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और अब चड्डी तक पहुँचते हाथ!
31-Dec-2020 1:56 PM
और अब चड्डी तक पहुँचते हाथ!

-हर्षदेव

और बात पेंट के बाद चड्डी उतरने की बेहद शर्मनाक परिस्थिति तक आ ही पहुँची। आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने चीफ़ जस्टिस विद फुल पेंट पर यह सीधे टिप्पणी की है जो अभूतपूर्व है।

सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का एक साथ तबादला करके जिस तरह मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के लिए स्थितियाँ अनुकूल बनाई हैं, उस पर यह टिप्पणी किसी की भी गरिमा और सम्मान को तार-तार करने वाली है।

आंध्र और तेलंगाना के मुख्य न्यायाधीशों - जितेंद्र कुमार माहेश्वरी और आर.एस. चौहान को क्रमश: सिक्किम तथा उत्तराखंड हाइकोर्ट भेजे जाने पर आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट की राकेश कुमार व डी. रमेश की बेंच ने व्यवस्था देते हुए कहा है- मुख्यमंत्री ने न केवल अपने ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार/हवाला के लगभग 30 मुक़दमों  की सुनवाई प्रभावित करने की ग़ुस्ताख़ी की है वरन् यह जताने का प्रयास भी किया है कि जस्टिस माहेश्वरी का तबादला चीफ़ जस्टिस से उनकी शिकायत की वजह से ही हुआ है।

जस्टिस राकेश कुमार ने फ़ैसले में लिखा है कि ‘ऐसा  लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एन. वी. रमन्ना और जस्टिस माहेश्वरी तथा हाइकोर्ट के कुछ और जजों की एक अधिकारी के ज़रिए प्रेस कांफ्रेंस में कराई गई अनाप-शनाप आलोचना से जगन की हिम्मत बढ़ गई है। यह प्रेस कांफ्रेंस जगन के प्रमुख सचिव ने की थी।

आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट चीफ़ जस्टिस को लिखे शिकायती पत्र से मुख्यमंत्री को कामयाबी मिल सकेगी या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना ज़रूर है कि वह फ़ायदे की स्थिति में लग रहे हैं।

आम लोगों में यह धारणा बन सकती है कि मुख्यमंत्री के पत्र के कारण ही दोनों मुख्य न्यायाधीशों का तबादला हुआ है। इससे सीबीआई के विशेष जज के यहाँ चल रहे मुक़दमों में रुकावट आ सकती है और फि़लहाल स्थगित हो सकती है। इसी तरह आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के तबादले से राज्य सरकार को नाजायज फ़ायदा पहुँचेगा। यह सचाई जगज़ाहिर है कि प्रदेश की तीन राजधानियाँ बनाने का पैंतरा मुख्यमंत्री के ही दिमाग़ की उपज है जिसके लिए सरकारी ज़मीन की नीलामी पर हाइकोर्ट सख़्त एतराज़ जता चुका है।

जस्टिस राकेश कुमार ने लिखा है कि मैं मुख्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण पर सवाब नहीं कर रहा हूँ लेकिन कुछ पारदर्शिता तो होनी ही चाहिए और न्यायिक प्रशासन की बेहतरी का ध्यान भी रखा जाना चाहिए। आखऱि जिनका तबादला किया गया है, वे भी संवैधानिक पदों पर कार्यरत हैं।

अदालत ने यह जि़क्र भी किया है कि सितम्बर में एक दिन में ही पुलिस ने जगन पर चल रहे आपराधिक मामलों में से 7-8 में यह कहकर फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दी कि वे सब केस झूठे हैं।

यह ऐतिहासिक फ़ैसला है जो पेंट उतरने से भी आगे के अश्लील हो रहे हालात को उजागर करता है और जनता को सावधान करने वाला एक ख़तरनाक संदेश पहुँचाता है।

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