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जब पीड़ित ही मुकर जाए, तो न्याय किसे दिलाएं...
15-Oct-2020 9:46 AM
जब पीड़ित ही मुकर जाए, तो न्याय किसे दिलाएं...

- समीरात्मज मिश्र

एक साल पहले जिस बहुचर्चित रेप मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को जेल जाना पड़ा था, अब उन पर आरोप लगाने वाली कानून की छात्रा ही अपने बयान से पलट गई है. गलतबयानी के लिए चलेगा पीड़ित पर मुकदमा.

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर रेप के आरोप से जुड़े मुकदमे में मंगलवार को तब नया ट्विस्ट आया जब 23 वर्षीय पीड़ित छात्रा लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए अदालत में अपने पहले के सभी आरोपों से पलट गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लखनऊ के विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है. मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी. शाहजहांपुर में स्थानीय पत्रकार नरेंद्र यादव के मुताबिक, सुनवाई के दौरान मंगलवार को एलएलएम की छात्रा ने इस बात से स्पष्ट रूप से इनकार किया कि उसने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ कोई आरोप लगाया था.

पीड़ित छात्रा के इस बयान से हैरान अभियोजन पक्ष ने छात्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और सीआरपीसी की धारा 340 के तहत झूठा बयान देने के लिए अदालत से कार्रवाई की मांग की है. मामले की सुनवाई कर रहे जज पीके राय ने पीड़िता के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी अभियोजन पक्ष की मांग को स्वीकार कर लिया और 15 अक्तूबर को अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी.

रेप के आरोप में नेता की गिरफ्तारी

पिछले साल शाहजहांपुर के स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने एक वीडियो में स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे. इस कॉलेज को स्वामी चिन्मयानंद का ट्रस्ट चलाता है. इस आरोप के बाद यह मामला काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रहा है और तमाम दबाव के बाद स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और बाद में उनकी गिरफ्तारी भी हुई. एसआईटी ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर पिछले साल सितंबर में चिन्मयानंद को उनके मुमुक्षु आश्रम से गिरफ्तार किया था.

इस मामले में पीड़ित छात्रा ने दिल्ली के लोधी कॉलोनी पुलिस स्टेशन में 5 सितंबर 2019 को चिन्मयानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इससे पहले 28 अगस्त 2019 को छात्रा के पिता ने शाहजहांपुर में छात्रा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी. इस मामले की जांच के लिए यूपी सरकार ने एसआईटी भी गठित की थी. मामले की जांच के दौरान दोनों ही एफआईआर को एक साथ मिला दिया गया था.

हालांकि बाद में फरवरी 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्वामी चिन्मयानंद को जमानत मिल गई थी. वहीं, इस मामले में आरोप लगाने वाली छात्रा पर भी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल कर रंगदारी मांगने के आरोप हैं. इसी मामले में स्वामी चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने एक अज्ञात मोबाइल नंबर से 5 करोड़ रुपये रंगदारी मांगने का मामला दर्ज कराया था. छात्रा और उसके तीन साथियों को भी बाद में गिरफ्तार किया गया था.

पीड़ित और परिजनों पर दबाव की आशंका

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीड़ित छात्रा के मुकदमे की पैरवी कर चुके वरिष्ठ एडवोकेट रविकिरण जैन कहते हैं, "आरोप से मुकर जाने पर उसके खिलाफ भी कार्रवाई का विधान है. सीआरपीसी की धारा 340 के अंतर्गत कार्रवाई हो सकती है. वैसे भी चिन्मयानंद का जैसा रसूख है और शुरुआत में पुलिस और प्रशासन ने जिस तरह से केस में हीला-हवाली की उससे लग ही रहा था कि पीड़ित लड़की और उनके परिजनों पर दबाव पड़ सकता है.”

शाहजहांपुर में स्थानीय पत्रकार नरेंद्र यादव कहते हैं कि यह दबाव तो पहले से ही बनाया जा रहा था और हर तरीके से पीड़ित पक्ष पर पहले तो केस न दर्ज कराने का दबाव बनाया गया और जब केस दर्ज हो गया तो उसे वापस लेने का दबाव बनाया गया. लेकिन चूंकि यह मामला इतना ज्यादा चर्चित हो चुका था कि सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी. नरेंद्र यादव कहते हैं, "लेकिन अब ऐसा करके स्वामी चिन्मयानंद को सजा से बचाने की कोशिश की जा रही है.”

चिन्मयानंद पर इससे पहले भी यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं. करीब बारह साल पहले उनके आश्रम में रहने वाली एक महिला ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे. राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, सरकार ने उस मुकदमे को वापस ले लिया था लेकिन पीड़ित लड़की की शिकायत पर हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

पहले भी हुए हैं बयान से पलटने के मामले

सुप्रीम कोर्ट में वकील डॉक्टर सूरत सिंह कहते हैं, "इस तरह के मामलों में कोर्ट भी कई बार हैरान रह जाता है. जब पीड़ित ही मना करने लगे कि उसके साथ कुछ नहीं हुआ है तो उसकी पैरवी करने वाले या फिर न्याय देने वाले ही क्या कर सकते हैं. लेकिन आरोप से मुकरने को कोर्ट बहुत ही गंभीरता से लेता है. यदि आरोप सही पाए गए तो अभियुक्त को तो सजा होगी ही, आरोप से मुकरने के लिए पीड़ित को भी सजा होगी कि उसने किस लालच में आकर ऐसा किया. यदि उस पर कोई दबाव बनाया गया होगा तो कोर्ट इस बारे में उसके कलमबंद बयान भी दर्ज करेगा.”

इस तरह के मामले पहले भी आए हैं जिनमें पीड़ित पक्ष अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोपों से मुकर गया हो लेकिन इतना हाईप्रोफाइल मामला जिसने देश-विदेश की मीडिया में इतनी सुर्खियां बटोरीं, उसमें बयान से पलटने की घटनाएं कम ही देखने को मिलती हैं. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में क्राइम मामलों की पैरवी करने वाले वकील अभय सिंह कहते हैं, "जहां तक इस मामले का सवाल है, यह सबको पता है कि छात्रा यदि आरोपों से मुकर रही है तो या तो उसे कोई बड़ा लालच दिया गया है या फिर उसे कोई धमकी दी गई है. यह भी जांच का विषय होना चाहिए. क्योंकि लड़की ने अपने आरोपों के पक्ष में जो भी प्रमाण दिए थे, उन्हें सबने देखा था. इसलिए कोर्ट सीधे तौर पर धारा 340 के तहत लड़की पर कार्रवाई कर देगा, ऐसा लगता नहीं है.”(dw)

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