सामान्य ज्ञान

सेज
27-Dec-2020 12:16 PM
सेज

सेज का पौधा सजावट के साथ ही औषधीय रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।  इसके प्रयोग से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलते है। सेज एक हर्बल पौधा है जिसमें एंटीआक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। कोशिकाओं के फिर से बनने में यह बेहद मददगार है। इसके सेवन से न केवल  याददाश्त मजबूत होती है, बल्कि   कोल्ड, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों और बुखार में भी इसका इस्तेमाल लाभदायक होता है। 
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूकैसल एण्ड नॉर्थमबिया में मेडिक्लिनिकल प्लांट रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया कि सेज का सेवन करने वाली महिलाओं की रिकॉल मैमोरी में 35 फीसदी का इजाफा देखा गया। सेज में एक्टीलकोलाइन नाम का एक एंटी-ऑक्सीडेंट होता है। यह रसायन अल्जाइमर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होता है। शोध में शामिल प्रतिभागियों ने केवल 50 माइक्रोलीटर के सेज के कैप्यूल का सेवन किया था और उसी से उन्हें इतना फायदा हुआ। अल्जाइमर के उपचार और स्मृति बढ़ाने के लिए मौजूदा दवाओं के कई साइड इफेक्ट होते हैं। चूंकि सेज एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है, इसलिए परीक्षण के दौरान इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है। हालांकि इसका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। सेज ऑयल कैप्सूल सबसे ज्यादा प्रभावी होते हैं।  

नक्षत्र मंडल
नक्षत्र मंडल का वर्णन हिन्दू धर्म के विष्णु पुराण के अनुसार  है। हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य -- भू: , भुव: और स्व: - ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
पृथ्वी लोक या भू लोक-जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है, वह पृथ्वी प्रदेश कहलाता है।
सूर्य मण्डल-पृथ्वी लोक से एक लाख योजन दूर सूर्य मण्डल है।
चंद्र मण्डल-सूर्यमण्डल से एक लाख योजन ऊपर चंद्रमण्डल है।
नक्षत्र मण्डल-चंद्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर नक्षत्र मण्डल है।
बुद्ध मण्डल-नक्षत्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर बुद्ध मण्डल है।
शुक्र मण्डल-बुद्ध मण्डल से एक लाख योजन ऊपर शुक्र मण्डल है।
मंगल मण्डल-नक्षत्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर मंगल मण्डल है।
बृहस्पति मण्डल-मंगल मण्डल से एक लाख योजन ऊपर बृहस्पति मण्डल है।
शनि मण्डल-बृहस्पति मण्डल से एक लाख योजन ऊपर शनि मण्डल है।
सप्तर्षि मण्डल-शनि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर सप्तर्षि मण्डल है।
धु्रव मण्डल-सप्तर्षि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर धु्रव मण्डल है।
भुवर्लोक- पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
स्वर्लोक- सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं।
 

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