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‘मेरा रंग’: छह महीनों में आसमान पर छा गया एक इन्द्रधनुष...
14-Oct-2020 1:36 PM
‘मेरा रंग’: छह महीनों में आसमान पर छा गया एक इन्द्रधनुष...

लॉकडाऊन के दौर में पूरी दुनिया ने तरह-तरह की नई तकनीक भी सीखी। लोगों को घर से काम करना पड़ा तो कम्प्यूटर और मोबाइल फोन के तरह-तरह के इस्तेमाल सीखे। कला, साहित्य, संस्कृति और समकालीन मुद्दों पर बहुत से लोगों ने वेबसाईटें बनाईं, फेसबुक पर तरह-तरह के ग्रुप बनाए और लोगों से ऑडियो-वीडियो इंटरव्यू, बहस करने के प्रयोग किए। 

इस दौरान कुछ ऐसी मिसालें रहीं जिन्होंने यह दिखाया कि कितना कुछ किया जा सकता है, और कितनी विविधता से किया जा सकता है। फेसबुक पर एक पेज बना ‘मेरा रंग’ नाम का। इसे चार महिलाओं ने मिलकर शुरू किया। इसका घोषित मकसद बताया गया था बातें, बहस, सवाल-जवाब, सोशल मीडिया पर स्त्रियों के हर रंग।
 
हम इस बारे में यहां पर महज इसलिए लिख रहे हैं कि छह महीने में एक छोटा सा समूह मिलकर देश के रचनाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों के बीच कितना कुछ कर सकता है। इसे किसी एक समूह की कामयाबी के बजाय, किसी भी एक समूह की संभावनाओं की तरह देखना जरूरी है कि महज अपना वक्त और मुफ्त का सोशल मीडिया इस्तेमाल करके कितना कुछ किया जा सकता है। हम इसे एक मिसाल और बाकी लोगों के लिए एक चुनौती की तरह ही यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।
-संपादक, ‘छत्तीसगढ़’

मेरा रंग ने लॉकडाउन के दौरान सकारात्मकता और रचनात्मकता बनाए रखने के लिए छह महीने तक लगातार 241 लाइव किए। एक लंबे समय एक दिन में दो लाइव आयोजित किए गए। मेरा रंग के चार साल पूरे होने पर 9, 10 और 11 अक्टूबर को आयोजित ऑनलाइन महोत्सव के दौरान पहले तीन दिन, दूसरे दिन चार और अंतिम दिन सात लाइव हुए। इस दौरान साहित्य, संस्कृति, कला, समकालीन घटनाक्रम, विभिन्न विमर्शों को मंच दिया गया।  

साहित्य मेरा रंग का सबसे खूबसूरत रंग था कविताओं का। इस लाइव मंच से मौजूदा काव्य परिदृश्य के कई अहम रचनाकारों ने अपनी रचनाएं सुनाईं। इनमें असमिया की अनुवादक और कवयित्री पापोरी गोस्वामी समेत देवयानी भारद्वाज, सोनी पाण्डेय, पंखुरी सिन्हा, मृदुला शुक्ला, वाजदा खान, विवेक चतुर्वेदी, मेधा, विमलेश त्रिपाठी जैसे हिंदी कविता के चर्चित नाम तो मौजूद थे ही, एकता नाहर, शैलजा पाठक और रूपम मिश्रा भी जुड़े, जिन्होंने सोशल मीडिया के दौर में अपनी रचनाओं से पाठकों बीच अपनी एक अलग जगह बनाई है।

