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पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने अपनी बेटी को बनाया फस्र्ट लेडी, क्या है इस पर बहस
14-Mar-2024 4:07 PM
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने अपनी बेटी  को बनाया फस्र्ट लेडी, क्या है इस पर बहस

पाकिस्तान में आसिफा भुट्टो जरदारी देश की फस्र्ट लेडी बनाए जाने के कारण सुर्खियों में हैं।

आम तौर पर फर्स्ट लेडी किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पत्नी को माना जाता है।

मगर पाकिस्तान में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने ऐतिहासिक एलान करते हुए कहा कि उनकी बेटी आसिफा मुल्क की फस्र्ट लेडी होंगी।

आसिफ अली जरदारी की पत्नी और पाकिस्तान की पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो की साल 2007 में हत्या कर दी गई थी।

आसिफा भुट्टो तब महज 14 साल की थीं। बेनज़ीर भुट्टो इस्लामिक देश पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और 1998 में पीएम बनने के बाद ही वह तीन बच्चों की माँ बनी थीं।

जऱदारी पहली बार 2008 में राष्ट्रपति बने थे और 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या हो गई थी। तब आधिकारिक रूप से किसी को फस्र्ट लेडी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था। जरदारी 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे।

मगर इस बार जब पाकिस्तान में नई सरकार बनी और इसके बाद आसिफ अली जरदारी ने देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर बीते रविवार को शपथ ली तो फस्र्ट लेडी पद पर अपनी छोटी बेटी आसिफा के नाम का ऐलान किया गया। अभी आसिफा 31 साल की हैं।

जरदारी के इस एलान पर पाकिस्तान में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बेटी को फस्र्ट लेडी कैसे बनाया जा सकता है?

2020 से राजनीति में सक्रिय हैं आसिफा

बख़्तावर भुट्टो जरदारी आसिफ़ा की बड़ी बहन हैं।

बख़्तावर भुट्टो ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘आसिफा अली जरदारी-जेल से रिहाई के लिए कोर्ट की सुनवाइयों के दौरान आसिफ अली जरदारी के साथ मौजूद रहने से लेकर पाकिस्तान की फस्र्ट लेडी बनने तक।’

आसिफा अली जऱदारी को फस्र्ट लेडी को मिलने वाली सुविधाएं भी मिलेंगी।

आसिफा पाकिस्तान में सबसे कम उम्र की फर्स्ट लेडी बनी हैं।

वो पाकिस्तान पीपल्स पार्टी यानी पीपीपी के चुनावी अभियान के दौरान सक्रिय रही थीं।

आसिफा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत नवंबर 2020 में पीपीपी की रैली से की थी।

ऐसे में जब पाकिस्तान की फस्र्ट लेडी बनाने का फैसला हुआ तो इस पर सवाल भी उठे।

कानून के जानकार क्या कह रहे हैं

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कानून के जानकारों से बात की है।

इन जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति के पास ये अधिकार है कि वो अपने परिवार की किसी महिला सदस्य को फर्स्ट लेडी का पद दे सकता है।

इन जानकारों का कहना है कि कानून में इसे लेकर कोई बाध्यता नहीं है। 1975 के कानून में राष्ट्रपति को मिले अधिकारों में फस्र्ट लेडी का कोई जिक्र नहीं है। गृह मंत्रालय के जारी दस्तावेज़ों में भी फस्र्ट लेडी या फस्र्ट हसबैंड का जिक्र नहीं मिलता है।

संविधान और कानून के तहत राष्ट्रपति को मिलने वाली सुविधाएं परिवार के सदस्यों, बच्चों को भी मिलती हैं। कानून के तहत राष्ट्रपति के परिवार के सदस्य सरकारी आवास, एयरक्रॉफ्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जियो टीवी की वेबसाइट की खबर के मुताबिक, सैन्य शासन के दौरान राष्ट्रपति बनने के बाद साल 1958 में अयूब खान ने भी अपनी बेटी नसीम औरंगजेब को फस्र्ट लेडी बनाने का एलान किया था। तब अयूब खान की पत्नी जीवित थीं।

मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना भी अपने भाई के साथ कई मौकों पर साथ नजर आती थीं।

अतीत में दूसरे कई देशों में ऐसे मामले देखने को मिले थे, जिसमें पत्नी के ना होने पर राष्ट्रपतियों ने अपनी बेटियों, बहनों को फस्र्ट लेडी बनाने के लिए कहा था।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति एंड्रू जैक्शन की पत्नी नहीं थी। उन्होंने अपनी भांजी एमिली डोनेल्सन को फस्र्ट लेडी बनाने के लिए कहा था।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, दो और अमेरिकी राष्ट्रपतियों चेस्टर आर्थर और ग्रोवर क्लीवलेंड ने अपनी बहनों को फस्र्ट लेडी के तौर पर अपनी सेवाएं देने के लिए कहा था।

पाकिस्तान में राष्ट्रपति के साथ रहने के अलावा फस्र्ट लेडी स्वास्थ्य और समाजिक कार्यक्रमों में भी शामिल होती हैं।

हालांकि पाकिस्तान के मामले में कुछ फस्र्ट लेडी राजनीति में भी सक्रिय रह चुकी हैं।

आसिफा की दादी नुसरत भुट्टो, जिय़ा उल हक की पत्नी शफीक जिया फस्र्ट लेडी होने के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय थीं।

आसिफा के बारे में कुछ बातें

आसिफा पाकिस्तान के विदेश मंत्री रह चुके बिलावल भुट्टो की बहन हैं। आसिफा अपने पिता के साथ ज़्यादा नजर आती रही हैं।

आसिफा ने ऑक्सफर्ड ब्रुक्स यूनिवर्सिटी से समाज और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है। आसिफा ने 21 साल की उम्र में ऑक्सफर्ड यूनियन में भाषण दिया था।

आसिफा समाजिक कार्यों में भी सक्रिय नजर आई हैं।

जब आसिफ अली जरदारी अपना इलाज करवा रहीं मलाला यूसुफजई से मिलने बर्मिंगम गए थे, तब आसिफा भी उनके साथ गई थीं।

आसिफा सोशल मीडिया पर भी सक्रिय नजऱ आती हैं।

पाकिस्तान पोलियो की समस्या से अब तक जूझ रहा है और वहां पोलियो की दवा बच्चों को पिलाना एक चुनौती है।

आसिफा पोलियो से जुड़े अभियानों में भी काफी सक्रिय रही थीं।

भाई बिलावल की शख्सियत

27 दिसंबर, 2007 में बिलावल भुट्टो को माँ बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी का उत्तराधिकार घोषित किया गया था।

तब बिलावल महज 19 साल के थे और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के क्राइस्ट कॉलेज में इतिहास से ग्रैजुएशन कर रहे थे। अब बिलावल जब 33 साल के हैं तो उन्हें पाकिस्तान का विदेश मंत्री बना दिया गया है।

2009 में बिलावल को अमेरिका-पाकिस्तान-अफग़़ानिस्तान के एक समिट में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया गया था। तब बिलावल 21 साल के थे और उनके पिता आसिफ़ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति। कहा जाता है कि इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल के अलावा कूटनीतिक मामलों में बिलावल के पास कोई अनुभव नहीं है। (bbc.com/hindi)

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