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अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को आम और खास लोग कैसे देख रहे हैं?
22-Mar-2024 2:27 PM
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को आम और खास लोग कैसे देख रहे हैं?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गुरुवार रात नई दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के प्रमुख की गिरफ़्तारी को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उन्हें आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिग के मामले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें देर रात ईडी के दफ़्तर ले जाया गया है।

आम आदमी पार्टी ने गुरुवार देर रात ही सुप्रीम कोर्ट में इस गिरफ़्तारी को चुनौती दी थी। संभव है कि आज केजरीवाल की याचिका पर आज सुनवाई हो।

55 साल के केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली हाई कोर्ट के उस फै़सले के बाद हुई, जिसमें कोर्ट ने ईडी के ख़िलाफ़ उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था।

केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद से ही सुर्खियों में बने हुए हैं। सोशल मीडिया पर पत्रकार, राजनीतिक पार्टियों के नेता, वकील और आम लोग केजरीवाल और ईडी की कार्रवाई को लेकर चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग इस मामले को चुनावी बॉन्ड्स से भी जोडक़र देख रहे हैं।

किसने क्या कहा?

जानेमाने पत्रकार रवीश कुमार ने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि क्या इस बार विपक्ष रहित चुनाव होने वाला है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘क्या 2024 का रिजल्ट घोषित हो चुका है? अब कोई भी सर्वे लाइये, कोई भी डेटा लाइये, सब सही हो जाएगा। कहीं से फिट कर दीजिए, सब सही हो जाएगा। 400 की जगह 543 लिख दीजिए, सही हो जाएगा।’

उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, ‘विपक्ष का मुख्यमंत्री भी सुरक्षित नहीं है। हेमंत सोरेन गिरफ़्तार हो चुके हैं, केजरीवाल भी गिरफ़्तार हुए। कांग्रेस का खाता बंद हो चुका है विपक्ष रहित चुनाव। जनता तय करेगी या जाँच एजेंसी।’

एक और पत्रकार रोशन किशोर ने 2013 से 2024 में दिल्ली में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के वोटशेयर का डेटा साझा करते हुए लिखा, ‘दिल्ली में वोटरों की एक बड़ी संख्या विधानसभा के स्तर पर केजरीवाल का समर्थन करती है लेकिन लोकसभा के लिए बीजेपी के समर्थन में है।’

उन्होंने सवाल किया, ‘अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद बड़ा राजनीतिक सवाल खड़ा हुआ है। क्या उनकी गिरफ्तारी से 2024 में वोटर बीजेपी से नाराज होगा? या फिर मोदी के प्रति प्यार इस ग़ुस्से को खत्म कर देगा?’

वहीं पत्रकार पूजा प्रसन्ना ने लिखा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड में सामने आई जानकारी में एक मुख्य अभियुक्त जो बाद में शराब घोटाले में गवाह बन गए, उन्होंने बॉन्ड्स के जरिए 52 करोड़ रुपये राजनीतिक पार्टियों को चंदे में दिए। इसमें से 34।5 करोड़ रुपये बीजेपी के खाते में गए।’

पूजा प्रसन्ना ने द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि अरविंदो फार्मा के निदेशकों में से एक हैदराबाद के रहने वाले पी शरत चंद्र को 11 नवंबर 2022 को ईडी ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था।

15 नवंबर को उनकी कंपनी ने पांच करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। 21 नवंबर को ये बॉन्ड बीजेपी ने भुनाए।

जून 2023 में शरत चंद्र इस मामले में गवाह बन गए और फिर नवंबर 2023 में अरविंदो फ़ार्मा ने बीजेपी के 25 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदे में दिए।

रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने कुल 52 करोड़ रुपये के बॉन्ड खऱीदे, जिसमें से 34.5 करोड़ रुपये बीजेपी के पास गए, 15 करोड़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के पास और 2.5 करोड़ रुपये तेलूगु देशम पार्टी (टीडीपी) के पास गए।

वहीं जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने की खबरें हर तरफ छाई हुई हैं, लेकिन कुछ और है जिसकी तरफ ध्यान जाना चाहिए।

