विचार / लेख

भारत में 110 करोड़ को वैक्सीन लगते 4-5 साल...
25-Apr-2021 3:15 PM
भारत में 110 करोड़ को वैक्सीन लगते 4-5 साल...

-विवेक उमराव

कोविशील्ड (असली नाम आक्सफोर्ड-अस्ट्राजेनेका) वैक्सीन का उत्पादन की गति काफी धीमी है। दुनिया के अनेक देशों की कंपनियों की तरह ही भारत की सीरम कंपनी ने जब अस्ट्राजेनेका वैक्सीन के उत्पादन के अधिकार लिए थे तो उत्पादन की शर्तें तय हुईं थीं।

सीरम ने अस्ट्राजेनेका का नाम तो कोविशील्ड कर दिया (जिन लोगों को जानकारी नहीं, उन लोगों को यह लगता है कि कोविशील्ड की खोज भारत की सीरम कंपनी व इसके वैज्ञानिकों ने की है), लेकिन उत्पादन की शर्तों को पूरा कर पाने में असमर्थ है।

दुनिया के देशों को जब कोविशील्ड वैक्सीन भेजी जाती है तो भारत में बहुत लोगों को यह लगता है कि दुनिया भारत की खोजी वैक्सीन का प्रयोग कर रही है। जबकि ऐसा नहीं है, दुनिया के देश अस्ट्राजेनेका वैक्सीन ले रहे होते हैं, जिसकी आपूर्ति सीरम के कारखाने से की जाती है क्योंकि अस्ट्राजेनेका का उत्पादन भारत की सीरम कंपनी भी कर रही है। वह अलग बात है कि सीरम ने इसका नाम कोविशील्ड कर दिया है (इस कारण बहुत लोगों को कन्फ्यूजन है)।

दुनिया के अनेक देशों की कंपनियां अस्ट्राजेनेका का उत्पादन कर रहीं हैं, लेकिन सीरम कंपनी जैसे अलग से नाम बदल कर नहीं। नो प्राफिट नो लास पर उपलब्ध कराई गई वैक्सीन के लिए इतना तो नैतिक धन्यवाद सीरम कंपनी को दिखाना ही चाहिए था, लेकिन नहीं दिखाया। खैर।

अस्ट्राजेनेका ने दुनिया के अनेक देशों को सप्लाई करने का जो वादा किया है, चूंकि सीरम कंपनी ने उत्पादन का अधिकार हासिल किया है तो दुनिया भर के देशों से अस्ट्राजेनेका को मिले आर्डर की आपूर्ति में भारत की सीरम कंपनी को भी सहयोग करना होगा जैसा कि अन्य देशों की उत्पादन कंपनियां कर रहीं हैं। भारत में बहुत लोग राष्ट्र-गौरव के इस फर्जी दंभ में जी रहे हैं कि उनके देश की खोजी वैक्सीन दुनिया के देशों में लोगों का जीवन बचा रही है।

सीरम कंपनी को जितनी सप्लाई करनी थी उसका पांचवा हिस्सा भी नहीं कर पाई है। इसलिए अस्ट्राजेनेका सीरम कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी कर सकती है।

भारत में 135 करोड़ लोग हैं, यदि हर्ड इम्युनिटी के फंडे की गुणा गणित लगाकर कम से कम वैक्सीन की भी बात की जाए और लगभग 110 करोड़ लोगों को भी वैक्सीन लगे तो 220 करोड़ वैक्सीन चाहिए होंगी। सीरम कंपनी यदि सारे काम धाम छोडक़र केवल कोविशील्ड वैक्सीन का ही उत्पादन फुल कैपेसिटी से करे, तब भी 220 करोड़ डोजों का उत्पादन करने में कुछ कम अधिक लगभग डेढ़ साल का समय लगेगा। वह भी तब जब सीरम को दुनिया के अन्य देशों को आपूर्ति नहीं करनी हो।

जाहिर है कि सीरम के उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा अन्य देशों को आपूर्ति करनी होगी क्योंकि कोविशील्ड सीरम कंपनी की वैक्सीन नहीं है, अस्ट्राजेनेका वैक्सीन है।

इसलिए भारत में 110 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगते-लगते चार-पांच साल लगने हैं। (बायोटेक वाली वैक्सीन को भी जोडक़र, कुछ महीने ऊपर नीचे)।

चार-पांच सालों में कोविड-19 वायरस जैसा बहुत स्मार्ट वायरस कितनी बार खुद को मॉडीफाई करके और ताकतवर बनाते हुए हमला करता रहेगा यह कहा नहीं जा सकता है। वर्तमान वैक्सीन कई बार मॉडीफाई हो चुके वायरस पर कितनी कारगर होगी यह भी नहीं कहा जा सकता है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news