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कांग्रेस अपना इतिहास बताने की मुहिम क्यों चला रही है?
29-Dec-2023 4:18 PM
कांग्रेस अपना इतिहास बताने की मुहिम क्यों चला रही है?

GIRISH THACKERAY/BBC

फैसल मोहम्मद अली

कांग्रेस ने अपने 139वें स्थापना दिवस पर गुरुवार को महाराष्ट्र के नागपुर में एक रैली का आयोजन किया। रैली का नाम ‘हैं तैयार हम’ दिया गया था।

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खडग़े स्टेज पर चार बजे के आसपास पहुंचे, तब तक मैदान में लगाई गईं सभी पैंतीस हज़ार कुर्सियां भर चुकी थीं। इसके अलावा भी जगह-जगह पर लोग खड़े थे। स्टेज के पास तैयार दूसरे मंच से इकबाल की जानी-मानी नज़्म ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’, ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’ और कवि प्रदीप की मशहूर रचना ‘साबरमती के लाल तूने कर दिया कमाल’ जैसे गीतों का आनंद लेते रहे। इन गानों को एक लाइव बैंड पेश कर रहा था।

पूरे मैदान में लगे वीडियो स्क्रीन, फर्श पर कार्पेट, ‘हैं तैयार हम’ के नारे साथ आसमान में तैर रहे गुब्बारे और मुख्य स्टेज के ऊपर कांग्रेस के झंडे के रंग वाले कपड़े, पूरी तैयारियां कांग्रेस के पूर्व के कार्यक्रमों से अलग लगीं।

लाइव बैंड के गीतों के बीच एक व्यक्ति जनसभा को माइक पर कांग्रेस का इतिहास, नागपुर से पार्टी का रिश्ता और भारत के निर्माण में पार्टी के योगदान के बारे में बता रहा था।

इसी क्रम में हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, राकेश शर्मा को स्पेस में भेजे जाने, देश भर में आईआईटी जैसी संस्थाओं की स्थापना और सूचना तकनीक क्रांति जैसी बातों का जिक्र किया गया।

पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने जवाहर लाल नेहरू से लेकर मौलाना अबुल कलाम आज़ाद तक की जेल यात्राओं और इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी की हत्या देश के नाम पर किए जाने की बात भी की।

इसी क्रम में एक शेर भी पढ़ा उन्होंने, ‘हम आतिशे सोजां में भी एक बात कहेंगे।’

हम जि़ंदा थे, हम जि़ंदा हैं, हम जि़ंदा रहेंगे

क्योंकि हम कांग्रेस हैं

कांग्रेस को क्यों याद करने पड़ रहे हैं काम

मनमोहन सिंह सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बीबीसी से कहा, ‘जरूरत है कि इन सभी बातों को बार-बार दोहराया जाए क्योंकि नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बार-बार यही आरोप तो लगाती रहती है कि पिछले 70 सालों में कुछ हुआ ही नहीं।’

बीबीसी ने उनसे पूछा था कि क्या कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उसने पूर्व में जो कुछ किया है उस भूला दिया गया है? क्या इसलिए उसे ये सारी बातें दोहरानी पड़ रही हैं?

चव्हाण ने कहा कि ये सारे वीडियो और ऐसी सामग्री मुल्क के दूसरे हिस्सों में भी भेजे और दिखाए जाएंगे ताकि आम जन का जुड़ाव पार्टी से बढ़ सके।

पृथ्वीराज चव्हाण का कहना था कि जनता से चंदा इक_ा करने का मक़सद भी लोगों ये ‘कनेक्ट’ जोडऩे का है।

क्या पुराने पड़ गए हैं कांग्रेस के हथियार

राजनीतिक विश्लेषक रशीद कि़दवई हालांकि मानते हैं कि कांग्रेस पुराने हथियारों से नई लड़ाइयां लडऩे की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस पार्टी पर अपनी किताब ‘24 अकबर रोड’ के लेखक उसी अकबर रोड का हवाला देते हुए कहते हैं कि जनवरी 1978 में उस भवन में गई पार्टी अब उसे खाली कर दूसरे कार्यालय में शिफ़्ट कर रही है।