कविताओं के रंग : युवा और वरिष्ठ रचनाकार
मदन कश्यप, जितेंद्र श्रीवास्तव, सुमन केशरी, नीलेश रघुवंशी, देवयानी भारद्वाज और विनोद वि_ल जैसे समकालीन हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर और प्रतिबद्ध साहित्यकार भी साहित्य मेरा रंग पर आए। चर्चित युवा कवयित्री प्रतिभा कटियार ने अपनी कविताओं की बजाय रूसी कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा पर बात करना पसंद किया। समकालीन हिंदी कविता के परिदृश्य पर दस्तक दे रहे युवा रचनाकारों को भी हमने सामने लाने का प्रयास किया। इस कड़ी में युवा कवि विवेक चतुर्वेदी, दीपक जायसवाल, कविता कांदबरी, स्वाति शर्मा, संजय शेफर्ड, उज्ज्वल तिवारी तथा दिव्यांशी सुमराव की लाइव प्रस्तुति को बहुत पसंद किया गया। आम आदमी पार्टी के माध्यम से सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके दिलीप पांडेय के भीतर मौजूद एक संवेदनशील कवि को साहित्य मेरा रंग के माध्यम से जानने का मौका मिला।

आधुनिक कविता के साथ परंपरागत हिंदी कविता का रंग और अंदाज़ भी देखने को मिला, जिसके अंतर्गत आरती आलोक वर्मा की भोजपुरी रचनाओं के अलावा पाठकों के सहज संप्रेषणीय शैली में कविताएं लिखने वाले सूनीता शानू, रेखा राजवंशी, डॉ. आकाश मिड्ढा, रंजीता सिंह तथा संध्या सिंह ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं। इसी क्रम में हिंदी के प्रतिनिधि और वरिष्ठक कवि लक्ष्मी शंकर बाजपेयी से शालिनी श्रीनेत लंबी बातचीत की और उन्होंने अपनी रचनाएं भी सुनाईं। वहीं वरिष्ठ कवयित्री अनामिका से संजीव चंदन ने लंबी बातचीत की और समकालीन हिंदी कविता में स्त्री विमर्श समेत कोई सवालों को टटोला।

उर्दू ज़बाँ का जादू
सिर्फ कविताओं का नहीं बल्कि गज़़लों, नज़्मों और उर्दू भाषा के रंगों को भी मेरा रंग का हिस्सा बनाया जाए इसका भी प्रयास किया गया। इतवार छोटा पड़ गया संग्रह से चर्चित कवि प्रताप सोमवंशी अपनी गज़़लें, नज़्में और कविताएँ लेकर उपस्थित हुए। वहीं जश्न-ए-रेख़्ता समेत कई मंचो पर लोकप्रिय शायर श़ारिक कैफ़ी ने कुछ गज़़लें और नज़्में सुनाईं। युवा शायर इरशाद खान सिकन्दर ने अलग अंदाज़ के अश’आर सुनाए। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने ग़ालिब की रचनाशीलता पर अपनी बात रखी तो सय्यद जिया ने उर्दू गज़़ल में हिंदी भाषा के उजाले शीर्षक से अपनी बात रखी। उर्दू गद्य के रंग बिखेरे कहानीकार और एफएम के लिए कहानियां लिखने वाली सबाहत आफऱीन ने।

कहानी, कहानीकार और रचना पाठ
अगर कहानियों की बात करें तो इस मंच पर विविधता बनी रही। न सिर्फ बहुत से वरिष्ठ और मौजूदा दौर के अहम रचनाकार सामने आए बल्कि नवोदित रचनाकारों ने भी शिरकत की। मौजूदा दौर में सक्रिय महिला रचनाकार वंदना राग, मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रज्ञा पाण्डेय, जयंती रंगनाथन, अणुशक्ति सिंह, रूपा सिंह, सोनी पाण्डेय, शिखा वार्ष्णेय, अनिल प्रभा कुमार तथा विवेक मिश्र ने मेरा रंग के लाइव मंच से अपनी रचनायात्रा पर बातचीत की और कुछ कहानियों और उनके अंशों का पाठ किया। अंकिता जैन ने अपने प्रिय रचनाकारों पर चर्चा की।

