विचार / लेख

समाज की विडम्बना कि इनमें से एक भी हमारे हीरो नहीं...
28-Dec-2023 4:56 PM
समाज की विडम्बना कि इनमें  से एक भी हमारे हीरो नहीं...

  सिद्धार्थ ताबिश

मानवता या प्राकृतिक जीवन को बेहतर और खुशहाल बनाने के लिए जो भी व्यक्ति या संस्था काम करती हैं, मेरे लिए वही लोग ‘हीरो’ होते हैं.. शाहरुख़ खान, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर इत्यादि जितने भी लोग हैं, वो कलाकार हैं.. अपने अपने क्षेत्र के कलाकार.. इन्हें मैं पसंद कर सकता हूँ, बहुत पसंद कर सकता हूँ, मगर जीवन दर्शन और प्रकृति की बेहतरी के लिए मैं इन्हें अपना हीरो नहीं मान सकता हूँ.. मुझे अपना जीवन कैसे जीना है और प्रकृति के साथ कैसे एकरूप होकर रहना है, ये लोग मुझे ये नहीं सिखा सकते हैं

भारतियों समेत सारे विश्व के लोगों की ये बड़ी समस्या है कि कोई भी व्यक्ति, जो अपने कार्य क्षेत्र के किसी कार्य की वजह से प्रसिद्धि पा लेता है, उससे लोग अपने जीवन की हर परेशानियों और समस्याओं के लिए राय लेने लगते हैं.. अमिताभ बच्चन सिफऱ् अच्छे एक्टर हैं.. सचिन तेंदुलकर बस एक अच्छे खिलाड़ी हैं.. ये उनके हीरो हो सकते हैं जिन्हें क्रिकेट खेलना है.. मगर आप ये कहने लगें कि वो देश, मानवता और प्रकृति के लिए कुछ बड़ा कर चुके हैं, ये बेवकूफी की बात है.. अभिनेता कभी देश के लिए एक्टिंग नहीं करता है.. खिलाड़ी कभी देश के लिए नहीं खेलता है.. आप को टीम में एंट्री मिल जाए आप भी देश के लिए खेलने लगेंगे.. जो भी भारतीय टीम में होगा वो देश के लिए खेलेगा.. जैसे अगर आप टाटा कम्पनी में हैं तो टाटा के लिए नौकरी करेंगे न कि महिन्द्रा के लिए.

वो लोग जिन्होंने दवाएं खोजी, वैक्सीन बनायीं, प्राकृतिक संतुलन खोजा, जंगल बचाए, पर्यावरण बचाया, जानवरों से लेकर मनुष्य तक के जीवन को सुधारा, वो लोग मेरे लिए हीरो होते हैं.. मगर हमारे समाज की विडम्बना ये है कि इनमे से एक भी व्यक्ति हमारा हीरो नहीं होता है.. घटिया और क्षुद्र सोच वाले राजनेता, अभिनेता, खिलाड़ी, शायर और फंतासी लेखक को हम हीरो बना कर अपने बच्चों के आगे प्रस्तुत करते हैं.. इसीलिए यदि मेरे जैसा कोई भी व्यक्ति प्रकृति, मानव समाज की समस्या, प्राकृतिक संतुलन की बात करता है वो भी बने हुवे सामाजिक दायरे को तोडक़र, जिसका समर्थन अमिताभ, शाहरुख़ और सचिन तेंदुलकर करते आये हैं, तो आप नाराज़ हो जाते हैं.. आपको लगता है सचिन तेंदुलकर से अच्छी राय आपको कौन दे सकता है इस मामले में.. वो अगर आपको ये बता सकते हैं कि ‘पेप्सी पीना आपके जीवन के लिए कितना ज़रूरी है, या एडीडास के जूते पहनना कितना अच्छा है’, तो वो किसान, खेती प्रकृति, जंगल और ज़मीन पर क्यूँ नहीं आपको समझा सकते हैं.. उनको ऐसे तो सरकार ने भारत रत्न नहीं दे दिया है.. वो आकर टीवी पर आपको अगर गेंहू और चावल की खेती से पृथ्वी को होने वाले नुकसान पर बोलेंगे तब आप उसे ‘सही’ मानेंगे

जो हीरो आपके समाज ने बना रखे हैं, वो आपके जीवन और इस पृथ्वी के किसी काम के नहीं हैं.. वो बस शो है.. और आप इसी शो को जीवन समझते हैं तभी आपके आसपास से जंगल ख़त्म हो जाए, धरती के भीतर का जलस्तर बिलकुल ही ख़त्म हो जाए, और आप जान भी नहीं पाते हैं मगर भारत विश्वकप हार जाए तो आप महीनों उदास रहते हैं।

नोट- फोटो में हीरो श्री सालिम अली, भारत के मशहूर पक्षी वैज्ञानिक, जिन्हें भारत का ‘बर्डमै’ कहा जाता है

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