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छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा डॉ. महंत के नेतृत्व में दो वर्षों की गौरवशाली संसदीय उपलब्धियां
03-Jan-2021 4:27 PM
छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा डॉ. महंत के नेतृत्व में दो वर्षों की गौरवशाली संसदीय उपलब्धियां

आरंभ से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ विधान सभा ने संसदीय मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ अपनी सामाजिक सरोकारिता को भी सिद्ध किया है। यहॉ जो उत्कृष्ट संसदीय वातावरण बना हुआ है इसका पूरा श्रेय सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों को जाता है । जिन्होंने पक्ष-प्रतिपक्ष की भूमिका से ऊपर उठकर अपनी दलीय प्रतिबद्धता के बावजूद प्रत्येक परिस्थिति में सदन में परस्पर सम्मान, सौहार्द्र एवं समादर का भाव बनाये रखा है।

संसदीय लोकतंत्र में संसद एवं राज्य विधान मंडल केन्द्र बिन्दु होते हैं, छत्तीसगढ़ विधान सभा सफलता और सम्मान के अनेक नये अध्यायों को सृजित करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रही हैं । सभा में संसदीय मूल्यों की स्थापना तथा प्रजातांत्रिक सिद्धातों के अनुकूल कार्यवाही संचालन की प्रतिबद्धता छत्तीसगढ़ विधानसभा का सदैव मूल मंत्र रहा है।

दिनांक 04 जनवरी, 2019 को छत्तीसगढ़ विधान सभा का अध्यक्ष बनने के बाद आसंदी से अपने पहले अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. चरणदास महंत ने संत कबीर दास जी का दोहा पढक़र अपनी मंशा जाहिर की थी-

‘‘कबीरा खड़ा बजार में, मॉगे सबकी खैर,

ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’’

उन्होंने कहा था कि-हम प्रतिबद्ध और वचन बद्ध हैं, हमें सदन की गरिमा का ध्यान रखना होगा, और वह सभी मान. सदस्यों के सहयोग के बगैर संभव नहीं है। हम सर्वकल्याण के उद्देश्य से चलें। सदन की कार्यवाही के दौरान हममें मत-भेद हो सकते हैं, लेकिन मन-भेद नहीं होना चाहिए। आदर्श लोकतंत्र की इस परिकल्पना के अनुरूप छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा के पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों ने सदन के बाहर और अंदर सदैव अपने कार्य, विचार एवं व्यवहार से इस कथन को आत्मसात् किया है । 

गांधीजी के विचारों से प्रभावित होने के फलस्वरूप सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी जी की 150वीं जयंती पर ‘‘छत्तीसगढ़ विधान सभा’’ का दो दिवसीय विशेष सत्र 02 एवं 03 अक्टूबर, 2019 को आयोजित किया गया। इस सत्र में गॉधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर मान. सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस विशेष-सत्र के अवसर पर  गॉधी जी के जीवन दर्शन पर केन्द्रित प्रदर्शनी, नाटक एवं व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। देश में इस तरह के विशेष सत्र का आयोजन करने वाला छत्तीसढ़ प्रथम राज्य बना। गॉधी जी के प्रति भावनात्मक लगाव को महसूस करने के लिए सभी मान. सदस्यों एवं छत्तीसगढ़ राज्य के संसद सदस्यों को खादी एवं कोसे के परिधान प्रदाय किये गए। 

पहली बार पंचम विधान सभा के नव-निर्वाचित सदस्यों कीे शपथ तथा  गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष-सत्र की कार्यवाही  का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया गया ।

छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा में पहली बार 28 मान. सदस्यों ने सदन मे छत्तीसगढ़ी भाषा में शपथ ली । डॉ. महंत ने फरवरी, 2019 सत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग की चर्चा में केवल मान. महिला सदस्यों को चर्चा में भाग लेने का अवसर प्रदान किया । 25 नवम्बर, 2019 से सत्र की कार्यवाही के प्रथम दिवस राष्ट्रगीत ‘‘वंदे मातरम’’ के साथ राज्य गीत ‘‘अरपा पइरी के धार’’ का सदन में गायन हुआ। भारत के संविधान के अंगीकरण की 70 वीं वर्षगांठ पर 26 नवम्बर, 2019 को सभा में विशेष चर्चा कराई गई। दिनांक 28 नवम्बर, को ‘‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस‘‘ के अवसर पर मान. अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की व्यवस्था के फलस्वरूप सदन की सम्पूर्ण कार्यवाही छत्तीसगढ़ी भाषा में सम्पन्न हुई । इससे यह स्थापित हुआ कि छत्तीसगढ़ विधान सभा अपनी लोक-संस्कृति, लोक-परम्परा और लोकाचार के प्रति पूर्णत: सजग और गंभीर है ।

