रायगढ़

किसानों के नाम पर करोड़ों की खाद गायब
09-Mar-2022 2:37 PM
किसानों के नाम पर करोड़ों की खाद गायब

बैंक खातों से पैसे कटने के बाद किसानों में हडक़ंप, शिकायत के बाद भी अफसर नहीं दे रहे हैं कोई जवाब

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 9 मार्च। 
रायगढ़ जिले में किसानों को खाद उपलब्ध कराने के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है और इसमें किसानों के खातों से रकम कटने के बाद जिले के किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार किसानों ने अपना धान बेचकर उसके पैसे बकायदा एकाउंट में जमा कराए थे और जब विधिवत चेक जमा होने के बाद राशि उनके खातों में आने के बाद अचानक उसमें से पैसे कटने के बाद किसानों के होश उड़ गए।
पीडि़त किसानों के अनुसार उन्होंने संबंधित समितियों से खाद के लिए ऋण लिया ही नहीं, लेकिन उनके खातों से खाद के नाम पर पैसे काट लिए गए और एक-एक किसान के नाम पर कई हजार रूपये कटने के बाद अब पीडि़त किसान जिले के कलेक्टर से लेकर संबंधित अधिकारी को शिकायत करके न्याय की गुहार लगा रहे हैं और उनके शिकायत पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। तब किसानों ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी शिकायत भेजकर इस पूरे मामले में जांच की मांग करते हुए फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों पर कार्रवाई की मांग तथा उनके पैसे वापस दिलाने की अपील की है।

अधिकारिक सूत्रों से बताया कि रायगढ़ जिले के सारंगढ़ विधानसभा में स्थित ग्राम उचभि_ी गांव के 38 किसानों ने अपनी शिकायत एसडीएम से लेकर कलेक्टर को दी है। सूत्र बताते हैं कि इस शिकायत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने न तो जांच शुरू की है और न ही किसानों को कोई भरोसा दिलाया है।

 इस शिकायत में पीडि़त किसानों ने यह लिखा है कि क्षेत्र के समिति प्रबंधकों ने उनके नाम से खाद, बीज और कीटनाशक के नाम से लोन का होना बताया गया है, जबकि उन्होंने किसी तरह का खाद, बीज या कोई कीटनाशक लोन में नहीं लिया है। यह खेल सैकड़ों किसानों के साथ हुआ है। कम से कम 107 किसानों ने सारंगढ़ एसडीएम से इसकी शिकायत की है। किसानों को पता भी नहीं चल पाया और उनके नाम से किसने लोन पर खाद उठा भी लिया किसी को पता नहीं।

इस संबंध में जब ‘छत्तीसगढ़’ ने एक समिति प्रबंधक को फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, इसके बाद उन्हें मैसेज भी किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। आरोप यह है कि सब कुछ यहां के रसूखदारों के संरक्षण में किया जा रहा है। हालांकि अभी नाम साफ तौर पर सामने नहीं आये हैं।  

किसानों ने बताया कि यह बिना किसी बड़े सिंडिकेट के संभव ही नहीं कि कोई किसानों के नाम पर ऐसे खाद उठा ले और किसी को पता ही न चले। किसानों का यह भी कहना है कि सरकार किसानों को ज्यादा लाभ देना तो चाहती है, लेकिन बीच के कुछ लोग और दलाल, किसानों को परेशान कर  सरकार को बदनाम करने पर तुले हैं जबकि कुछ किसानों का यह भी कहना था कि यह काम करने वाले सरकारी लोग ही हैं।

बहरहाल इस मामले में जब ‘छत्तीसगढ़’ ने जिले के कलेक्टर व सारंगढ़ एसडीएम से बात करनी चाही तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन पीडि़त किसानों की शिकायत पर गंभीरता से नहीं लेने की जानकारी मिलने के बाद मामला मुख्यमंत्री तक चला गया है।

समिति प्रबंधकों ने मिलीभगत करके किया घोटाला
पीडि़त किसानों की मानें तो इसमें समिति प्रबंधकों की बड़ी भूमिका है। उनका कहना है कि किसानों के नाम पर खाद चढ़ाकर  बिना समिति प्रबंधकों के सहमति के  कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती, चूंकि अगर समिति द्वारा उनके नाम पर खाद का लोन लेना दर्शाया गया है, तो इससे साफ जाहिर होता है कि समिति के भीतर मौजूद सदस्यों द्वारा उनके नाम का न केवल दुरूपयोग किया गया बल्कि गड़बड़ी करते हुए कई करोड़ रूपये कमा लिये। किसानों ने यह भी बताया कि समिति प्रबंधन के लोगों द्वारा पूरा संचालन किया जाता है और ऐसे में उनकी मिलीभगत बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नहीं है।  
 

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