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'ट्रंप पर लिखी हर किताब मैंने पढ़ी और जो सीखा उसे आप भी जानिए'
13-Sep-2020 6:09 PM
'ट्रंप पर लिखी हर किताब मैंने पढ़ी और जो सीखा उसे आप भी जानिए'

-थॉम पूले

शायद ही कोई ऐसा दिन गुज़रता है जब ट्रंप का कोई पुराना सहयोगी ट्रंप पर एक किताब लेकर नहीं आता. ये सब मिलकर ट्रंप के बारे में क्या बताना चाहते हैं?

ट्रंप पर लिखी एक किताब के लेखक से किसी ने पूछा कि क्या इससे पहले ऐसा कोई राष्ट्रपति रहा है?

जवाब था, “मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.”

एक रिएलिटी स्टार और बिज़नेसमैन से राष्ट्रपति बनने का सफ़र किताबों के लिए एक अच्छी कहानी है. यह लेखकों को आकर्षित करती है और ऐसी किताबें आती रहती हैं.

पिछले हफ़्ते वरिष्ठ पत्रकार बॉब वुडवर्ड और ट्रंप के पुराने वकील माइकल कोहन की एक किताब ने सुर्खियां बटोरी.

पत्रकार, परिवार को जानने वाले लोग और ट्रंप के समर्थक लेखकों ने इस दौरान शानदार काम किया है.

यह लेख उन लोगों के बारे में है जो या तो ट्रंप के कैंपेन के दौरान या फिर व्हाइट हाउस में उनके साथ काम कर चुके हैं.

लिस्ट काफ़ी लंबी है

जॉन बॉलटन: ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जिन्हें या तो निकाल दिया गया था या फिर उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था– ये इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कौन सा वर्ज़न सुना है, ट्रंप के मुताबिक, “वो सरकार के सबसे मूर्ख लोगों” में से एक थे.

जेम्स कॉमी: एफबीआई के पूर्व डायरेक्टर जिन्हें ट्रंप ने निकाल दिया था. ट्रंप ने उन्हें “स्लीज़ बैग”(घटिया) कहकर बुलाया था.

एंड्रयू मैकेब: कॉमी को बाहर का रास्ता दिखाने के कुछ ही दिनों के बाद ट्रंप ने एफबीआई के डिप्टी डायरेक्टर मैक्कैबे को निकाल दिया. ट्रंप ने उन्हें “मेजर स्लीज़बैग” बुलाया था.

एंथनी स्कारामुच: साल 2017 में ट्रंप के बहुत कम वक़्त के लिए कम्युनिकेशन डायरेक्टर थे. अपनी किताब में ट्रंप की तारीफ़ करते हैं, लेकिन बाद में उनके आलोचक बन गए थे.

शॉन स्पाइसर : स्कारामुची के कम्युनिकेशन डायरेक्टर बनाए जाने के बाद स्पाइसर ने इस्तीफ़ा दे दिया था. अपनी किताब में उन्होंने ट्रंप की आलोचना नहीं की है.

सारा सैंडर्स: स्पाइसर के बाद सारा ने पद संभाला और पिछले साल जुलाई तक पद पर बनी रहीं. वो ट्रंप की वफ़ादार थीं और ट्रंप उन्हें ‘योद्धा’ कहते थे.

क्रिस क्रिस्टी: साल 2016 में सबसे पहले ट्रंप की पैरवी करने वाले पहले गवर्नर. वो ट्रंप की ट्रांज़िशन टीम के प्रमुख थे, रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ट्रंप के दामाद जैरेड कशनर के कहने पर उन्हें हटा दिया गया. ऐसा माना जाना है कि ट्रंप के चुनावी भाषणों के पीछे उनका बड़ा योगदान था.

ओमारोसा मैनीगॉल्ट न्यूमैन: ट्रंप के टीवी शो द अप्रेंटिस में भाग लेने बाद उनके कैंपेन का हिस्सा बनीं. ट्रंप उन्हें “सभी के द्वारा तिरस्कृत” कहते थे.

