विचार / लेख
डॉ. आर.के. पालीवाल
निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की घोषणा अभी हाल ही में हुई है। कुछ दिन पहले तक निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्तों की दो तिहाई पोस्ट रिक्त थी जो हाल ही में भरी गई हैं। लेकिन इस सबके बरक्स 2024 का लोकसभा चुनाव इस मायने में खास है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित होने के पहले ही भाजपा और उसकी देखादेखी अन्य राजनीतिक दलों ने चुनावी बिगुल काफी पहले फूंक दिया था। केन्द्रीय सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न राज्यों की काफी लोकसभा सीटों पर काफी पहले अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। भाजपा की देखादेखी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने भी काफी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए। विगत कुछ माह से केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमन्त्री और राज्यों में विभिन्न दलों के मुख्यमंत्री चौतरफा लोकार्पण, भूमि पूजन और विविध जन उपयोगी योजनाओं की घोषणाएं कर रहे थे। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से आए दिन अखबारों में पूरे पेज के सरकारी विज्ञापन जारी हो रहे थे।
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी वैसे तो अपने भाषणों से हर वक्त चुनावी मोड़ में ही दिखाई देते हैं लेकिन विगत कुछ माह से वे विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तबकों के वोटरों को आकर्षित करने के लिए चुनावी रैलियों में व्यस्त हो गए थे। उनकी केंद्र सरकार ने पहले रसोई गैस सिलेंडर के दाम में सौ रुपए की कमी की और हाल में डीजल पेट्रोल के दाम दो रूपए लीटर कम करके मतदाताओं के ऊंट के मुंह में जीरा डाल कर मतदाताओं के ऊंट को अपनी पार्टी की तरफ करवट दिलाने का भी प्रयास किया है। यह दूसरी बात है कि मतदाता चुनाव पूर्व दी गई चुटकी भर राहत को मान का पान मानकर वोट देंगे या इतनी कम राहत देने से नाराज़ हो जाएंगे। भारतीय मतदाताओं का मिजाज भांपना खुद को तीसमारखा राजनीतिक विश्लेषक समझने वालों के भी वश में नहीं है। केंद्र सरकार की तरह राज्यों की सरकारों ने भी अपने राज्यों के मतदाताओं को लुभाने के लिए नई नई राहत दी हैं, जैसे,उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्नदाताओं के लिए सिंचाई की बिजली मुफ्त करने की होली गिफ्ट का विज्ञापन जारी किया है।
पिचहत्तर साल से वोट डालते डालते मतदाता राजनीतिक दलों और नेताओं के सब जाल बट्टे समझने लगे हैं। कुछ दिन पहले जो उत्तर प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अन्नदाताओं को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए बार्डर पर मोर्चा संभाले हुए थी वह चुनाव की पूर्व संध्या पर सिंचाई की मुफ़्त बिजली से किसानों की आहत आत्मा पर मरहम लगा रही है। इधर जितनी भी छूट की घोषणाएं की गई हैं वे चुनाव के पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए हैं। अब जब चुनावों की विधिवत घोषणा हो गई है, अब विभिन्न राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र जारी करेंगे। यह आम चुनाव इस अर्थ में भी खास है कि इस बार चुनावी घोषणापत्र भी काफी हद तक चुनाव पूर्व ही घोषित हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मोदी की गारंटी शीर्षक से अपनी घोषणाएं की हैं और कांग्रेस ने युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए अलग अलग पांच पांच गारंटी की घोषणा की है।
2024 के चुनाव से पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा विपक्ष के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और छापों ने भी विगत कुछ वर्षों में एक रिकॉर्ड बनाया है जिसमें कुछ प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, उनके नजदीकी परिजनों, मित्रों और नौकरशाहों की गिरफ्तारियां हुई हैं या उन पर मुकदमे और एफ आई आर दर्ज हुई हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों की बढ़ती कार्यवाहियों के सामुहिक विरोध ने कई राजनीतिक दलों को आपसी मतभेद भुलाकर इंडिया गठबंधन की छतरी के नीचे आने के लिए बाध्य किया है । इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप भाजपा भी छोटे छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एन डी ए में लाने के लिए मजबूर हुई है। नतीजा चाहे जो हो 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष में कांटे का मुकाबला होगा।