विचार / लेख
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भारत ने चार यूरोपीय देशों के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता किया है। कहा जा रहा है कि इस समझौते से अगले 15 सालों में 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी।
देश के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने समझौते के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि भारत में ये चार यूरोपीय देश 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे।
इन यूरोपीय देशों में स्विट्जऱलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिनसेस्टाइन शामिल हैं। ये चारों ही देश यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है।
इस ट्रेड समझौते लिए साल 2008 में बातचीत शुरू की गई थी और फिर नवंबर 2018 में ये बातचीत रुक गई थी। इसके बाद अक्टूबर 2016 में फिर इस पर चर्चा शुरू हुई।
समझौते पर फाइनल मुहर लगने से पहले कुल 21 दौर की बातचीत हुई। अब इस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुका है।
ये समझौता एफ़टीए (फ्री टेड असोसिएशन) के लिहाज से एक बड़ा समझौता है क्योंकि इसमें निवेश को अनिवार्य किया गया है।
इस समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान जारी कर कहा कि इस ऐतिहासिक समझौते से देश के युवाओं के लिए नौकरियां पैदा होंगी।
समझौते पर नॉर्वे के व्यापार मंत्री जेन क्रिस्टियन वस्त्रे ने कहा, ‘भारत और नॉर्वे के संबंध अब तक के सबसे अच्छे दौर में हैं।’
इस सौदे से जहाँ भारत को बड़ा निवेश मिलेगा वहीं बदले में यूरोपीय देशों के प्रॉसेस्ड फूड, ब्रेवरेज और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी को दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के 140 करोड़ लोगों के बाज़ार तक आसान पहुँच मिलेगी।
ऐतिहासिक समझौते
पीयूष गोयल ने इस समझौते पर कहा कि इससे फार्मा, मेडिकल उपकरण, फूड, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट जैसे बिजनेस को बड़ा फ़ायदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में इस समझौते को भारत और ईएफ़टीए देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से एक ऐतिहासिक पल बताया है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘10 मार्च 2024 भारत और ईएफटीए देशों के बीच रिश्ते का एक ऐतिहासिक क्षण है।’
‘कई पहलुओं में संरचनात्मक विविधताओं के बावजूद, हमारी अर्थव्यवस्थाओं में समनताएं हैं, जो सभी देशों के लिए फायदेमंद स्थिति पैदा करेंगी।’
पीएम मोदी वे कहा, ‘चारों देश अलग-अलग मामलों में वैश्विक लीडर है। वित्तीय सेवा, बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक, फार्मा, मशीनरी सहित अलग-अलग क्षेत्रों में इन देशों के अग्रणी होने से हमारे लिए सहयोग के नए दरवाजे खुलेंगे।’
नॉर्वे के व्यापार मंत्री जेन क्रिस्टियन वस्त्रे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘आज का दिन ऐतिहासिक है’- ये बात उन्होंने हिंदी में कही।
वस्त्रे ने कहा, ‘ये वास्तव में इतिहास की किताबों में दर्ज होने वाला दिन है। ये टिकाऊ व्यापार करने का नया तरीक़ा है। निवेश बढ़ाना और नौकरियों का सृजन करना हमारी प्रतिबद्धता है ताकि हम इस समझौते के तय उद्देश्यों को हासिल कर सकें।’
भारत को क्या फ़ायदा होगा
जिन चार देशों के साथा समझौते हुए हैं, उसमें से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है।
साल 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 17.14 अरब डॉलर का रहा जबकि इन चारों देशों के साथ मिला कर व्यापार 18.66 अरब डॉलर का था।
