विचार / लेख

पूरब में बीमार जहाज और पश्चिम में अरुणोदय
05-Jan-2021 2:27 PM
पूरब में बीमार जहाज और पश्चिम में अरुणोदय

-प्रकाश दुबे

कंगूरे देखने वाले नींव के पत्थर के योगदान को क्या समझें? मंत्रिमंडल की चमकदार सूची में मनसुख भाई मांडविया का नाम बहुत नीचे हैं। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर निजीकरण का जहाज लंगर डालने वाला है। मुंद्रा, कांडला से लेकर जेएनपीटी तक के रास्ते स्वर्ण युग भारत प्रवेश में उतरेगा। सदियों पहले की तरह पश्चिम भारत के व्यापारी जहाजों में रत्न आभूषण लाद कर लाएंगे। मनसुख भाई की पहल से पलड़ा पश्चिम की ओर झुक रहा है। पुरबिया भारत में मालवाही जहाजों ने बगावत कर दी। काला पानी के पानी में तैरने वाले जहाजरानी निगम के आधा दर्जन कीमती जहाजों में से एक को छोडक़र बाकी सब दिव्यांग हुए। संविधान से अनुच्छेद 370 का विलोप  होने के बाद से चार तो मरम्मत के लिए पड़े हैं। मज़ा यह, कि दोनों घटनाओं का आपस में संबंध नहीं है। दो जहाज कोरोना आने के बाद बीमार हुए। इकलौता एमवी सेंटीनेल पानी पर चलने फिरने में सक्षम है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सेंटीनली आदिवासियों से उसे यह नाम मिला। 

नए बरस का न्याय 

मुफ्ती मोहम्मद सईद, राम विलास पासवान, लालू प्रसाद, कल्याण सिंह समेत कई धांसू  नेताओं की संतानों से जेल काट चुके जगन अधिक ताकतवर हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर रहते हुए मोदी आर्कस्ट्रा में उनकी धुन शामिल रहती है। पूरे देश में किसान आंदोलन के दौरान एनडीए में खींचतान मची। भाजपा के मंत्री और संतरी बचाव करते बयान देने लगे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन्मोहन रेड्?डी ने किसानों के नाम योजना शुरु कर विरोध ठंडा करने में मदद की। लाल टोपी और सफेद दाढ़ी वाले सांताक्लाज सिर्फ तस्वीरों और बहुरूपियों में मिलते हैं। जगन के क्रिसमस उपहार से प्रसन्न दिल्ली के सांता ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी का तबादला कर दिया। वह भी सबसे छोटे राज्य सिक्किम में। मुख्यमंत्री जगन को जजों से शिकायत थी। मध्यप्रदेश के जावरा में पले बढ़े न्यायमूर्ति  माहेश्वरी गृहप्रदेश पर खासे मोहित हैं। पिछले बरस शपथ में आंध्र के बजाय मध्य प्रदेश बोल गए थे।   

खतरों का खिलाड़ी

रजनीकांत की दर्जनों फिल्में हिंदी में डब होने के बाद कमाई कर गईं। समाजसेवी रजनी की हिंदी में डब  फिल्मों के नाम बिगड़ते रहे हैं।  मसलन-खतरों का खिलाडि़। हिंदी में मात्रा छोटी रह गई। रजनी की राजनीति में भी यही हुआ। प्यारे दोस्त कमल हासन ने साथ देने के बजाय अलग राजनीतिक पार्टी बना ली। खतरों-के हीरो की नायिका खुशबू कांग्रेस छोडक़र भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई। जोश जोश में रजनी ने अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर डाला। 2020 में धमाका कर 2021 को हिलाने वाले थे। गांव-देहात के बंद सिनेमाघरों के बाहर प्रशंसकों ने दीवारें पोत रखी थीं। फिल्मी परदे पर सिगरेट नचाने से लेकर रोबो तक को हराने में माहिर रजनी ने खतरा मोल नहीं लिया। इसके पीछे बेवज़ह धौंस,धमक या राजनीतिक तलाशना बेकार है। तेलंगाना में शूटिंग के दौरान तरह तरह के किरदार बीमार पडऩे लगे। अच्छे से अच्छे डाक्टरों ने जांच की। रजनी को छोडक़र सब कोरोना संक्रमित निकले। नरमदिल रजनी का दिल बैठ गया। अब बताओ, ऐसे वक्त की राजनीति पर न रजनी का रोब चलता है और न रोबो का।

नियम, सभा बुलाने और टालने के

 राजगोपाल ने नाम कई कीर्तिमान हैं। केरल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता को मध्य प्रदेश से राज्यसभा में भेजकर भाजपा ने मलयाली को केन्द्र सरकार में पहली बार प्रतिनिधित्व दिलाया। ओ राजगोपाल केरल विधानसभा में पहुंचने वाले भाजपा के पहले और एकमात्र सदस्य हैं। तीन कृषि विधेयकों के विरोध में प्रस्ताव करने केरल सरकार ने विधानसभा का अधिवेशन बुलाया। अनमने ढंग से राज्यपाल ने अनुमति दी। केरल विधानसभा में राजगोपाल सहित सभी विधायकों ने सर्वसम्मति ने तीनों कृषि विधेयक रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया। बाहर आकर राजगोपाल पलटी मार गए। केरल में विधानसभा को नियम सभा कहते हैं। 2020 के अंतिम दिन की केरल की घटना से राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने 2021 के लिए सबक लिया। अपने समकालीन संघ प्रचारक राजगोपाल की तरह बेहाल होने से बचने केलिए कलराज ने अशोक गहलोत सरकार को विधानसभा की बैठक बुलाने की अनुमति ही नहीं दी। राज्यपाल ने पहले भी गहलोत सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बैठक बुलाने की अनुमति नहीं दी थी। बैठक टलने के बावजूद गहलोत की कुर्सी नहीं डिगी सो नहीं डिगी।

(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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