विचार / लेख

न्येपी-बाली द्वीप का नया साल...
02-Jan-2024 4:16 PM
न्येपी-बाली द्वीप का नया साल...

 सनियारा खान

नए साल को दुनिया के सभी मुल्कों में ज़ोर शोर से स्वागत किया जाता है। मूल उद्देश्य शायद एक ही होता है कि पुराने साल की अच्छी बातें याद रखे और नए साल में आगे भी सब कुछ अच्छा होगा....इस विश्वास के साथ खुश हो कर एक दूसरे को गले लगाया जाए। लेकिन साथ में एक और बात सोचना ज़रूरी है कि हम अपनी सहज सरल खुशियों को कहीं शोर और हुड़दंग में गवां तो नहीं बैठते हैं? हालांकि पसंद अपनी अपनी होती है। जैसे कोई लॉन्ग ड्राइव पर जाते हुए लाउड म्यूजिक बजा कर और सुन कर खुश होता है तो कोई खामोशी के साथ खिडक़ी से बाहर का नज़ारा देख कर खुश होता हैं।

तो आइए आज हम बाली में कैसे परंपरागत ढंग से नया साल मनाया जाता है इस बारे में जानते हैं। इस परंपरागत नए साल का उत्सव एक जनवरी को ही मनाया जाना ज़रूरी नहीं है। सभी बाली वासी नया साल को न्येपी के रूप में हिंदू उत्सव मान कर मनाते हैं। इस साल बाली के साका कैलेंडर के हिसाब से 11मार्च को न्येपी मनाना तय है। वैसे भी अभी तक मार्च महीने के ही अलग अलग तारीखों में न्येपी मन रहा है।न्येपी का अर्थ चुप रहना होता है। इसी लिए बाली द्वीप में संपूर्ण मौन व्रत रख कर लोग नए साल को मनाते हैं। न्येपी में खामोश प्रार्थना के साथ खुद को पूरी तरह ईश्वर के साथ जोडऩे की कोशिश की जाती है। इस दिन को मानवता, प्रेम, धैर्य और दया जैसे मूल्यों पर आत्मनिरीक्षण करने का दिन भी कहा जाता है। एक शब्द में कहा जाए तो बाली वासियों के लिए न्येपी एक सार्वजनिक अवकाश है और इस दिन को मौन, उपवास और ध्यान का दिन माना जाता है।चौबीस घंटे के लिए संपूर्ण द्वीप में सभी रौशनी और आवाज़ें बंद कर दी जाती है। किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं मिलती है। कोई आनंद नहीं , कोई परिवहन नहीं, कोई रौशनी नहीं और कोई आग भी नही जलनी चाहिए। सभी दुकानें बंद रहती हैं। समुद्र तट और सडक़ों पर न पैदल और न ही गाड़ी में यात्री घूम सकते हैं। रात में स्ट्रीट लाइट ही नहीं बल्कि सभी लाइटें बंद करनी पड़ती है। लोग एक दूसरे के घर नहीं जाते है और आपस में मिलते भी नहीं है। सब को अपने अपने घरों में ही रहना होता है।यहां तक कि फोन करने से भी कोई जवाब नहीं देता है और मेहमानों का स्वागत भी नहीं किया जाता है। इसे कई लोग पागलपन भी समझ सकते है। जो भी हो न्येपी बाली कैलेंडर की सबसे जादुई और अद्भुत तारीख है। यह तारीख बाली द्वीप के अलावा दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती है।न्येपी को एक तरह से आध्यात्मिक सफाई का उत्सव कहा जा सकता है। पिछले साल के कुकर्म और बुराई से द्वीप को पूर्णत शुद्ध करना होता है। यद्यपि बाहरी लोगों के लिए होटल और रेस्टोरेंट खुले रखे जाते हैं... कुछ नियमों को दरकिनार नही किया जा सकता है। इन जगहों पर रौशनी कम की जाती है और दरवाजों और खिड़कियों पर मोटे परदे लगा कर रखे जाते है ताकि बाहर तक रौशनी न पहुंचे। हवाई अड्डा भी बंद रहता है। यहां तक कि राज्य के अधिकृत उपभोक्ता संचार प्रदाता ञ्जद्गद्यद्मशद्वह्यद्गद्य के द्वारा सभी इंटरनेट एक्सेस भी बंद कर दिया जाता है, जबकि निजी स्वामित्व वाली ढ्ढस्क्क चालू रहते हैं। कई होटल्स और रिजॉर्ट्स में भी वाईफाई कवरेज बंद रखा जाता है। सिफऱ् आपातकालीन स्थिति में ही न्येपी नियमों को तोडऩे की अनुमति दी जाती है।

आध्यात्मिक सफाई के अलावा भी न्येपी की एक अच्छाई ये है कि चौबीस घंटे की इतनी सारी पाबंदियों की वजह

से प्रकृति को खुल कर जीने की आज़ादी मिलती है। एक दिन में ही इस द्वीप में बिजली की बहुत ज़्यादा बचत हो जाती है। साथ ही साथ

कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम हो जाता है। इन बातों पर ध्यान देने पर ऐसा लगता है कि हर मुल्क को साल में कम से कम एक दिन इसी प्रकार मौन दिवस मनाना चाहिए। कुछ समय के लिए मौन रहना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हितकारी होता है।

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