अज्ञात: लेखक जो खुद को ट्रंप सरकार के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं. उन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं की है, ये ज़रूर कहा है कि वो आने वाले समय में सामने आएंगे. हालांकि ट्रंप का कहना हैं वो उनका नाम जानते हैं और उनके मुताबिक़ वो “धोखेबाज़” हैं.

कोरी ल्यूवनडाउस्की: राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप के पहले कैंपेन मैनेजर और डिप्टी कैंपेन मैनेजर डेविड बॉसी से साथ मिलकर लिखी किताब में कई सकारात्मक पहलू पेश किए हैं.

क्लिफ़ सिम्स: एक कंज़रवेटिव पत्रकार जिन्होंने कम्युनिकेशन एड की तरह काम किया. इस किताब को जल्दबाज़ी या तारीफ़ में लिखी किताब की तरह ख़ारिज नहीं किया जा सकता. ट्रंप ने उन्हें एक ‘बिख़रा हुआ’ और ‘निचले दर्जे’ का स्टाफ़ कहा था.

ये सभी किताबें पक्षपाती हैं. ज़्यादातर जानकारियां निजी संवादों पर आधारित हैं इसलिए आपके पास लेखक पर भरोसा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. सहानुभूति जताने वालों को माफ़ी मांगने वालों की तरह पेश किया गया है और आलोचकों को बदला लेने वालों की तरह.

लेकिन इन सब को मिलाकर देखें तो हमें क्या मिलता है?

ट्रंप के बारे में लेखकों का मत जो भी हो, एक मुख्य थीम है जो बार-बार नज़र आती है.

स्पाइसर लिखते हैं, “डोनाल्ड ट्रंप से वफ़ादारी को लेकर सख़्त नियम हैं. कोई उन्हें धोखा दे, इससे बुरा उनके लिए कुछ नहीं है.” ल्यूवनडाउस्की और बॉसी के मुताबिक, “वफ़ादारी उनके लिए एक अहम फ़ैक्टर है.”

कोहन की किताब ‘डिस्लॉयल’ और कॉमी की किताब ‘अ हायर लॉयलटी’ का मूल कॉन्सेप्ट यही है. कॉमी की किताब जो उनके अनुभवों से जुड़ी है, थोड़ी लीडरशिप से और थोड़ी चीज़ों को बेनकाब करने से, उसमें वो लिखते हैं कि जब वो एफ़बीआई डायरेक्टर थे तब ट्रंप ने कहा था, “मुझे वफ़ादारी चाहिए, मुझे वफ़ादारी की उम्मीद है.”

कॉमी के मुताबिक़ उन्होंने इनकार कर दिया और वो बहुत दिन उस पद पर कायम नहीं रह सके.

ट्रंप कि अपनी दुनिया में उनके प्रति निष्ठा ही है जिस पर यह फ़ैसला किया जाता है कि कौन रहेगा और राष्ट्रपति किसकी बातें सुनेंगे. कभी-कभी यह पॉलिसी बनाने में भी मददगार साबित होता है.

बॉलटन अपनी किताब में लिखते हैं कि वेनेज़ुएला मामले में ट्रंप ने वहां के विपक्षी नेता जुआन गुऐडो को लेकर कहा था, “मैं चाहता हूं कि वो कहें कि वो अमरीका के प्रति बहुत वफ़ादार हैं, और किसी के प्रति नहीं.”

लेकिन निष्ठावान रहना ट्रंप की दुनिया में एकतरफ़ा है. सिम्स अपनी किताब के आख़िरी चैप्टर में लिखते हैं, “सच यही है कि उनके रिश्तेदारों के अलाना कोई भी कभी भी हटाया जा सकता है.”

ट्रंप एक ‘यूनीकॉर्न’!

अपने प्रति निष्ठा रखने की मांग करने के कारण ही ट्रंप को कई लेखकों ने मॉब बॉस यानी भीड़ का नेता कहा है. जब कई साल क़ानून लागू करने वाली संस्थाओं को देने वाले कॉमी और मैकेब ऐसा कहते हैं तो बात वाजिब लगती है.

