सामान्य ज्ञान

तिहायु
06-Nov-2020 11:51 AM
तिहायु

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने वॅाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट तिहायु  को 30 अगस्त 2016 को कोलकाता में भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। इससे पहले जीआरएसई ने 2009 से 2011 तक 10 वॅाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट का निर्माण करके उन्होंने भारतीय नौसेना में शामिल किया था, जो अच्छी सेवाएं प्रदान कर रहा है।
इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के लिए जीआरएसई द्वारा बनाया गया फास्ट अटैक क्राफ्ट्स के उन्नत संस्करण में से हैं। यह युद्धपोत को जीआरएसई के इन-हाउस डिजाइन केंद्र में विकसित किया गया है।  यह युद्धपोत व्यापक मॉडल परीक्षण से साबित हुआ है, कि यह 35 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है।  यह युद्धपोत 48 मीटर लम्बाल और 7.5 मीटर चौड़ा है। इस युद्धपोत में करीब 315 टन के लगभग विस्थापन क्षमता है।
यह युद्धपोत 12-14 समुद्री मील की गति पर यह लगभग 2 हजार समुद्री मील तक बिना रुके चल सकता है।  इस युद्धपोत में रहने की अत्याधुनिक सुविधाएं हैं और इसमें 29 कर्मी रह सकते हैं। इस युद्धपोत का नाम ‘तिहायु’ अंडमान के एक द्वीप के नाम पर रखा गया है। इस युद्धपोत में तीन वॉटर जेट प्रोपलशन सिस्टमम लगे हैं जो की 2720 किलोवॉट क्षमता प्रदान करने वाले मेरीन डीजल इंजनों द्वारा पावर्ड किया गया है।


दुनिया का सबसे कठोर पदार्थ
अब तक यही माना जाता था कि हीरा ही सबसे कठोर पदार्थ है। नए शोध के अनुसार अब ऐसा नहीं है। कठोरता के मामले में अब हीरा चौथे स्थान पर पहुंच गया है।  इस समय संसार का सबसे अधिक कठोर पदार्थ लांसडेलाइट है। इसके बाद बुर्टजाइट का स्थान आता है। उसके बाद नैनो पदार्थ और चौथे नंबर पर है हीरा। लांसडेलाइट की कठोरता हीरे से 58 प्रतिशत अधिक है। 
चीनी वैज्ञानिकों ने इन पदार्थों की कठोरता को परमाण्विक संरचना के साथ पेश किया है।  इस शोध दल ने बताया कि कैसे  कठोर प्रकृति के  तत्वों के परमाणु एक - दूसरे से बंधे होते हैं। 
लांसडेलाइट कार्बन का ही अपरूप है। इसकी क्रिस्टलीय संरचना , षटकोणीय होती है।  इसकी उत्पत्ति ग्रेफाइट युक्त उल्कापिंड के धरती से टकराने पर हुई है।  केन्यन डिबेलो ने 1967 में न्यूमैक्सिको में इसके खोजा। इसका रंग भूरा-पीला होता है। इसके परमाणु हीरे से अलग तरह के होते हैं। .
बुर्टजाइट, बोरॉन नाइट्राइट की संरचना हीरो जैसी होती है। लेकिन परमाणु अलग ढंग से व्यवस्थित होते हैं। 
इससे पहले मानव निर्मित नैनो पदार्थ की कठरोरता  हीरे से अधिक पाई गई थी। 

 

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