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मां को प्यार और बाप को गुस्सा क्यों आता है?
15-Oct-2020 8:05 PM
मां को प्यार और बाप को गुस्सा क्यों आता है?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में न्यूरोबायोलॉजी की प्रोफेसर कैथरीन डुलाक हमेशा से मां बाप के रवैये से अभिभूत रहती थीं और  सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्की सभी जीवों में.  57 साल की फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने चूहे के दिमाग में बच्चों के प्रति रवैये के लिए जिम्मेदार तंतुओं की खोज की है. यह खोज इंसान और दूसरे स्तनधारियों में और ज्यादा प्रयोगों के लिए आधार बनेगी. 

कैथरीन डुलाक उन सात वैज्ञानिकों में शामिल हैं जिन्हें 2021 के ब्रेकथ्रू पुरस्कार के लिए चुना गया है. यह पुरस्कार सिलिकॉन वैली के कुछ प्रबुद्ध लोगों की तरफ से विज्ञान और आधारभूत भौतिकी के क्षेत्र में बड़ी खोजों के लिए दिया जाता है. पुरस्कार जीतने वाले हर उम्मीदवार को 30 लाख डॉलर या फिर नोबेल पुरस्कार में मिलने वाली रकम से तीन गुना ज्यादा राशि दी जाती है.

प्रोफेसर डुलाक हार्वर्ड ह्यूग्स मेडिकल इंस्टीट्यूट में काम करती हैं. वे इस बात की पड़ताल कर रही थीं कि क्यों चुहिया हमेशा अपने छोटे बच्चों का ख्याल रखती है, उन्हें प्यार करती है जबकि नर चूहा परिस्थितियों के मुताबिक उन पर हमले करता है. यह रवैया खास तौर से कुंवारे चूहों में दिखाई देता है.

डुलाक ने अपने प्रयोग के जरिए दिखाया है कि इस रवैये के लिए जिम्मेदार तंतु नर और मादा दोनों में होते हैं. हार्मोंस में बदलाव के कारण यह बदल सकते हैं लेकिन फिर ये दोनों तरफ जा सकते हैं. यही वजह है कि कुंवारे चूहे बाप बनने के बाद बच्चों को प्यार करने लगते हैं, दूसरी तरफ तनाव के आलम में कोई मां अपने बच्चों को मार भी सकती है.

प्रोफेसर डुलाक ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "हमें लगता है कि हमने कुछ ऐसा पा लिया है जो दूसरे जीवों तक जामसकता है. यह एक प्रवृत्ति है और यह प्रवृत्ति इन न्यूरॉन्स का काम है, जो मैं शर्त लगा सकती हूं कि सारे स्तनधारियों के दिमाग में हैं, और जब वे नवजातों की मौजूदगी में होते हैं, तो वे उन्हें बताते हैं - तुम्हें इनका ख्याल रखना है."

डुलाक अपना काम चूहों पर ही केंद्रित रखना चाहती हैं. हालांकि यह एक बुनियादी रिसर्च है और जाहिर है कि जो लोग इस तरह के लैंगिक मामलों पर काम कर रहे हैं उनमें इसके प्रति स्वाभाविक रुचि होगी. प्रोफेसर डुलाक कह रही हैं कि ये "नर" और "मादा" तंतु सारे जीवों के दिमाग में मौजूद हैं. डुलाक का कहना है, "मैं वैज्ञानिक हूं, मैं आंकड़े देखती हूं, मैं तटस्थ हूं," हालांकि उन्होंने माना, "यह सचमुच मुझे छू गया, तभी मैं कहती हूं, मैं उपयोगी हूं."

बड़ी इनामी रकम के बारे में डुलाक ने कहा कि वे इसका एक हिस्सा स्वास्थ्य, महिलाओं की शिक्षा और असहाय आबादी पर खर्च करेंगी. डुलाक 25 साल पहले फ्रांस से अमेरिका आ गईं. वे पहले वापस जाना चाहती थीं, "लेकिन मेरी पोस्ट डॉक्टरेट की पढ़ाई काफी अच्छी रही और मुझे अमेरिका में अपनी लैब बनाने का मौका मिला और फ्रांस में मेरी अपनी लैब नहीं होती. वहां तो मुझे सचमुच पितृसत्तात्मक संरचना से जूझना पड़ता, जहां लोग कहते, 'ओह तुम अभी बहुत जवान हो, तुम्हें अपना बजट नहीं मिल सकता, तुम्हारा अनुभव इतना नहीं है कि तुम स्वतंत्र रूप से काम कर सको."

यही वजह है कि डुलाक ने हार्वर्ड को चुना और अपनी जिंदगी खुद से बनाई, आखिरकार उन्हें दोहरी नागरिकता भी मिल गई. वे मानती हैं कि जब लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की बात होती है तो अमेरिका फ्रांस से काफी आगे नजर आता है. (dw.com)

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