सामान्य ज्ञान
चन्द्रगुप्त द्वितीय, भारत में गुप्त साम्राज्य का एक प्रमुख शाक हुआ है। जिसे विक्रमादित्य नाम से भी जाना जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकों पर अपनी विजय हासिल की जिसके बाद गुप्त साम्राज्य एक शक्तिशाली राज्य बन गया ।
चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में क्षेत्रीय तथा सांस्कृतिक विस्तार हुआ । उसने वाकाटकों से वैवाहिक संबंध स्थापित किया । अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह उसने वाकाटक वंश के रुद्रसेन द्वितीय के साथ किया । उसने ऐसा संभवत: इसलिए किया कि शकों पर आक्रमण करने से पहले दक्कन में उसको समर्थन हासिल हो जाए । शक उस समय गुजरात तथा मालवा के प्रदेशों पर राज कर रहे थे । शकों पर विजय के बाद उसका साम्राज्य न केवल मजबूत बना बल्कि उसका पश्चिमी समुद्र पत्तनों पर अधिपत्य भी स्थापित हुआ । इस विजय के पश्चात उज्जैन गुप्त साम्राज्य की राजधानी बना । हालांकि विद्वानों को इसमें संदेह है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय तथा विक्रमादित्य एक ही व्यक्ति थे । उसके शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान ने 405 ईस्वी से 411 ईस्वी तक भारत की यात्रा की । उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया
द्रविड़
द्रविड़ नाम की यह प्रजाति प्राचीन समय में पूरे भारत में निवास करती थी। बाद में उत्तर भारत के द्रविड़ वर्तमान इराक की ओर, जो मेसोपोटोमिया कहलाता था, चले गए। उनकी एक शाखा बलूचिस्तान में रह गई। ये लोग जो भाषा बोलते हैं, वह द्रविड़ भाषा से मिलती-जुलती है। शेष द्रविड़ों को आर्यों के प्रसार के कारण दक्षिण की ओर चला जाना पड़ा। यद्यपि सभ्यता और संस्कृति की दृष्टिï से वे आर्यों से अधिक संपन्न थे, पर युद्घ-कौशल में आर्य उनसे आगे रहे। दक्षिण भारत में शताब्दियों तक द्रविड़ों का शासन रहा। वहां की चार भाषाएं- तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम- संस्कृत परिवार की भाषाएं नहीं हैं। किंतु अब इतना मिश्रण हो चुका है कि आर्य और द्रविड़ का भेद नहीं रह गया। सब जगह एक ही से देवता भी पूजे जाते हैं।
द्रविड़ों को मनु ने इन्हें सवर्ण स्त्री से उत्पन्न व्रात्य क्षत्रियों की संतान बताया है। महाभारत के अनुसार बहुत से क्षत्रिय परशुराम के डर से जब दूर-दूर भाग गए तो उनका ब्राह्मïणों से संपर्क टूट गया और वे वैदिक कर्मकांड भूल गए। वही लोग द्रविड़, आभीर, शबर आदि कहलाए।
इसके अलावा द्रविड़ ब्राह्मïणों के एक वर्ग का नाम भी है, जिसमें आंध्र, कर्नाटक, गुर्जर, द्रविड़ और महाराष्टï्रीय, ये पांच ब्राह्मïण सम्मिलित हैं।