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कोरोना के इलाज़ में मुस्तैदी कैसे लाएं
16-Jun-2020 7:17 PM
कोरोना के इलाज़ में मुस्तैदी कैसे लाएं

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

दिल्ली में कोरोना-संकट से निपटने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने पहले दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री से बात की और आज उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाई। इन दोनों बैठकों में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन, दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल और कई उच्च अधिकारी शामिल हुए। सबसे अच्छी बात यह हुई कि प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस का प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल हुआ।

यह क्या बताता है ? इससे पता चलता है कि भारत का लोकतंत्र कितनी परिपक्वता से काम कर रहा है। यह ठीक है कि कांग्रेस के बड़े नेता अपनी तीरंदाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। वे हर रोज़ किसी न किसी मुद्दे पर सरकार की टांग खींचते है और जनता के नजऱों में नीचे की तरफ फिसलते जा रहे हैं लेकिन उन्होंने यह सराहनीय काम किया कि गृहमंत्री की बैठक में अपना प्रतिनिधि भेज दिया।

गृहमंत्री की इन दोनों बैठकों में कुछ बेहतर फैसले किए गए हैं, जिनके सुझाव मैं पहले से देता रहा हूं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि दिल्ली के अधिक संक्रमित इलाकों में अब घर-घर में कोरोना का सर्वेक्षण होगा। कोरोना की जांच अब आधे घंटे में ही हो जाएगी। रेल्वे के 500 डिब्बों में 8 हजार बिस्तरों का इंतजाम होगा। गैर-सरकारी अस्पतालों में 60 प्रतिशत बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित होंगे। कोरोना-मरीजों को सम्हालने के लिए अब स्काउट-गाइड, एन.सी.सी., एन.एस.एस. आदि संस्थाओं से भी मदद ली जाएगी।

मैं पूछता हूं कि हमारे फौज के लाखों जवान कब काम आएंगे ? कोरोना का हमला किसी दुश्मन राष्ट्र के हमले से कम है क्या ? यदि सिर्फ दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 5-6 लाख तक होनेवाली है तो उसका सामना हमारे कुछ हजार डॉक्टर और नर्स कैसे कर पाएंगे ? मुंबई में कोरोना की प्रांरभिक जांच सिर्फ 25 रु. में हो रही है। कोरोना की इस जांच के लिए मुंबई की स्वयंसेवी संस्था ‘वन रुपी क्लीनिक’ की तर्ज पर हमारे सरकारी और गैर-सरकारी अस्पताल काम क्यों नहीं कर सकते ? सरकार का यह फैसला तो व्यावहारिक है कि गैर-सरकारी अस्पतालों को सिर्फ कोरोना अस्पताल बनने के लिए मजबूर न किया जाए लेकिन हमारे सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में कोरोना-मरीजों के इलाज में लापरवाही और लूटमार न की जाए, यह देखना भी सरकार का कर्तव्य है। गृहमंत्री शाह खुद लो.ना. जयप्रकाश अस्पताल गए, यह अच्छी बात है। वहां के वीभत्य दृश्य टीवी पर देखकर करोड़ों दर्शक कांप उठे थे।

यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक सरकार ने कोरोना के इलाज पर होनेवाले खर्चों की सीमा नहीं बांधी है। मैं तो चाहता हूं कि उनका इलाज बिल्कुल मुफ्त किया जाना चाहिए। हमारे देश में मामूली इलाज से ठीक होनेवालों की संख्या बीमार होने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा है। जिन्हें सघन चिकित्सा (आईसीयू) और सांस-यंत्र (वेंटिलेटर) चाहिए, ऐसे मरीजों की संख्या कुछ हजार तक ही सीमित है। कांग्रेस ने गृहमंत्री से कहा है कि गंभीर रोगियों को सरकार 10 हजार रु. की सहायता दे। जरुर दे लेकिन जरा आप सोचिए कि जो सरकार मरीजों का इलाज मुफ्त नहीं करा पा रही है, वह उन्हें दस-दस हजार रु. कैसे देगी ?  (नया इंडिया की अनुमति से)

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