विचार / लेख

रोज करोड़ों बोतलों पर नाम छपता है
27-Dec-2023 3:57 PM
रोज करोड़ों बोतलों पर  नाम छपता है

अशोक पांडे

गैरीबाल्डी के नेतृत्व में इटली की आजादी की लड़ाई में पंद्रह साल के एक लडक़े ने भी हिस्सा लिया था। उसकी बहादुरी के लिए सिल्वर मैडल से नवाज़ा गया। बचपन से ही उसे केमिस्ट्री अच्छी लगती थी और वह फार्मासिस्ट बनने की हसरत रखता था। बड़ा होने पर उसने अपने शहर मिलान में एक लेबोरेटरी स्थापित की जहाँ वह तमाम तरह के प्रयोग किया करता।

1881 के साल जब वह तीस का था, उसने किनोआ की छाल (जिसके सत से कुनैन बनाया जाता है), पेपरमिंट, दालचीनी, कुटकी और आयरन साइट्रेट को आधार बनाकर अमारी नाम की इटली की एक पारम्परिक शराब का ऐसा संस्करण तैयार किया जिसे पाचनक्रिया को दुरुस्त बनाने के लिए काम में लाया जा सकता था। उसने इसे फेरो-चाइना के नाम से पेटेंट कराया।

तेरह साल बाद उसने अपने प्रिय इतालवी नगर नोसेरा उम्ब्रा के नाम पर एक मिनरल वाटर का ब्रांड भी लांच किया। 1899 में उसने कुनैन, आर्सेनिक और आयरन सॉल्ट्स की मदद से एक ऐसा रसायन बनाया जिसे मलेरिया के उपचार में मुफीद पाया गया।

एक सफल व्यवसायी और रसायनविद के तौर पर उसने ख़ूब शोहरत कमाई। इसका सबूत इस बात में मिलता है कि 1921 में सत्तर साल की आयु में हुई उसकी मृत्यु के बाद मिलान शहर की एक सडक़ का नामकरण उसके नाम पर किया गया।

उसका बनाया मिनरल वाटर दुनिया-जहान में नाम कमा कर 1960 के दशक में भारत पहुंचा। उन दिनों भारत में मिनरल वाटर की खपत सिर्फ पांच सितारा होटलों में होती थी। यूरोप में भी कंपनी के इस ब्रांड का धंधा कोई ख़ास नहीं चल रहा था। सो 1969 के साल पारले ग्रुप चलाने वाले जयंतीलाल चौहान ने चार लाख रुपये देकर ब्रांड को ही खरीद लिया।

आज सात हज़ार करोड़ से अधिक की कीमत रखने वाले इस ब्रांड का नाम सारा भारत जानता है। उसके नाम की स्पेलिंग बदल-बदल कर सैकड़ों नकली ब्रांड भी अच्छा खासा व्यापार कर रहे हैं।

मैं हिमालय की तलहटियों में बोतलबंद किये जाने वाले पानी की बात कर रहा हूँ जिसकी करोड़ों बोतलों पर हर रोज़ इटली के उस प्रतिभाशाली केमिस्ट फेलीसे बिसलेरी का नाम छपता है।

 

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