विचार / लेख

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और लोकसभा चुनाव 2024
27-Mar-2024 8:46 PM
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और लोकसभा चुनाव 2024

- डॉ. आर.के. पालीवाल
केन्द्रीय जांच एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्यवाहियों से दिन ब दिन लगातार यह आभास और पुख्ता होता जा रहा है कि वे उस निष्पक्षता से कोसों दूर होती जा रही हैं जिसकी परिकल्पना संविधान निर्माताओं ने उनसे की थी। ऐसा नहीं है कि यह परिर्वतन रातों रात हुआ है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि कुछ दौर में इन जांच एजेंसियों का व्यवहार अत्यंत पक्षपातपूर्ण दिखने लगता है। इंदिरा गांधी के आपातकालीन दौर के आसपास ऐसी ही स्थिति बनी थी या फिर वर्तमान केंद्रीय सत्ता के दौर में कुछ कुछ उसी तरह के हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। 

दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री को एक के बाद एक नौ समन जारी करने के बाद उनके सरकारी आवास से देर शाम छापे के बाद गिरफ्तार करने की घटना आजाद भारत के लिए इसलिए ऐतिहासिक बन गई है क्योंकि इसके पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में बहुतेरे मुख्यमंत्रियों पर संगीन आरोप लगे हैं और उनकी गिरफ्तारी हुई है लेकिन किसी दौर में किसी मुख्यमंत्री को इस तरह पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया गया और वह भी पूरे देश में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगी आचार संहिता के समय, इसलिए अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के समय का चुनाव भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार यह कहकर अपना पल्ला झाडऩे की असफल कोशिश करेगी कि चुनाव काल में केंद्रीय जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से अपना काम कर रही हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए यह करो या मरो की स्थिति है। जब उसके तीन तीन कद्दावर नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह आबकारी नीति मामले में जेल में बंद हैं, ऐसे में उसके दूसरी और तीसरी श्रेणी के नेता आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कितना उत्साह दिला पाएंगे, आम आदमी पार्टी का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा। 

ऐसा लगता है कि दिल्ली में उप राज्यपाल, केंद्रीय जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के माध्यम से आम आदमी पार्टी की सरकार की गतिविधियों में रोड़े अटकाने वाली केन्द्र सरकार ने बहुत नाप तौल कर अरविन्द केजरीवाल को ऐसे नाजुक वक्त में गिरफ्तार करने का जोखिम उठाया है जिसका ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।इलेक्टोरल बॉन्ड के घेरे में फंसती भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में बाहर रहकर अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे पर काफी परेशानी खड़ी कर सकते थे। अरविंद केजरीवाल और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल लंबे समय तक आयकर विभाग में रहे हैं और आर्थिक अपराध की बारीकियों को अधिकांश नेताओं से बेहतर समझ सकते हैं। अरविन्द केजरीवाल स्वभाव से अत्यंत मुखर और महत्वाकांक्षी हैं इसलिए इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा कर वे इंडिया गठबंधन में भी अपना कद बढ़ा सकते थे इसलिए लोकसभा चुनाव के समय इंडिया गठबंधन के लिए प्रचार के लिए उनका उपलब्ध रहना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता था। केजरीवाल का जेल में रहना भाजपा के लिए अलग तरह की परेशानी पैदा कर सकता है। उनकी अनुपस्थिति में कार्यकर्त्ता धरने प्रदर्शन कर माहौल अपने पक्ष में बनाने की पूरी कोशिश करेंगे।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी का ऊंट किस करवट बैठेगा, निकट भविष्य में यह न्यायपालिका के आदेशों पर सबसे ज्यादा निर्भर करेगा। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में आ चुका है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में विद्वान वकीलों की भारी भरकम फौज निचली अदालत से लेकर उच्च और उच्चतम न्यायालय तक जिरह करने के लिए चौबीस घंटे उपलब्ध रहती है जिसमें अभिषेक मनु सिंघवी से लेकर कपिल सिब्बल सरीखे दिग्गज शामिल रहते हैं। अगले दस पंद्रह दिन में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का भविष्य थोड़ा साफ दिखने लगेगा। फिलवक्त आम आदमी पार्टी से ज्यादा केंद्र सरकार इस मामले में घिरती नजर आ रही है ।

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