अज्ञात लेखक के मुताबिक, ट्रंप एक “12 साल के बच्चे हैं जिन्हें एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर में बैठा दिया गया है.”

कॉमी कहते हैं कि उनका नेतृत्व “जंगल में फैली आग” की तरह है.

ओमारोसा की किताब में तो उन्हें नस्लवादी, कट्टर और महिला विरोधी बताया गया है.

स्पाइसर के मुताबिक ट्रंप एक “यूनिकॉर्न हैं, इंद्रधनुष पर चलने वाले यूनिकॉर्न.”

राष्ट्रपति के साथ रहना...क्या अच्छा था?

ट्रंप के आलोचकों और समर्थकों की किताबों में ट्रंप को लेकर कही गई बातों में बहुत कम समानताएं हैं. लेकिन एक बात है कि वो एक करिश्माई इंसान हैं, तेज़ तर्रार और कुशल राजनीतिक स्किल के साथ. उनके बोलने की अलग स्टाइल, कई बार उनके लिए बड़बोलापन एक तोहफ़ा है.

ल्यूवनडाउस्की और बॉसी के मुताबिक़, “उन्हें पता है कि लोगों से कैसे बात करनी है.”

स्पाइसर के मुताबिक़ उनके पिता कहते हैं, “कई उम्मीदवार कहते हैं कि हम पॉलिसी और बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए लड़ेंगे लेकिन ट्रंप कहते हैं कि हम आपको वापस नौकरियां दिलाएंगे.”

सिम्स कहते हैं कि ट्रंप अपनी जिन ख़ूबियों के बारे में सबसे ज़्यादा बात करते हैं, उनकी ‘एनर्जी’ और ‘स्टैमिना’, वो दरअसल सच हैं. बाक़ी लेखक भी ये बात मानते हैं और शायद इसलिए ही ट्रंप विपक्ष के लोगों को उनके आलस को लेकर हमला करते हैं.

इन लेखकों में से कोई भी नहीं कहता है कि कैमरों के बंद होने के बाद ट्रंप के व्यवहार में कोई बदलाव आता है. सिम्स कहते हैं, “उनका कोई प्राइवेट वर्ज़न नहीं है.”

लेकिन कुछ कहानियां हैं जो बताती हैं कि उनका भी एक दूसरा पहलू है, जैसे कि चुनाव कि रात जब उनके जीतने की ख़बर आई तो वह शांत हो गए थे. कुछ लेखकों ने उनके उन फ़ोन कॉल्स का ज़िक्र किया है, जब वो किसी क़रीबी की मौत के बाद संवेदना प्रकट करते थे, अपने परिवार और सेना के लोगों से लगाव की बातें भी सामने आई हैं.

सैंडर्स बताती हैं कि ट्रंप क्रिसमस के दौरान इराक़ में एक सेना के जवान से मिले तब “सेना के अधिकारी ने बताया कि उसने ट्रंप के कारण फिर से सेना ज्वाइन की.”

उसके जवाब में ट्रंप ने कहा, “और मैं यहां आपकी वजह से हूं.”

…जो बुरा था

इसको इस तरीक़े से कहा जाना चाहिए कि सिर्फ़ स्पाइसर ही ट्रंप को यूनिक़ॉर्न की तरह बताते हैं. ओमारोसा के मुताबिक़, “ट्रंप में संवेदना बिल्कुल नहीं है, इसके पीछे उनकी आत्ममुगधता है. मैकेब उन्हें “सबसे अच्छा झूठ बोलने” वाला बताते हैं.

बॉलटन की किताब को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है क्योंकि ट्रंप सरकार पर लिखने वालों में उनकी सरकार के वो सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर उन्हें कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी बात रखने का मौक़ा मिला.

अपनी किताब में वो लिखते हैं कि ट्रंप ने दोबारा चुनाव जीतने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मदद के लिए कहा. उन्होंने चीन से कहा कि वो अमरीका के मुख्य राज्यों से कृषि उत्पाद ख़रीदें.