वो लिखते हैं, ‘स्टेट बैंक ने इलेक्टोरल ब़ॉन्ड्स देने वालों के नामों और आंकड़ों का मिलान राजनीतिक पार्टी से करने के लिए जून के आखऱि तक का, यानी चुनाव ख़त्म होने तक का वक्त मांगा था। सोचिए क्या मामला है? मेरे इंटर्न दोस्त और कई अख़बारों ने चुछ घंटों में ही आंकड़ों का मिलान कर दिया।’

‘ये एसबीआई के बारे में और देश की संस्थाओं की ईमानदारी के क्या बताता है? ये ऊटपटांग टाइमलाइन किसके आदेश पर दी गई थी? शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट को ये नाटक दिख गया।’

जाने माने राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार सुहास पलशीकर ने लिखा, ‘क्या ये चुनाव आयोग के क्षेत्र में नहीं आता कि वो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाए और आईटी विभाग के अधिकारियों से कहे कि वो चुनाव के वक़्त किसी राजनीतिक पार्टी का अकाउंट फ्रीज़ न करें?’

स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेन्द्र यादव ने लिखा, ‘राजनीतिक सहमति असहमति अपनी जगह है, लेकिन लोकतांत्रिक मर्यादा सर्वोपरि है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी इस मर्यादा का चीरहरण है। इस हिसाब से तो इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में पूरी केंद्रीय कैबिनेट को जेल में होना चाहिए। लोकतंत्र में आस्था रखने वाले हर भारतीय को इसके विरोध में खड़ा होना चाहिए।’

योगेन्द्र यादव आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे हैं लेकिन अब आम आदमी पार्टी में नहीं हैं।

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से दो बार कांग्रेस सांसद रहे संदीप दीक्षित ने कहा, ‘ये कोई बात होती है क्या कि आप रात को ये क़दम उठा रहे हैं। रात ते नौ बजे और सवेरे नौ बजे के बीच में क्या पहाड़ टूट जाएगा?’

इसे लेकर एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ‘ये शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित हैं। जब वो दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं तब केजरीवाल ने उनकी टीम पर आरोप लगाए थे, उन्हें बदनाम किया था। लेकिन आज केजरीवाल गिरफ्तार किए गए हैं तो इन्होंने जाकर उनके परिवार से मुलाकात की। यही है कांग्रेस पार्टी।’

सुप्रीम कोर्ट में वकील संजय हेगड़े ने लिखा, ‘अगर अरविंद केजरीवाल को ईडी ने उसी तरह गिरफ्तार किया जैसे हेमन्त सोरेन को किया और न्यायिक प्रक्रिया उन्हें बिना सुनवाई के लंबे वक्त तक क़ैद में रखने की इजाज़त देती है तो हमें ये सवाल करना चाहिए कि क्या ये क़ानून का शासन है या फिर ये शासक का क़ानून है जो यहां पर लागू है।’

फैक्ट चैकिंग वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा लिखते हैं, ‘सत्ता में मौजूद वो सभी वयस्क चाहे वह राजनेता हों, पत्रकार, नौकरशाह, पुलिसकर्मी, वकील, जज या किसी और पेशे से जुड़े हों। जो तानाशाही की स्थापना करने और उसे बढ़ाने में किसी तरह से योगदान देता है, उसने सोच समझकर वो विकल्प चुना है। ऐसे लोगों के साथ कभी सहानुभूति न रखें।’

बीजेपी के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी के करीबी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी ने लिखा है, ‘चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद मौजूदा मुख्यमंत्री की गिरफ्त्तारी निदंनीय है। ये गैर-लोकतांत्रिक है और साफ तौर पर चुनावों में बीजेपी को अनुचित तरीके से फायदा पहुँचाने के लिए है।’

थिंकटैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रीसर्च में सीनियर फेलो और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलो के जानका सुशांत सिंह ने तंज कसा, ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।’

गुरुराज अनजान नाम के एक यूजर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 10 साल पुराना एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।

साल 2014 के इस वीडिया में मनमोहन सिंह देश को चेतावनी देते हैं, ‘नरेंद्र मोदी की काबिलियत पर चर्चा किए बिना अगर वो भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए तो यह देश के लिए घातक सिद्ध होगा।’

2014 में एक संवाददाता सम्मेलन में मनमोहन सिंह ने कहा था कि वो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का पदभार नहीं संभालेंगे।

इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी को लेकर चेताया था और कहा था, ‘अगर आप अहमदाबाद की गलियों में बेगुनाह लोगों के नरसंहार को प्रधानमंत्री बनने की क्षमता नापने का पैमाना मानते हैं तो मैं इसमें विश्वास नहीं करता।’

