विचार / लेख
-विष्णु राजगड़िआ
धनबाद से चिंताजनक खबर सामने आई है। 55 पत्रकारों की टेस्ट रिपोर्ट में 23 कोरोना पॉजिटिव मिले।
कोरोना के 97-98 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। इसलिए पेनिक न हों, सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर अमल करें, समय का सदुपयोग करते हुए एकांतवास का आनंद लें। अस्पताल की व्यवस्था की चिंता बाद में कर लीजिएगा, अभी सकारात्मक मूड में रहकर इलाज पर ध्यान दें। जल्द ही सब स्वस्थ हो जाएंगे। मेरे कई परिचित लोग आसानी से ठीक हो चुके हैं।
जिन पत्रकारों का टेस्ट हुआ उनमें ज्यादातर असिम्प्टोमिक थे। लिहाजा, इस प्रकरण का मतलब समझना भी जरूरी है।
1. जिनलोगों की टेस्टिंग करेंगे, उनमें कोरोना पॉजिटिव लोग मिलेंगे। अगर टेस्टिंग ही नहीं करेंगे, तो पता ही नहीं चलेगा।
2. मार्च के महीने में दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिला। तब उस कार्यक्रम में शामिल लोगों की देश भर के खोज कर टेस्टिंग की गई। इससे काफी लोग कोरोना पॉजिटिव निकले। ऐसे लोगों को खोजकर उनका इलाज करना सही निर्णय था। लेकिन इसके नाम पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना या उन्हें कोरोना बम बताना गलत था।
3. तब्लीगी जमात के लोगों को मरीज के तौर पर सहानुभूति देने के बदले कोरोना फैलाने वाले अपराधी के रूप में पेश किया गया। ऐसे में अब अन्य मरीजों के लिए भी अस्पताल में किसी बेहतर व्यवस्था का दबाव नहीं होगा। उस वक्त की मीडिया खबरों का आत्मावलोकन जरूरी है।
4. अन्य मामलों में भी अगर इसी तरह सबकी खोजकर कांटेक्ट ट्रेसिंग जांच होती, तो हिन्दू लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए जाते। उनका भी इलाज होता, स्वस्थ होते। ऐसे तो बिना टेस्ट बिना इलाज कोई मर जाए तो पता ही नहीं चलेगा कि कोरोना हुआ।
5. दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने देश भर में सर्वाधिक टेस्ट करके सारे मामले खोज निकाले। इसके कारण वहां ज्यादा केस मिले। जबकि यूपी, बिहार जैसे राज्यों में 'नो टेस्ट, नो कोरोना' की पॉलिसी अपनाई गई। समाज अंदर से बीमार होता रहा, बीजेपी चुनाव प्रचार में लगी रही।
6. दिल्ली में सर्वाधिक टेस्टिंग हो रही है। भक्तों को भ्रम है कि ऐसा अमित शाह के कारण हुआ। जबकि अमित शाह ने जिस दिन दिल्ली में बैठक की, उस दिन तक भी दिल्ली की टेस्टिंग राष्ट्रीय औसत से 3.5 गुना ज्यादा थी। यूपी से 8 गुना और बिहार से 16 गुना ज्यादा।
7. अगर अमित शाह ने दिल्ली में टेस्ट बढ़ाए, तो यूपी बिहार हरियाणा में क्यों नहीं बढ़ाते?
8. दिल्ली में असिम्प्टोमिक मरीजों के लिए होम आइसोलेशन का अच्छा प्रयोग हुआ है। केजरीवाल ने जब इसकी शुरुआत की, तो भक्तों ने काफी गाली दी थी। लेकिन अब तक के अनुभव बताते हैं, कि बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन सबसे अच्छा विकल्प है। क्या झारखंड में इस पर विचार होगा?
9. दिल्ली ने प्लाज्मा थेरेपी का भी अच्छा प्रयोग किया, जिसका मजाक उड़ाया गया। अब उसकी सफलता साफ दिख रही है। क्या झारखंड इस पर विचार करेगा?
10. कोरोना पॉजिटिव पाए गए सभी लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग हो। सबने पिछले 15 दिन में जिनसे मुलाकात की हो, सबकी कोविड जांच हो। परिवार के सदस्यों की भी।
11. क्या आरोग्य सेतु ऐप्प का कोई उपयोग दिखा है? अगर हां, तो उसके बारे में जानने की दिलचस्पी है।