बॉलटन अपनी किताब में ये भी लिखते हैं कि ट्रंप, “देश के हित और अपने हित के बीच फ़र्क नहीं कर पा रहे थे.”

कई ऐसे उदाहरण हैं जब ट्रंप किसी चुने हुए नेता नहीं बल्कि तानाशाह से मिलती जुलती हरकतें करने के क़रीब आ गए.

बॉलटन कहते हैं कि “अपनी पसंद के तानाशाहों को निजी फ़ायदा” पहुंचाने की उनकी आदत है और वो उनसे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं.

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की लिखी एक चिट्ठी का उदाहरण देते हुए वह कहते हैं, “ऐसा लग रहा था कि उसे किसी ऐसे व्यक्ति ने लिखा है जिसे पता है कि कैसे ट्रंप के आत्मविश्वास बढ़ाने वाली नब्ज़ पकड़नी है.” एक समिट में ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अकेले रहना नहीं चाहते थे.

सिम्स के मुताबिक़, “ट्रंप के लिए हर चीज़ उनके निजी महत्व की है. "वैश्विक मुद्दों पर उन्हें लगता है कि दूसरे देशों के नेताओं के साथ उनके निजी संबंध साझा हितों और भूराजनीतिक मसलों से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं.” सिम्स कहते हैं कि ट्रंप “अभूतपूर्व योग्यता और आश्चर्यजनक कमियों” वाले व्यक्ति हैं.

‘कोई नहीं चाहता मैं यह बटन दबाऊं’

ट्रंप पर लिखी हर किताब में उनसे जुड़े कुछ किस्से हैं, जैसे कि ओमारोसा लिखती हैं कि ट्रंप ने पूछा था क्या वो उनकी किताब द आर्ट ऑफ़ डील पर शपथ लें – “वो चाहते थे कि मैं विश्वास करूं कि वो मज़ाक कर रहे हैं.”

सैंडर्स लिखती हैं कि अमरीकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया के किम जोंग उन को अपने मुंह को स्वस्थ रखने के नुस्ख़े बताए.

“जब लंच शुरू होने वाला था तो राष्ट्रपति ने किम को मिंट ऑफ़र किया. ‘टिक टैक?’ किम हैरान थे और शायद चिंतित भी कि कहीं यह उन्हें ज़हर देने की कोशिश तो नहीं. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें. राष्ट्रपति ने फिर हवा में सांस छोड़ते हुए उन्हें दिलासा दिया कि वो सिर्फ़ एक मिंट था”

लेकिन एक क़िस्सा इन सबसे अच्छा है, जो सिम्स ने लिखा है. उनका कहना है कि राष्ट्रपति के ओवल ऑफ़िस में एक छोटा लकड़ी का बॉक्स रखा होता है जिस पर एक लाल बटन है. ट्रंप अगर किसी को उसे देखते हुए देख लेते हैं तो उसे उठा कर अपने से दूर रखते हुए कहते, “इसकी चिंता मत करो, कोई नहीं चाहता कि मैं इस बटन को दबाऊं.”

“गेस्ट नर्वस हुए हंसते और बातचीत आगे बढ़ती. कुछ मिनटों के बाद ट्रंप अचानक उस बॉक्स को अपने पास लाते हैं और बातचीत के बीच वो बटन दबा देते हैं. वहां मौजूद लोगों को कुछ समझ नहीं आता, वो एक दूसरे को देखने लगते हैं. कुछ ही देर के बाद रुम में एक व्यक्ति एक ग्लास में डाइट कोक लेकर आता है. ट्रंप ज़ोर से हँसने लगते हैं.”

फैशन और कल्चर

ट्रंप ज़्यादातर तस्वीरों में एक लंबी टाई के साथ नज़र आते हैं जो कि उनकी कमर तक होती है. क्रिस्टी के मुताबिक ट्रंप को लगता है कि इससे वो पतले दिखते हैं.

जहां तक उनके अजीब बालों की बात है तो सिम्स कहते हैं कि वो हमेशा अपने पॉकिट में एक हेयर स्प्रे रखते हैं.

