रायगढ़
![सरकारी कामकाज के दौरान भीषण हादसे के बाद हो गई लीपापोती सरकारी कामकाज के दौरान भीषण हादसे के बाद हो गई लीपापोती](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/165062532100.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 22 अप्रैल। रायगढ़ जिले के खरसिया में सीएसपीटीसीएल द्वारा किए जा रहे टॉवर शिफ्टिंग में बीते 5 फरवरी की दोपहर हुई दर्दनाक घटना में 4 मजदूरों की मौत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इतना ही नहीं इस पूरे मामले को श्रम विभाग द्वारा आगे भी नहीं बढ़ाया गया। चार गरीब मजदूरों की मौत के मामले में केवल एफआईआर दर्ज की गई थी और उसके बाद से लापरवाही बरतने वाले विद्युत विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों को क्लीन चिट दे दी गई है। मृतक श्रमिकों के परिवार वालों को क्या मुआवजा दिया गया और क्या नौकरी दी गई, इसका कोई जवाब नहीं दे रहा है।
खरसिया में ढाई महीने पहले हाई पावर लाईन टॉवर अचानक गिरने से वहां काम कर रहे दर्जनों श्रमिकों में से 4 श्रमिकों की मौके पर ही मौत के बाद श्रम विभाग अब तक कुछ नहीं कर सका है। जिले या राज्य के श्रमिक नहीं होने व मरने वाले किसी दूसरे राज्य के होने की वजह से किसी तरह का विरोध या दबाव भी नहीं है। ऐसे में श्रम विभाग ने भी मामले में दोषी पाए गए सीएसपीटीसीएल व ठेका कंपनी शारदा कंस्ट्रक्शन पर कोई कार्रवाई नहीं की और केवल एक नोटिस देकर खानापूर्ति कर ली। विभाग के पास नोटिस का जवाब आने के बाद भी आज तक श्रम न्यायलय में कोई केस दाखिल नहीं किया गया है। जिससे श्रम विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। सिटी कोतवाली ने चार फरवरी को ही मेडिकल कालेज की एक तहर्रीर के बाद चार मजदूरों की मौत पर मर्ग कायम कर उसे खरसिया थाने में जांच के लिए भेज दिया था। वहां से खरसिया थाने से भी विद्युत विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों से पूछताछ तो दूर उन्हें थाने तक नहीं बुलाया गया है।
दरअसल 5 फरवरी को सीएसपीटीसीएल की निगरानी में खरसिया सेंधरीपाली गांव में 220 एचटी लाइन की शिफ्टिंग का काम किया जा रहा था। जिसमें दो दर्जन से अधिक कर्मचारी काम कर रहे थे। नए टॉवर में केबल चढ़ाने से पहले पुराने टॉवर से केवल व कंडक्टर निकालने का काम किया जा रहा था और अचानक टावर भरभरा कर गिर गया। जिसमें दर्जनों मजदूर चपेट में आए थे और चार मजदूर मौके पर ही दबने से मौत हो गई थी। बताया यह भी जाता है कि जिस टावर में काम चल रहा था वह गिरते ही पास ही स्थित विद्युत प्रवाहित टावर की चपेट में आ गया था, जिससे यह घटना और दर्दनाक हो गई थी।
सीएसपीटीसीएल व शारदा कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही
सीएसपीटीसीएल से टॉवर शिफ्टिंग का यह काम भोपाल की शारदा कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था, लेकिन उसने पर्याप्त रूप से सुरक्षा के इंतजाम ही नहीं किए थे। जिससे हादसा हुआ श्रम विभाग ने भी ठेका कंपनी पर कार्रवाई करने की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई और नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति कर ली गई।
यही कारण है कि घटना के ढाई महीनों बाद भी श्रम न्यायालय में केस दाखिल नहीं किया गया है। जबकि इस मामले में हमने सिटी कोतवाली थाना प्रभारी मनीष नागर से बात की तो उनका केवल इतना कहना था कि घटना के दिन चार श्रमिकों की मौत पर मामला पंजीबद्ध करके जीरो में डायरी खरसिया भेज दी गई थी, उसके बाद क्या हुआ उन्हें नही पता।
सुरक्षा में अनदेखी व लापरवाही से हुई थी चारों की मौत
टॉवर शिफ्टिंग में काम करने वाले मजदूरों को इस तरह का जोखिम भरा काम करने का कोई अनुभव भी नहीं था। सुरक्षा के पर्याप्त इतजाम भी नहीं थे। मोनेट के एचटी टॉवर को भी डिस्चार्ज नहीं किया गया था। जिससे 4 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। मृतकों में गोविंद भुईया पिता वीरभाठी (29), युगल भुईया (30), सुरेश रविदास पिता भुनो रवि दास (27) व ईश्वरी तुरी पिता पुरन तुरी (34) शामिल है। सभी गोविंदपुर कला हजारीबाग, द्य विष्णुगढ़ झारखंड के रहने वाले थे। खरसिया के ग्राम कनमुरा में रह कर ठेका कंपनी के अधीन काम किया करते थे। चारो मृतक झारखण्ड के रहने वाले थे और इनके परिवार वालों को आज तक मुआवजे का एक भी रूपया नहीं दिया गया है।
श्रमायुक्त विकास सरोदे का कहना है कि टॉवर हादसे में सीएसपीटीसीएल व शारदा कंस्ट्रक्शन को नोटिस दिया गया था। अभी श्रम न्यायालय में केस दाखिल नहीं किया गया है। जल्द ही केस दाखिल कर कार्रवाई करेंगे।