रायगढ़
![एक बार फिर होने जा रही है एमएसपी स्टील की जनसुनवाई, ग्रामीण, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता नाराज एक बार फिर होने जा रही है एमएसपी स्टील की जनसुनवाई, ग्रामीण, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता नाराज](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1647857267G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 21 मार्च। जिले के सुदूर वनांचल और पड़ोसी राज्य ओडिशा की सीमावर्ती जामगांव में स्थित उद्योग एमएसपी स्टील पुन: एक बार अपनी आगामी प्रस्तावित जन सुनवाई को लेकर चर्चा में है।
बताया जा रहा है कि यह जनसुनवाई आगामी 25 मार्च को संपन्न होनी है। इस जनसुनवाई को लेकर स्थानीय लोगों में विरोध देखा जा रहा है। उद्योग प्रबंधन के कार्यशैली से स्थानीय ग्रामीण, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता पहले से ही नाराज हंै। उनका मानना है कि क्षेत्र में स्थापित आधा दर्जन अन्य उद्योगों की तुलना में एमएसपी स्टील पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाला उद्योग रहा है। इस उद्योग के संचालन के बाद से ही न केवल रायगढ़ जिले के दर्जनों गांवों में बल्कि पड़ोसी राज्य ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के लगभग 10 गांवों में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या गंभीर होती चली गई है।
प्रदूषण मामलों के जानकारों की मानें तो अगर इस्पात प्रबंधन इसी ढंग से आगे भी उद्योग चलाते रहा तो आने वाले 10 सालों में उद्योग प्रभावित दर्जनों गांवों के रहने वाले लोग न केवल गंभीर जानलेवा बीमारियों की चपेट में होंगे, बल्कि उनकी सिलसिलेवार मौतें भी होने लगेगी। वर्तमान में उद्योग प्रभावित गांवों के लगभग सभी नदी-तालाब जलीय जीवों से मुक्त हो चुके हैं। पर्यावरण प्रदूषण में उद्योग की भूमिका को देखते हुए जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग ने उक्त उद्योग में तालाबंदी करने का निर्णय लिया था।
जनचेतना से जुड़़े पर्यवारण विद राजेश त्रिपाठी की मानें तो जिस उद्योग को खुद प्रशासन ने बन्द करने की सिफारिश की थी, तथा जिसकी जनसुनवाई 17 नवंबर 2021 को होनी थी। उसे अंतिम दौर में कम्पनी प्रबन्धन ने टाल दिया था। अब आगामी 25 मार्च को वापस होने वाली इस उद्योग की जन सुनवाई का आधार क्या हो सकता है.? क्या कम्पनी प्रबंधन ने जनसुनवाई के पूर्व सभी निर्धारित मापदंडों को पूरा कर लिया है? क्या उद्योग प्रबंधन के कृत्यों में तनिक भी सुधार नही आया है, वही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उद्योग के विस्तार प्रबन्धन ने जनसुनवाई के पूर्व पड़ोसी राज्य उड़ीसा शासन को जनसुनवाई की जानकारी दे दी है? क्या सुंदरगढ़ जिला प्रशासन से विधिवत अनापत्तियाँ ले ली गई है? क्या उद्योग प्रबन्धन ने पड़ोसी राज्य ओडिशा के प्रभावित ग्रामीणों के बीच प्रस्तावित जनसुनवाई की मुनादी करवा दी है? क्या इन ग्राम पंचायतों से विधिवत आपत्तियां ले ली गई हैं? क्या जन सुनवाई के पूर्व उद्योग प्रबंधन ने अपने फैलाये गए औद्योगिक अपशिष्टों (फ्लाई ऐश) से क्षेत्र को मुक्त कर दिया है? क्या प्रबंधन ने उन सभी ग्रामीणों को संतुष्ट कर लिया है,जो प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर प्रबंधन के खिलाफ खड़े है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब दिए बगैर क्या उद्योग की प्रस्तावित पर्यावरणीय जन सुनवाई वैध एवं विधि संगत होगी.?
पर्यावरण और उद्योग मामलों में विशेषज्ञ सविता रथ की माने तो एक तो उद्योग प्रबंधन ने क्षेत्र के पर्यावरण को जिस तरह की गंभीर क्षति पहुंचाई है उसे ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित जनसुनवाई का होना पूरी तरह से गलत है।