स्विस सरकार ने समझौते को ‘मील का पत्थर’ कहा है।
इस समझौते के बाद भारत कुछ समय के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्विस उत्पादों जैसे स्विस घड़ी, चॉकलेट, बिस्कुट जैसी चीजों पर कस्टम ड्यूटी हटा देगा।
डील के अनुसार, भारत सोने को छोडक़र, स्विट्जरलैंड से लगभग 95त्न औद्योगिक आयात पर कस्टम ड्यूटी तुरंत या समय के साथ हटा देगा।
इससे सीफूड जैसे टूना, सॉलमन, कॉफ़ी, तरह-तरह के तेल, कई तरह की मिठाइयां और प्रोसेस्ड फूड की कीमत भारत में कम होगी।
इसके अलावा स्मार्टफोन, साइकिल के सामान, मेडिकल के उपकरण, डाई, कपड़ा, स्टील के सामान और मशीनरी भी सस्ते होंगे।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘भारत में स्विट्जरलैंड के सामानों की क़ीमत सस्ती होने वाली है क्योंकि इन पर लगने वाले टैरिफ हटा दिए जाएंगे। वाइन जो पाँच डॉलर से 15 डॉलर के बीच की कीमत की हैं, इन पर लगभग 150 फीसदी से घटा कर ड्यूटी 100 फीसदी कर दी जाएगी।’
श्रीवास्तव के अनुसार, आने वाले सालों में में कट-पॉलिस डायमंड पर पाँच फीसदी की ड्यूटी घटा कर 2.5 फीसदी कर दी जाएगी।
निवेश और नौकरियों को लेकर कितनी प्रतिबद्धता
इस समझौते को ऐतिहासिक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आने वाले 15 सालों में ये चार देश 100 अरब डॉलर का निवेश भारत में करेंगे और 10 लाख नौकरियां पैदा की जाएंगी। इन देशों ने इसे लेकर प्रतिबद्धता जतायी है।
द हिंदू को दिए गए एक इंटरव्यू में स्विट्जऱलैंड की आर्थिक मामलों की मंत्री हेलेन बडलिगर अर्टिडा ने बताया है, ‘मैं आपको बता सकती हूं कि स्विट्जरलैंड की कंपनियों और जिन अन्य कंपनियों से हमने बात की है, उनकी भारत में व्यापक रुचि है।’
‘हम एक अनुमान के ज़रिए 100 अरब डॉलर के आँकड़े पर पहुंचे हैं। इसके लिए हमने 2022 में एफडीआई का आँकड़ा देखा है, जो 10.7 अरब अमेरिकी डॉलर है और भारत के जीडीपी अनुमान और यहाँ का बड़ा बाज़ार हमारे इस निवेश की राशि पर पहुँचने का आधार है।’
‘ईएफटीए ब्लॉक हमारे यूरोपीय पड़ोसी (ईयू) से पहले ही इस सौदे पर मुहर लगाने में कामयाब रहा, जिससे भारत में बाकियों की रुचि और बढ़ गई है। लेकिन मैं बहुत स्पष्ट तौर पर ये बताना चाहती हूँ कि यह निवेश स्विस सरकार नहीं है करेगी बल्कि प्राइवेट कंपनियां करेंगी।’
‘अगर हम किन्हीं कारणों से 100 अरब डॉलर के निवेश नहीं कर सके तो हम वापस चले जाएंगे।’
समझौते पर स्विट्जरलैंड के अर्थव्यवस्था मंत्री गाइ पार्मेलिन ने कहा, भारत ‘व्यापार और निवेश के लिए अपार अवसर’ देने वाला देश है। इस सौदे से भारत की तकनीक तक पहुँच होगी।
इस समझौते से फार्मा और मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में भी फायदा होगा। भारतीय निर्यातकों को इन देशों के बाजार में भी अच्छी पहुँच मिलेगी।
इस समझौते में कुल 14 चैप्टर हैं, जिसमें सरकारी खरीद, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, व्यापार में छूट, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की सुरक्षा शामिल हैं।
इस समझौते के प्रभावी होने के दो साल बाद इसकी समीक्षा का प्रावधान है। पहली समीक्षा के बाद, दोनों पक्ष, ईएफटीए और भारत इस सौदे की हर दो साल में समीक्षा करेंगे।
ये समझौता प्रभावी कब से होगा?
इस सवाल के जवाब में अर्टिडा ने द हिंदू को बताया, ‘हर देश का अलग-अलग समय है। स्विट्जरलैंड में हम ऑटम सेशन में संसद पेश करेंगे।उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इसे लागू किया जा सकेगा। मुझे लगता है कि बाकी के ईएफटीए देश भी तब तक अपनी प्रक्रियाएं पूरी कर लेंगे।’ (bbc.com/hindi)