विचार / लेख
बिना खर्च की शादी करके उत्तर दे सकते हो क्या?
लेकिन क्या तुम्हारे भीतर एक अंबानी सेठ नहीं बैठा है?
*वह दूल्हा जिसने घोड़े को दस मीटर दूर से देखा होता है वह उस दिन घुड़सवार होगा!
*वह दूल्हा जो किसी किसी तरह नये कपड़े पहनता है वह विवाह के दिन लाखों की शेरवानी पहनेगा!
*घर की पुताई रोक कर दिन बिताने वाले लोग होटल या रिसोर्ट की ओर भागते हैं और
*दाल भात तरकारी के लिए तरसने वाले भी छप्पन भोग की आकांक्षा लेकर बारात में जाते हैं!
*दुल्हन के लिए उधार के गहने और लाखों की साडिय़ां खरीदने वाले माँ बाप अगले अनेक साल जोड़ गाँठ से बकाया चढ़ाते हैं!
*न हुआ बड़ा बैंड तो क्या कोई स्थानीय गवैया तो आना ही चाहिए!
*बुआ फूफा चाचा ताऊ जीजा आदि पुराने जूते पहन कर आने में लज्जित होते हैं, आखिर लोग क्या कहेंगे!
*रात भर भयानक तेज संगीत पर नाचना किस विधान में लिखा है, लेकिन नाचना है और वह सब करना है जो सेठ कर रहा है!
*वैसे बस में चलने के लिए किराए पर विचार होगा लेकिन बारात में जाने के बाद एसी कार न हुई तो जन्म जन्मांतर तक लडक़ी वालों को गाली देंगे! और घीसू माधव की तरह पिछली किसी शादी या भोज की स्मृति में विलमते रहेंगे! और विवाह वाले वर कन्या पक्ष इसी में मरता रहता है कि लोग क्या कहेंगे!
फिल्म मदर इण्डिया में सारी समस्या उधार लेकर सैकड़ों बैलगाड़ी से गई बारात है!
याद करिए उन लोगों को जो आय और गाँठ के मूल धन से कई गुना अधिक खर्च करने को ही जीवन का सर्वोत्तम पल मान लेते हैं! वे भी यथार्थ समझे रहे होते हैं लेकिन लोग क्या कहेंगे के फंदे से बाहर झांके तो कैसे!
सारी समस्या लोग क्या कहेंगे में है! जेब क्या कह रही है उसकी रुकी हुई रुलाई अनसुनी करके लोग सेठ की नकल पर पागल होते रहते हैं!
भाड़े की कार पर चिपके फूल की तरह का वैभव लेकर लोग घर लौटते हैं और खुशी की जगह कर्ज और खर्च का विशद विषाद रिटर्न गिफ्ट में लाते हैं!
तो सोच और विचार में औकात हो तो सादा आ मिलन जुलन का आयोजन करो! जो हर दिन खाते हो उससे बेहतर खाओ विवाह में जो हर दिन पहनते हो उससे बेहतर पहनो लेकिन अपने को गिरवी रखकर या सेठ का ताम झाम देखकर कुछ मत करो तो सेठ के खर्चे पर सवाल करो!
-बोधिसत्व