डॉ. चरणदास महंत की परिकल्पना के अनुरूप 29 अगस्त, 2020 को नवा रायपुर के सेक्टर-19 में नवीन विधान सभा भवन के निर्माण हेतु भूमिपूजन का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ ।

छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा के कार्यकाल से छत्तीसगढ़ विधानसभा की अशोधित कार्यवाही को वेबसाइट पर आनलाईन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे कि सभी मान. सदस्य, पत्रकारगण एवं आम नागरिक इस सुविधा का अधिक से अधिक लाभ ले सकें ।

छत्तीसगढ़ में कोरोना काल में विषम एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी विधान सभा सत्र आहूत किया गया, जबकि संसद और अन्य राज्यों में सत्रों को स्थगित कर दिया गया । यद्यपि छत्तीगढ़ विधान सभा में भी कोविड-19 के संक्रमण के दौरान सत्र का आयोजन चुनौतीपूर्ण था। लेकिन सजगता एवं सावधानी पूर्वक समस्त बातों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2020 में विधान सभा के 05 सत्र आहूत किये गये । छत्तीसगढ़ विधान सभा में वर्ष 2019 के मानसून एवं शीतकालीन सत्र में जितनी बैठकें हुई वर्ष 2020 के कोरोना काल में भी मानसून एवं शीतकालीन सत्र में उतनी ही बैठकें हुई इसका तात्पर्य यह है कि कोरोना की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद छत्तीसगढ़ विधान सभा ने अपने कुशल प्रबंधन के माध्यम से सत्र की बैठकें आयोजित कर संसदीय प्रजातांत्रिक मूल्यों को जीवित रखा ।

कोविड-19 संक्रमण के दौरान विधान सभा में ग्लास-पार्टीशन के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन निश्चित रूप से सराहनीय एवं अनुकरणीय था । विधायकों के परिसर एवं सदन में प्रवेश के पहले उनकी सम्पूर्ण जॉच की व्यवस्था की गयी । सदन में बैठक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए थ्री एवं फोर सीटर सोफे के स्थान पर  टू-सीटर सोफे तैयार कराये गये, जिससे कि सोफों के बीच सुलभ तरीके से आवागमन एवं ग्लास पार्टीशन हो सके । कोरोना की विषम परिस्थितियों में जब सदन की समस्त दीर्घाए बंद कर दी गयी थी, सदन की कार्यवाही आम जनता तक पहुॅच सके, इसके लिए विधान सभा परिसर स्थित प्रेक्षागृह में सामाजिक दूरी का पूरी तरह से पालन करते हुए मीडिया के प्रतिनिधियों के लिए एक बड़ी स्क्रीन में सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर देखने की व्यवस्था की गयी ।

पिछले सत्र में तो मीडिया प्रतिनिधियों की मांग के अनुरूप उन्हें पत्रकार दीर्घा के साथ दर्शक दीर्घा में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कवरेज की अनुमति दी गई । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों/ कैमरामेन को भी सदन के समीप स्थान उपलब्ध कराया गया, जिससे सदन की कार्यवाही से संबंधित मान. मुख्यमंत्री, मान. मंत्रीगण एवं मान. सदस्यों की विषय-विशेष पर प्रतिक्रिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से आम जनता तक पहुंच सके ।

आरंभ से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ विधान सभा ने संसदीय मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ अपनी सामाजिक सरोकारिता को भी सिद्ध किया है। यहॉ जो उत्कृष्ट संसदीय वातावरण बना हुआ है इसका पूरा श्रेय सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों को जाता है । जिन्होंने पक्ष-प्रतिपक्ष की भूमिका से ऊपर उठकर अपनी दलीय प्रतिबद्धता के बावजूद प्रत्येक परिस्थिति में सदन में परस्पर सम्मान, सौहार्द्र एवं समादर का भाव बनाये रखा है।

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