विचार / लेख

गठबंधन सरकार के प्रारंभिक क्रियाकलाप
01-Jul-2024 10:31 PM
गठबंधन सरकार के प्रारंभिक क्रियाकलाप

-डॉ. आर.के. पालीवाल

केंद्र की नई सरकार ने प्रारंभिक दो बड़ी बाधाएं, 1. मंत्रिमंडल के गठन में विभागों का बंटवारा और 2. लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव, ठीक से पार कर ली हैं। बहुत से राजनीतिक विश्लेषक कयास लगा रहे थे कि गठबंधन में शामिल जनता दल और तेलगु देशम पार्टी गृह, वित्त, रक्षा और रेलवे जैसे महत्वपूर्ण विभागों की दावेदारी करेंगे और ऐसा सौदा नहीं होने की स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष अपने दल से बनाने की कोशिश होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। भाजपा ने अपने पास सभी बड़े मंत्रालय भी रख लिए और लोकसभा अध्यक्ष का पद भी रख लिया। यह ठीक ही हुआ। लोकतंत्र का तकाजा है कि छोटे दलों को गठबंधन सरकार में बड़े भाई नहीं बनना चाहिए।

भारत जैसे विविधता से सरोबार देश के लिए गठबंधन सरकार सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि गठबंधन सरकारें लोकतंत्र को सही अर्थों में मजबूती प्रदान करती हैं। गठबंधन में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के अंतर्गत राजनीतिक दलों या उनके दबंग किस्म के नेताओं की व्यक्तिगत पसंद या विरोध पर नियंत्रण रहता है और हर विचार और क्षेत्र को सहभागिता का अवसर मिलता है । गठबंधन सरकार महात्मा गांधी के राजनीतिक विचारों के भी ज्यादा करीब हैं। हमें याद रखना चाहिए कि आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में बने पहले मंत्रिमंडल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉ भीमराव अंबेडकर जैसे विरोधी माने जाने वाले नेताओं को शामिल कराने की पहल महात्मा गांधी ने ही की थी।

वर्तमान परिपेक्ष्य में देखें तो जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दो मंत्रीमंडलों की आलोचना होती थी कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कई अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर स्मृति ईरानी जैसे नौसिखियो को भारी भरकम मंत्रालय देकर मनमानी की थी , अब उस तरह की मनमानी सम्भव नहीं होगी।इसी तरह जैसे हिन्दुत्व और सीएए आदि मुद्दों पर एकतरफा निर्णय किए जा रहे थे ऐसी नीतियों और फैसलों पर भी काफी विचार-विमर्श के बाद ही बेहतर निर्णय लिए जाएंगे।

गठबंधन सरकार चलाने का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण संभवत अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी और एन डी ए की केंद्र सरकार का ही है। नरसिंह राव ने भी इसी तरह की सरकार चलाते हुए मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। बाद में मनमोहन सिंह ने भी गठबंधन सरकार का सफल नेतृत्व किया था। जो लोग गठबंधन सरकारों के समय ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायत करते हैं वे भूल जाते हैं कि दुनिया में पूर्ण बहुमत वाली तानाशाही सरकारों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पनपे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत न मिलने और विपक्ष के मजबूत होने से भारतीय लोकतंा और अर्थ व्यवस्था का भला होगा। यदि नरेन्द्र मोदी सरकार को तीसरी बार भी पूर्ण बहुमत मिलता तो लोकतंत्र और अर्थ व्यवस्था में सुधार की संभावना कम थी। उन्होंने यह भी कहा है कि भले ही आर्थिक वृद्धि की दर तेज हो लेकिन यह उन क्षेत्रों में भी होनी चाहिए जिनसे ज्यादा जनता प्रभावित होती है। 

वर्तमान गठबन्धन सरकार के संबंध में निकट भविष्य में तीन चार चीजें बहुत महत्पूर्ण होंगी।मोदी जी, जिन्हें अब तक गोदी मीडिया ने एक अलौकिक और चमत्कारी गुणों वाला व्यक्ति सिद्ध करने में दिन रात एक किए थे, के व्यक्तित्व की असली परख आने वाले समय में होगी जब वे अपने सहयोगी दलों से तालमेल बिठाने की कोशिश करेंगे।

दूसरे, अब मोदी सरकार के फैसलों की जानकारी सहयोगी दलों के नेताओं और मीडिया के माध्यम से जनता के सामने अधिक पारदर्शी तरीके से आएगी क्योंकि मोदी और उनके जबरदस्त नियंत्रण के चलते चुप्पी साधे हुए भाजपा के मंत्री खुलकर नहीं बोल पाते थे।अब सहयोगी दलों के मंत्री अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने जोर शोर से प्रचारित प्रसारित करेंगे और उसका सारा श्रेय पहले की तरह मोदी जी को नहीं मिलेगा। लोकतंत्र के लिए यह सब शुभ लक्षण हैं।

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