गरियाबंद

संतान की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के लिए हर्षोल्लास से मनाया गया हलषष्ठी
29-Aug-2021 6:53 PM
संतान की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के  लिए हर्षोल्लास से मनाया गया हलषष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 29 अगस्त।
संतान की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना को लेकर हलषष्ठी पर्व शनिवार को शहर समेत अंचल में धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर सगरी में जल अर्पित किया और भगवान शिव की विशेष पूजा की। पूजन सामग्री के रूप में दूध, दही-घी, महुआ, तिन्नी का चावल, फूल, दूब, रोली, चंदन, नारियल, कुश और भाजी का प्रयोग किया गया। पूजा करने के बाद पसहर चावल का सेवन कर उपवास तोड़ा। पर्व को देखते हुए पूजा पाठ की तैयारी को लेकर महिलाएं सुबह से ही जुटी रहीं। 

बच्चों की सुख समृद्धि एवं दीर्घायु की कामना को लेकर संतानधारी महिलाओं ने व्रत रखा और घरों के अलावा मंदिरों में भी पूजा पाठ का दौर सुबह से शाम तक चलता रहा। पिछले वर्ष कोरोना के चलते हलषष्ठी का पर्व फीका रहा था, लेकिन इस वर्ष माताओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर एक सगरी (तालाब नुमा) बनाकर पूजा की गई। जिसमें कांशी, पलास, महुआ, फूल आम के पत्तियों को लगाकर कृत्रिम जंगल बनाकर पूजा हुई। साथ ही महिलाएं महुआ के पत्ते, सहित दातुन का उपयोग उपवास के दिन की। इस पर्व पर अपने बच्चे की लंबी उम्र की कामना करते हुए उनके पीठ पर पोती लगाईं। पुत्रों ने भी माता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। 

वहीं समीपस्थ ग्राम दूतकैंया (खपरी) में कमरछठ पर्व पर संतानों के दीर्घायु की कामना के लिए माताओं द्वारा ठाकुरदिया चौक में सगरी बनाकर, जल चढ़ाकर, नारियल, धूप बत्ती, लाई एवं पसहेर चांवल के परसाद चढ़ाकर सगरी पूजा किया। श्रीमती अम्बिका यादव, प्रीत बाई साहू, बिमला साहू, गायत्री यादव एवं चमेली साहू ने बताया कि इस संबंध में लोकमान्यता है कि आज ही के दिन माँ देवकी ने कंस के कारागार में रहकर सर्वप्रथम यह व्रत किया था। जिसके वरदान स्वरूप भगवान श्री कृष्ण एवं बलदाऊ भैया का जन्म हुआ था। महिलाएं सगरी खोदकर, काशी, चिरैया, बेलपत्र और अन्य पुष्पों से इसे सजाया जाता है। शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, शेषनाग एवं नंदी की पूजा की जाती है। 
 

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