबले बी एस एन एल को मजबूती से खड़ा करने के लिए कृत संकल्प नहीं है अन्यथा मोदी है तो सब मुमकिन है नारे के दौर में यह कैसे मान लिया जाए कि बी एस एन एल को सुधारना उस मोदी सरकार के लिए मुमकिन नहीं है जो खुद को विश्वगुरु होने का दावा करती है।

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