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भारत-चीन शांति पर सहमति अचानक खूनी टकराव कैसे?
17-Jun-2020 2:09 PM
भारत-चीन शांति पर सहमति अचानक खूनी टकराव कैसे?

भारत और चीन के सैनिकों के बीच इससे पहले कोई बड़ी झड़प सितंबर 1967 में हुई थी। सिक्किम के नाथूला में हुई इस झड़प में 88 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से भी ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर अपेक्षाकृत शांति ही रही। लेकिन 15 जून की रात यह स्थिति बदल गई। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों बीच खूनी झड़प हुई। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। 43 चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की खबरें आईं।

इस खबर ने सबको चौंका दिया। इसकी वजह यह थी कि इससे ठीक पहले तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच पीछे हटने पर आपसी सहमति की खबरें आ रही थीं। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भी कहा था कि हालात काबू में हैं। लेकिन ताजा घटना ने हालात फिर गरमा दिए हैं।

असल में भारत और चीन के बीच लद्दाख से सटी सीमा को लेकर पिछले कुछ समय से तनाव चल रहा था। इससे पहले भी इस इलाके में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पों की खबर आई थी। लेकिन उसके बाद शांति बहाली के प्रयास शुरू हुए और कुछ ही दिन पहले चीन का बयान आया कि दोनों देश सीमा विवाद को लेकर एक सकारात्मक सहमति तक पहुंच गए हैं। इसके बाद पूर्वी लद्दाख के कई सीमाई इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं के आपसी सहमति से दो से ढाई किमी पीछे हटने की भी खबर आई थी।

चीन ने आरोप लगाया है कि दो भारतीय सैनिक उसके इलाके में घुस गए थे जिसके बाद तनाव शुरू हुआ। उसका यह भी कहना है कि भारत को कोई एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए माहौल बिगाडऩे की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उधर, भारत ने चीन के आरोप को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि चीनी सेना यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने की कोशिश कर रही थी।

भारत और चीन के बीच करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा है। बीते कुछ समय से लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं का जमावड़ा बढ़ा है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन लद्दाख के पास एक एयरबेस का विस्तार कर रहा है। तस्वीरों से यह भी खुलासा होता है कि चीन ने वहां लड़ाकू विमान भी तैनात किए हैं। इसके बाद भारत ने भी इस इलाके में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है।

मई से इस इलाके में लगातार दोनों पक्षों के बीच झड़पों की खबरें आ रही थीं। इसके साथ-साथ दोनों की तरफ से शांति बहाली की कोशिशें भी चल रही थीं। ले। जनरल स्तर तक के अधिकारी आपस में बात कर रहे थे। इसके बाद सहमति बन गई थी कि दोनों तरफ से सैनिक टकराव वाली जगहों से पीछे हटेंगे और बीच में एक बफर जोन रहेगा। इसे नो मैन्स लैंड भी कहा जाता है। इसके बाद सैनिकों के पीछे हटने की शुरुआत भी हो गई थी।

शांति की इसी प्रक्रिया के तहत सोमवार सुबह दोनों देशों के कमांडिंग अफसर स्तर के अधिकारियों की बातचीत हुई थी। भारत की तरफ से कर्नल संतोष बाबू इसमें शामिल हुए थे। शाम को कर्नल दो जवानों के साथ गलवान नदी के किनारे पीपी-14 नाम के उस इलाके में पहुंचे जहां से आपसी सहमति के मुताबिक चीनी सैनिकों को पीछे हटना था। सूत्रों के हवाले से चल रही कुछ खबरों में बताया गया है कि यहां उन्होंने देखा कि गलवान नदी के इस दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिक एक नई पोस्ट बना रहे थे।

कर्नल ने इसका विरोध किया क्योंकि यह जगह बफर जोन के लिए तय हुई थी। तनातनी बढ़ गई। इसके बाद दोनों तरफ के और भी सैनिक मौके पर आ गए और हिंसक टकराव शुरू हो गया। खबरों के मुताबिक इस दौरान कुछ भारतीय सैनिकों को नदी में धक्का दे दिया गया तो कुछ बुरी तरह घायल हो गए। इन सैनिकों के शव नदी से बरामद कर लिये गए हैं। सेना के मुताबिक 17 घायल सैनिकों की हालत सर्द मौसम में पड़े रहने से और खराब हो गई थी और उन्हें नहीं बचाया जा सका। इस टकराव में 43 चीनी सैनिकों के हताहत होने की बात भी कही जा रही है, लेकिन चीनी सेना की तरफ से अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने अपने सैनिकों की मौतों की बात मानी है लेकिन इसे लेकर उसने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है।

फिलहाल दोनों पक्ष पीछे हट गए हैं। अब सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर संवाद जारी है ताकि हालात को और बिगडऩे से रोका जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों और सेना प्रमुख के साथ देर रात बैठक कर स्थिति पर चर्चा की है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से अपील की है कि वे संयम बरतें। उधर, अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत और चीन इस स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लेंगे। (satyagrah.scroll.in)

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