मेरा रंग संवाद श्रृंखला में वरिष्ठ रचनाकारों से हिंदी के ही किसी अहम रचनाकार से बातचीत का जो सिलसिला आरंभ किया गया लोगों को वह भी बहुत पसंद आया। इस श्रृंखला के तहत कई प्रमुख युवा तथा वरिष्ठ समीक्षकों ने नासिरा शर्मा के विभिन्न उपन्यासों पर बातचीत की। मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों पर भी बातचीत की सिरीज़ जारी है। वहीं चर्चित कथाकार, आलोचक चंद्रकला त्रिपाठी ने उषाकिरण खान से उनके रचना संसार पर विस्तार से बात की। विवेक मिश्र के कथा संसार को इस संवाद के जरिए सईद अय्युब ने टटोला तो वहीं वरिष्ठ कथाकार डॉ. सूर्यबाला से डॉ. उषा मिश्रा ने बहुत ही सारगर्भित संवाद किया। एक बहुत अहम बातचीत में वरिष्ठ रचनाकार ह्रषिकेश सुलभ से कथाकार प्रत्यक्षा ने उनकी कहानियों और परिवेश पर चर्चा की। डॉ. संगीता ने कैलाश वानखेड़े के रचना संसार पर विस्तार से बातचीत की।

कुछ कहानी पाठ भी हुए, जिसमें पत्रकार व कथाकार शिल्पी झा ने अपने लाइव में बड़े ही जीवंत ढंग से कहानी ‘आइलाइनर’ का पाठ किया तो वहीं चर्चित कथाकार हेमंत कुमार ने अपनी बिल्कुल ताजा कहानी ‘लॉकडाउन’ का मेरा रंग से पाठ किया। अंगरेजी की नॉवलिस्ट सुजाता पाराशर ने नॉवेल की संरचना पर विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया भी मेरा रंग की मेहमान रहीं मगर एक सुखद आश्चर्य की तरह उन्होंने अपनी रचनाओं पर बात करने की बजाय उन युवा रचनाकारों पर चर्चा की जिनको उन्होंने इन दिनों पढ़ा है।

समकालीन हिंदी कहानी में नई आहटों का भी मेरा रंग ने स्वागत किया और अपने पहले संग्रह से चर्चा में आई विजयश्री तनवीर और अऩुकृति उपाध्याय को इस मंच पर आमंत्रित किया। अपने दो कहानी संग्रहों से चर्चा मे आई प्रियंका ओम ने शिरकत की। नई वाली हिंदी के दिव्य प्रकाश दुबे भी मेरा रंग पर आए और युवाओं के बीच किसी नायक की तरह लोकप्रिय नीलोत्पल मृणाल भी। बेस्ट सेलर राजनीतिक उपन्यास जनता स्टोर के लेखक नवीन चौधरी ने मौजूदा समय में किताब, कंटेंट और मार्केटिंग पर बात की।

लोक संगीत के रंग और कबीर गायन
लोकरंग के जरिए मेरा रंग ने इस श्रृंखला में संगीत को भी जगह देने का प्रयास किया। इसकी शुरुआत हुई उत्तर प्रदेश की युवा लोक गायिका श्वेता वर्मा से। इस कड़ी में उन गायकों को चुना गया जिन्होंने भोजपुरी भाषा को अपसंस्कृति और अश्लीलता से बचाकर रखा है। आदित्य आदी ने दोबार इस मंच पर शिरकत की। लोकरंग के तहत अपनी प्रस्तुति देने वाले भोजपुरी लोकगायक रवीश कुमार शानू, पूजा निषाद तथा शैलेंद्र सिंह इसी परंपरा में आते हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि लाइव के माध्यम से मेरा रंग की लोकप्रिय दूर-दूर तक पहुँची है और हमसे कई प्रतिष्ठित लोकगायकों ने संपर्क किया। इस कड़ी में हमने लगातार परंपरागत कबीर गायन को प्रस्तुत किया। दयाराम सारोलिया के कबीर गायन से इसकी शुरुआत हुई। उसके बाद मुकेश चौहान ने मालवी लोकगीत प्रस्तुत किए और जिला धार, मध्य प्रदेश से रवि सोलंकी और अर्जुन मुनिया ने भी कबीर और मीरा के पद प्रस्तुत किए।