इन लगभग 45 सालों में दुनिया बदल गई है। लेकिन कांग्रेस उन्हीं पुराने विचारों और तरीक़ों के सहारे जीना चाहती है, मगर अब जरूरत है उसे बदलने की। अब इन बातों को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखता। रशीद कहते हैं, ‘कांग्रेस जो कर रही है, उसमें एक बिखराव सा है। उसको लेकर किसी तरह की कोई रिसर्च नहीं है कि जो वो कर रहे हैं, उसका राजीतिक रिटर्न कितना है।’

राहुल गांधी की भारत जोड़ा यात्रा का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि तेलंगाना की जीत में इसके योगदान की बात हो रही है, मगर ये भी तो पूछा जाना चाहिए कि मिजोरम जहाँ राहुल गांधी गए वहाँ इसका असर क्यों नहीं हुआ?

राहुल की ‘भारत न्याय यात्रा’

अगले महीने शुरू होने वाली राहुल गांधी की ‘भारत न्याय यात्रा’ को लेकर रशीद किदवई कहते हैं जिस मणिपुर से महाराष्ट्र तक का सफर वो कर रहे हैं, वहाँ पार्टी की 15 सीटें हैं। लेकिन इनके बीच कुल सीटों की तादाद 340 से अधिक है, तो क्या किसी को ये आइडिया है कि वहाँ क्या किया जाए, जिसका राजनीतिक लाभ पार्टी को मिल सके!

‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर यही सवाल बीबीसी ने लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी नेता गौरव गोगोई से भी पूछा था, जब उन्होंने कहा था कि उत्तर-पूर्व में माहौल भारतीय जनता पार्टी के इतना खिलाफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के दो राज्यों मणिपुर और मिजोरम में जा नहीं सकते। इसके बावजूद बीजेपी मिज़ोरम में पिछली बार से एक सीट अधिक जीत गई।

किसे विचारधारा की लड़ाई बता रहे हैं राहुल गांधी

राहुल गांधी ने अपने नागपुर भाषण में कहा कि जो लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच जारी है, वो राजनीतिक और सत्ता की लड़ाई दिखती है, मगर वो मुख्यत: विचारधारा की लड़ाई है।

कांग्रेस ने जो आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी, वो सिफऱ् अंग्रेजों के खिलाफ नहीं थी बल्कि उन 500 से अधिक राजे-रजवाड़ों के खिलाफ भी थी जो अंग्रेजों के डर से उनके साथ थे।

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ पर सालों तक भारतीय झंडा न फहराने को लेकर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश के हर वयस्क को मत देने का अधिकार है, वो कांग्रेस की देन है।

रशीद कि़दवई का कहना था कि विचारधारा की लड़ाई और संविधान बचाओ जैसी बातें आज की पीढ़ी को अपील नहीं कर रही हैं, यह कई बार सामने आ चुका है।

राहुल गांधी ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर युवकों के लिए रोजग़ार मुहैया करवाने का वादा यह कहते हुए किया कि नरेंद्र मोदी की सरकार ये नहीं कर सकती है।

बेरोजग़ारों से कांग्रेस की उम्मीद

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का दावा था कि 30 लाख सरकारी पद ख़ाली हैं और उन पर बहाली नहीं की जा रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी स्पीच में 1920 के नागपुर में हुई कांग्रेस के सेशन का जि़क्र किया।

कांग्रेस की उस बैठक में महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय और मोहम्मद अली जिन्ना जैसे नेता शामिल हुए थे।

इसमें असहयोग आंदोलन से जुड़े कई अहम फ़ैसले लिए गए थे, जिसे लेकर पट्टाभि सितारमैया ने लिखा है कि ‘इसने भारतीय इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत की थी।’

कांग्रेस ने नागपुर रैली को ‘हम तैयार हैं’ महारैली का नाम दिया था। इसमें जनता से सस्ती गैस से लेकर, न्याय योजना को लागू करने और रोजग़ार जैसे वायदों को दोहराया गया।

मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग इसे कांग्रेस द्वारा लोकसभा चुनाव के शंखनाद के तौर पर देख रहा है। (bbc.com)

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