बीजेपी और आम आदमी पार्टी के आरोप प्रत्यारोप

बीजेपी का कहना है कि ईडी का कार्रवाई के बाद केजरीवाल को नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए, करें घोटाला शराब का तो आराम कहां से पाए। ये शराब के घोटाले का विषय है और किस अदालत तक ये घोटाला नहीं पहुंचा है।’

‘कौन सी ऐसी एजेंसी है, जिसने इसकी जांच नहीं की है? और कौन सा ऐसा दिल्लीवासी है, जो इस मामले के तथ्यों से अनभिज्ञ है?’

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत में अघोषित आपातकाल है, हमारा गणतंत्र ख़तरे में है। चुनावों से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। वो दूसरे विपक्षी नेता हैं, जो गणतांत्रिक तरीक़े से चुने गए हैं। हम किस ओर जा रहे हैं?’

‘देश ने कभी एजेंसियों का इस तरह से खुले तौर पर ग़लत इस्तेमाल नहीं देखा। ये कायराना हरकत है और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का साजि़श है।’

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाठक ने लिखा, ‘भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी को ये दांव उल्टा और बहुत महँगा पड़ेगा।’

पार्टी ने गुरुवार रात को कहा था कि ‘केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे चाहे उन्हें जेल से ही सरकार क्यों न चलानी पड़े।’

कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा, पार्टियों को तोडऩा, कंपनियों से हफ़्ता वसूली, मुख्य विपक्षी दल का अकाउंट फ्रीज़ करना भी ‘असुरी शक्ति’ के लिए कम था, तो अब चुने हुए मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी आम बात हो गई।’

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने गुरुवार रात को केजरीवाल के परिवार से मुलाक़ात की और आरोप लगाया कि मोदी सरकार पर एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘चाहे हमारे अकाउंट फ्रीज़ करने की बात हो या फिर हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी बात हो या फिर केजरीवाल की गिरफ्तारी की बात की, ईडी चुनावों के साथ जोड़ कर ये कार्रवाई कर रही है। आप चुनाव से पहले किसी भी पार्टी का गला थोड़े घोंट सकती है।’

कांग्रेस के पूर्व नेता और जानेमाने वकील कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए लिखा, ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी ने ये दिखा दिया कि ईडी उसका सबसे वफ़ादार बेटा है।’

कांग्रेस नेता और जानेमाने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा, ‘घबराइए, आप फासीवाद में प्रवेश कर चुके है। तानाशाही सरकार सारे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल रही। संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है। जैसे-जैसे लोक सभा चुनाव करीब आ रहे है देश में सिर्फ नाममात्र का लोकतंत्र रह गया है असल मे यहाँ फासीवाद चल रहा है।’

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने इसकी कड़ी आलोचना की और लिखा कि इंडिया गठबंधन अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ इस असंवैधानिक कार्रवाई का विरोध करती है।

उन्होंने लिखा, ‘आम चुनाव सिर पर हैं और विपक्ष को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये गिरफ्तारी दिखाती है कि सत्ता के लिए बीजेपी किस हद कर नीचे गिर सकती है।’

क्या है मामला?

गुरुवार को हाई कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद ईडी के अतिरिक्त डायरेक्टर के नेतृत्व में 10 सदस्यों की ईडी की एक टीम दिल्ली के सिविल लाइन्स में मौजूद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर पहुंची।

वहां तलाशी अभियान चलाया गया। ईडी की टीम के उनके आवास पर पहुंचने के कऱीब दो घंटे बाद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।

केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए जिसके बाद उनके आवास के बाहर धारा 144 लागू की गई।

इस मामले में ये ईडी की ये 16वीं गिरफ्तारी है। ईडी ने अब तक इस मामले में छह चाजऱ्शीट दाखिल की है और 128 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति ज़ब्त की है।

इससे पहले ईडी ने पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कई बार केजरीवाल को समन भेजे थे, लेकिन केजरीवाल ये पेश होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने ईडी के ख़िलाफ़ कोर्ट का रुख़ किया था।

ईडी और सीबीआई का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति के ज़रिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों से घूस लेकर उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया गया। आम आदमी पार्टी अब तक इन आरोपों से इनकार किया है। (bbc.com/hindi)

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