ओमारोसा के मुताबिक़ राष्ट्रपति के घर में एक टैनिंग बेड भी है.

दूसरी किताबों के मुताबिक़ ‘गन्स एंड रोज़ेज’ उन्हें “अब तक का सबसे अच्छा म्यूज़िक वीडियो” लगता है और वो एल्टन जॉन की रॉकेट मैन की सीडी उत्तर कोरिया के नेता किम को भेजना चाहते थे.

दस्तावेज़ों और अख़बारों के अलावा उनके किताबें पढ़ने के बारे में ज़्यादा ज़िक्र नहीं है. स्कारामुच ने हालांकि ‘ऑल क्वायट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट' को उनकी पसंदीदा किताब बताया है. ल्यूवनडाउस्की और बॉसी के मुताबिक़ स्विस साइकोलॉजिस्ट कार्ल जंग की आत्मकथा उन्हें बहुत पसंद है.

हमने क्यों काम किया?

वो लोग जो ट्रंप के साथ काम करते थे लेकिन बाद में उनके ख़िलाफ़ हो गए, वो उनके साथ क्यों थे?

ओमारोसा कहती हैं कि ये उनके लिए वफ़ादारी की बात थी. कई तरह की आलोचनाओं के बावजूद एक कम विविधता वाली सरकार में वह एक काली महिला होते हुए काम कर रही थीं.

कुछ लोगों के लिए वफ़ादारी रिपब्लिकन पार्टी के लिए है और एक एजेंडा के लिए है, न कि सिर्फ़ राष्ट्रपति के लिए. सैंडर्स लिखती हैं कि ये कैंपेन से जुड़ने के बारे में था. सारा लिखती हैं, “ये ट्रंप और हिलेरी के बीच चुनने के बारे में थे- या तो देश को बचाएं या नर्क में जाने दें”

बॉलटन कहते हैं कि उन्हें “ख़तरे के बारे में” पता था लेकिन उन्हें लगा कि वो संभाल लेंगे.

ग़लतियां हुई हैं

ट्रंप के स्टाफ के सदस्यों की लिखी गई किताबों में दूसरे स्टाफ़ के सदस्यों पर कई तरह के हमले किए गए हैं. कुछ लोगों का कहना है कि ग़लतियां ग़लत लोगों के ग़लत ज़ॉब में होने का कारण हुईं.

बॉलटन जब व्हाइट हाउस में पहुंचे तब जॉन केली ने उन्हें कहा था कि, “काम करने के लिए यह एक ख़राब जगह है, आपको जल्द ही पता चल जाएगा.”

स्पाइसर और सैंडर्स प्रेस को ज़िम्मेदार मानते हैं. ट्रंप को “मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा कभी उनके अच्छे कामों की तारीफ़ और क्रेडिट नहीं मिला.”

इसके अलावा ट्रंप के कई अधिकारी खुलकर सामने नहीं आए. बॉलटन ने कई बार इस्तीफ़ा देने के बारे में सोचा लेकिन तब तक बने रहे जब तक "तालिबान के साथ बातचीत नहीं बिगड़ी”

कॉमी और मैकेब कहते हैं कि उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि वो ट्रंप के सामने कभी खड़े नहीं हुए.

इस साल की वोटिंग

ये किताबें इस साल नवंबर में होने वाले चुनावों के बारे में बहुत कुछ नहीं बतातीं. इनमें से कई इस्तीफ़े की कहानी से शुरू होती हैं. इसलिए ये कहना कि ये व्हाइट हाउस के बारे में बहुत कुछ बताती हैं, सही नहीं होगा. लेकिन हां, कुछ इशारे ज़रूर करती हैं.

ट्रंप अपनी जीत को दोहराना चाहते हैं और ल्यूवनडाउस्की और बोसी की किताब ‘लेट ट्रंप बी ट्रंप’ बताती हैं कि ट्रंप बदलने वालों में से नहीं हैं और पिछली सफलताओं के देखें तो उन्हें बदलना भी नहीं चाहिए.(bbc)

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