समकालीन घटनाओं और मुद्दों पर नजऱ
मेरा रंग ने इस दौरान समकालीन घटनाओं और मुद्दों पर भी नजऱ रखी। नइश हसन ने लॉकडाउन केद दौरान जमीनी चुनौतियों पर बात की तो वहीं आवेश तिवारी ने लॉकडाउन के दौरान मजूदरों के पलायन पर। स्वाति शर्मा ने संकटकाल में सोशल मीडिया की भूमिका पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश के हाथरस और कुछ अन्य शहरों में गैंगरेप की घटनाओं के बाद एक और निर्भया के नाम से पैनल डिस्कशन की सिरीज चलाई गई, जिससे कि इस मुद्दे पर साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी बात कहने और अपना पक्ष रखने का मौका मिले। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा पर दो विशेष लाइव रखे गए जिसमें अधिवक्ता तथा एक्टीविस्ट भास्कर अग्रवाल ने तथा सामाजिक कार्यकर्ता हिना देसाई ने बात रखी।

विभिन्न विमर्श और अस्मितावादी लेखन
गांधीवादी विमर्श में अरविंद मोहन, अरुण त्रिपाठी, सोपान जोशी, प्रसुन लतांत ने अपने विचार रखे। स्त्रीवादी विमर्श सिरीज में गरिमा श्रीवास्तव, गरिमा दत्त, वंदना चौबे, नीलम कुलश्रेष्ठ, अंजुमन आरा ने अपनी बात रखी। स्त्रीवादी विमर्श पर तारा शंकर, पाती पुरोहित और मोनिका कुमार के वक्तव्य भी सामने आए। आदिवासी कला, साहित्य और संस्कृति पर भी मेरा रंग ने कई लाइव कार्यक्रम किए। जिसमें विश्व आदिवासी दिवस पर अजय मंडावी से स्मिता अखिलेश ने बातचीत की, नीतिशा खाल्को तथा मंडारी और हिंदी भाषा की कवयित्री गौरीप्रवा सिंह ने अपनी रचनाएं सुनाईं, शंपा शाह ने आदिवासी लोक कलाओं और उर्मिला शुक्ल ने बस्तर की संस्कृति और स्त्रियों पर अपनी बात रखी। अनंत गंगोला ने आदिवासी जीवन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। मेरा रंग ने दलित विमर्श पर भी एक सिरीज चलाई जिसमें कौशल पंवार, जय प्रकाश कर्दम, लीलाधर मंडलोई, प्रो.रतनलाल, श्योराज सिंह बैचैन को आमंत्रित किया गया। अस्मितावादी लेखन पर एक परिचर्चा भी हुई, जिसमें अरुण, चंद्रकांता, नीतिशा, आरती, पारस और जितेंद्र ने हिस्सा लिया अरुण कुमार ने इसका संयोजन किया।

प्रेमचंद जयंती पर सदानंद शाही का व्याख्यान नायक विहीन समय में प्रेमचंद, गोदान पर एक विशेष परिचर्चा तथा प्रेमचंद के आधिकारिक विद्वान कमल किशोर गोयनका से बातचीत हुई। राहत इंदौरी की स्मृति में कई विशेष आयोजन किए गए, जिसमें स्वानंद किरकिरे, हिदायतुल्ला खाँ, सीरज सक्सेना, संजय पटेल, इरशान खान सिकंदर आदि ने अपनी बात रखी। मेरा रंग युवा दृष्टि के नाम से शोधार्थियों को मंच दिया गया और इस पर ब्रजेश कुमार यादव, चैताली सिन्हा, कविता मल्होत्रा और चंचल कुमार सामने आए। 

यहां पर हम मेरा रंग लाइव में आमंत्रित सभी रचनाकारों की सूची दे रहे हैं, जिन्होंने हमारे कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर हमारा उत्साह बढ़ाया। मेरा रंग परिवार सभी के प्रति आभार व्यक्त करता है।

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